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HIGH COURT: पदोन्नति आग्रह की याचिकाओं को किया खारिज

हिमाचल हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College)शिमला के पैथोलॉजी(pathology) और सर्जरी विभागों में सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के आग्रह को लेकर याचिकाओं को नियमों के दृष्टिगत खारिज कर दिया.

HIGH COURT
हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Nov 20, 2021, 8:05 PM IST

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College)शिमला के पैथोलॉजी(pathology) और सर्जरी विभागों में सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के आग्रह को लेकर याचिकाओं को हाईकोर्ट ने नियमों के दृष्टिगत खारिज कर दिया. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान(Judge Tarlok Singh Chauhan) व न्यायाधीश सत्येन वैद्य (Judge Satyen Vaidya)की खंडपीठ ने दो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के पश्चात यह निर्णय सुनाया.

याचिकाओं के अनुसार उन्हें पात्रता के बाबजूद सहायक प्रोफेसर पद पर पदोन्नति नहीं दी गई.सहायक प्राध्यापकों के पदों पर पदोन्नति के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 1 सितंबर 2010 व 3 दिसम्बर 2014 को जारी दिशा निर्देशों पर ठीक ढंग से विचार नहीं किया गया. जिसके तहत फीडर पोस्ट से पदोन्नति के लिए एक चैनल से अधिक उच्च पद (पदों) को निर्धारित किया गया. प्रतिवादी विभाग के अनुसार चूंकि याचिकाकर्ताओं ने एक बार खंड चिकित्सा अधिकारी के पद के लिए अपने विकल्पों का प्रयोग किया था.

इस कारण वे असिस्टेंट प्रोफेसर(assistant professor) रूप में पदोन्नत होने पर वे विचार किये जाने के पात्र नहीं थे. न्यायालय ने स्पष्ट किया यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार प्रार्थी खंड विकास अधिकारी का विकल्प देने के पश्चात असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति पाने का हक खो चुके है.

ये भी पढ़ें :उपचुनावों में हार के बाद हिमाचल बीजेपी का कमबैक प्लान, कर्ज लेकर कर्मचारियों को देगी 'खुशियों' की सौगात

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College)शिमला के पैथोलॉजी(pathology) और सर्जरी विभागों में सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के आग्रह को लेकर याचिकाओं को हाईकोर्ट ने नियमों के दृष्टिगत खारिज कर दिया. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान(Judge Tarlok Singh Chauhan) व न्यायाधीश सत्येन वैद्य (Judge Satyen Vaidya)की खंडपीठ ने दो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के पश्चात यह निर्णय सुनाया.

याचिकाओं के अनुसार उन्हें पात्रता के बाबजूद सहायक प्रोफेसर पद पर पदोन्नति नहीं दी गई.सहायक प्राध्यापकों के पदों पर पदोन्नति के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 1 सितंबर 2010 व 3 दिसम्बर 2014 को जारी दिशा निर्देशों पर ठीक ढंग से विचार नहीं किया गया. जिसके तहत फीडर पोस्ट से पदोन्नति के लिए एक चैनल से अधिक उच्च पद (पदों) को निर्धारित किया गया. प्रतिवादी विभाग के अनुसार चूंकि याचिकाकर्ताओं ने एक बार खंड चिकित्सा अधिकारी के पद के लिए अपने विकल्पों का प्रयोग किया था.

इस कारण वे असिस्टेंट प्रोफेसर(assistant professor) रूप में पदोन्नत होने पर वे विचार किये जाने के पात्र नहीं थे. न्यायालय ने स्पष्ट किया यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार प्रार्थी खंड विकास अधिकारी का विकल्प देने के पश्चात असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति पाने का हक खो चुके है.

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