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हाइकोर्ट का हिमाचल सरकार को आदेश, दो माह में अडानी समूह को लौटाएं 280 करोड़ - Himachal High Court orders the state government

हिमाचल हाईकोई ने प्रदेश सरकार को निर्देश (Himachal High Court orders the state government) देते हुए कहा है कि अडानी समूह को जंगी थोपन प्रोजेक्ट की अग्रिम प्रीमियम राशि अदा करें. 7 दिसंबर, 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि, 'एक बार मंत्रिपरिषद ने 4 सितंबर, 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद, स्वयं की राशि वापस करने का निर्णय लिया था.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
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Published : Apr 20, 2022, 8:36 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 11:03 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया (Himachal High Court orders the state government) है कि मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड द्वारा जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना (Jangi Thopan Powari Power Project) के लिए जमा किए गए अग्रिम प्रीमियम की राशि को मंत्रिपरिषद के 4 सितंबर, 2015 को लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में वापस किया जाए. न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने यह आदेश मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया है.

विशेष सचिव (विद्युत) की ओर से 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को चुनौती दी गई थी, जिसमें यह बताया गया था कि विभिन्न कानूनी पेचीदगी और अनुबंध के कारण याचिकाकर्ता द्वारा जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा की गई अग्रिम प्रीमियम की राशि वापस करने के लिए 4 सितंबर, 2015 को हुई अपनी बैठक में मंत्रिपरिषद ने पुनर्विचार और समीक्षा की है.

7 दिसंबर, 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि, 'एक बार मंत्रिपरिषद ने 4 सितंबर, 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद, स्वयं की राशि वापस करने का निर्णय लिया था. याचिकाकर्ता को 280.06 करोड़ रुपये, यह समझ में नहीं आता है कि उसने 4 सितंबर, 2015 को लिए गए अपने निर्णय की समीक्षा किस आधार पर की. हालांकि, यह कहा गया है कि इस मामले में शामिल कानूनी पेचीदगियों और संविदात्मक जटिलताओं के कारण, मंत्रिपरिषद ने 4 सितंबर, 2015 को हुई अपनी बैठक में लिए गए अपने निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय लिया है, लेकिन वे कानूनी पेचीदगियां और संविदात्मक जटिलताएं क्या हैं, पहले के पत्राचार में वर्णित नहीं किया गया है.'

अक्टूबर, 2005 में, राज्य ने दो 980 मेगावाट की परियोजना हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर (Jangi Thopan project) के संबंध में निविदा जारी की. मैसर्स ब्रैकेल कॉर्पोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. इसे देखते हुए ब्रकेल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी.

हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया. इसके बाद, ब्रैकल ने अनुरोध किया राज्य सरकार पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ वापस करने के लिए. पहले के पत्राचार में ब्रैकल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, 'याचिकाकर्ता एक वास्तविक निवेशक है और मूल्यांकन और पुरस्कार चरण में शामिल नहीं था, इसलिए, अगर मेसर्स अडानी पावर को पैसे का भुगतान किया जाता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है और इसका कोई अधिकार नहीं होगा या भविष्य में उस पर दावा करें.'

अदालत ने आगे कहा कि 'ब्रैकेल के अलावा कोई भी पक्ष मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड के पक्ष में अग्रिम प्रीमियम जारी करने के लिए शिकायत नहीं कर सकता है, यदि कोई हो, लेकिन चूंकि ब्रैकल ने राज्य को पहले ही अडानी के पक्ष में इस तरह के पैसे जारी करने के लिए लिखा है. यह समझ में नहीं आता है कि सितंबर 4, 2015 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, अडानी पावर लिमिटेड को राशि जारी करने की स्थिति में राज्य को कानूनी पेचीदगियों और संविदात्मक जटिलताओं' का सामना करना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: युग हत्याकांड: जानिए हाईकोर्ट में 2018 से कब-कब टली सजा-ए-मौत की कन्फर्मेशन से जुड़ी सुनवाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया (Himachal High Court orders the state government) है कि मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड द्वारा जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना (Jangi Thopan Powari Power Project) के लिए जमा किए गए अग्रिम प्रीमियम की राशि को मंत्रिपरिषद के 4 सितंबर, 2015 को लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में वापस किया जाए. न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने यह आदेश मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया है.

विशेष सचिव (विद्युत) की ओर से 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को चुनौती दी गई थी, जिसमें यह बताया गया था कि विभिन्न कानूनी पेचीदगी और अनुबंध के कारण याचिकाकर्ता द्वारा जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा की गई अग्रिम प्रीमियम की राशि वापस करने के लिए 4 सितंबर, 2015 को हुई अपनी बैठक में मंत्रिपरिषद ने पुनर्विचार और समीक्षा की है.

7 दिसंबर, 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि, 'एक बार मंत्रिपरिषद ने 4 सितंबर, 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद, स्वयं की राशि वापस करने का निर्णय लिया था. याचिकाकर्ता को 280.06 करोड़ रुपये, यह समझ में नहीं आता है कि उसने 4 सितंबर, 2015 को लिए गए अपने निर्णय की समीक्षा किस आधार पर की. हालांकि, यह कहा गया है कि इस मामले में शामिल कानूनी पेचीदगियों और संविदात्मक जटिलताओं के कारण, मंत्रिपरिषद ने 4 सितंबर, 2015 को हुई अपनी बैठक में लिए गए अपने निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय लिया है, लेकिन वे कानूनी पेचीदगियां और संविदात्मक जटिलताएं क्या हैं, पहले के पत्राचार में वर्णित नहीं किया गया है.'

अक्टूबर, 2005 में, राज्य ने दो 980 मेगावाट की परियोजना हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर (Jangi Thopan project) के संबंध में निविदा जारी की. मैसर्स ब्रैकेल कॉर्पोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. इसे देखते हुए ब्रकेल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी.

हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया. इसके बाद, ब्रैकल ने अनुरोध किया राज्य सरकार पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ वापस करने के लिए. पहले के पत्राचार में ब्रैकल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, 'याचिकाकर्ता एक वास्तविक निवेशक है और मूल्यांकन और पुरस्कार चरण में शामिल नहीं था, इसलिए, अगर मेसर्स अडानी पावर को पैसे का भुगतान किया जाता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है और इसका कोई अधिकार नहीं होगा या भविष्य में उस पर दावा करें.'

अदालत ने आगे कहा कि 'ब्रैकेल के अलावा कोई भी पक्ष मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड के पक्ष में अग्रिम प्रीमियम जारी करने के लिए शिकायत नहीं कर सकता है, यदि कोई हो, लेकिन चूंकि ब्रैकल ने राज्य को पहले ही अडानी के पक्ष में इस तरह के पैसे जारी करने के लिए लिखा है. यह समझ में नहीं आता है कि सितंबर 4, 2015 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, अडानी पावर लिमिटेड को राशि जारी करने की स्थिति में राज्य को कानूनी पेचीदगियों और संविदात्मक जटिलताओं' का सामना करना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: युग हत्याकांड: जानिए हाईकोर्ट में 2018 से कब-कब टली सजा-ए-मौत की कन्फर्मेशन से जुड़ी सुनवाई

Last Updated : Apr 20, 2022, 11:03 PM IST
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