शिमला: नगर निगम शिमला के पुनःसीमांकन (Re demarcation of MC Shimla) व चुनावों के लिए जारी आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष दोनों पक्षो की बहस पूरी होने पर अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा. कोर्ट ने इस मामले पर शिमला नगर निगम के नाभा वार्ड की पार्षद सिमी नंदा द्वारा दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किए थे.
प्रार्थी ने नगर निगम शिमला के पुनःसीमांकन (Re demarcation of MC Shimla) व आरक्षण रोस्टर को कोर्ट में चुनौती दी है. प्रार्थी ने याचिका में शहरी विकास विभाग सहित डीसी शिमला, चुनाव आयोग व एसडीएम शहरी व ग्रामीण शिमला को भी प्रतिवादी बनाया है. प्रार्थी का आरोप है कि चुनाव आयोग व शहरी विकास विभाग ने निगम वार्डों का पुनःसीमांकन कर 41 वार्ड बनाने व आरक्षण रोस्टर तैयार करते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और न ही हाईकोर्ट के इस संदर्भ में दिए निर्देशों का पालन किया.
प्रार्थी के अनुसार कोर्ट ने सरकार व चुनाव आयोग को आदेश दिए थे कि लोकतांत्रिक चुनावों की प्रक्रिया आरम्भ करने से पहले तमाम औपचारिकताएं कम से कम 3 महीने पहले पूरी कर ली जानी चाहिए. जिससे सभी पीड़ित पक्ष समय से आपत्तियां दर्ज करवा सके व जरूरत पड़ने पर समय रहते वे अदालत के समक्ष अपना पक्ष रख सके. उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग व शहरी विकास विभाग ने हाल ही में नगर निगम शिमला का पुनःसीमांकन कर कुल 41 वार्ड बनाने की अधिसूचना जारी की है और इन वार्डों में चुनाव से जुड़े आरक्षण रोस्टर की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है.
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