शिमला: अगर आप पशु प्रेमी हैं तो ये खबर आपके लिए है. अब कोई भी शख्स हिमाचल के चिड़ियाघर में मौजूद पशु-पक्षियों को गोद ले सकेगा. यहां गोद लेने से मतलब ये नहीं है कि आपको कोई जानवर घर ले जाने की अनुमति होगी. यहां गोद लेने का मतलब है कि है कि आप उनके खान-पान का खर्च उठा सकते हैं.
राज्यपाल ने गोद लिया जाजुराना- राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल के राजकीय पक्षी (state bird of himachal) जाजुराना को गोद लिया है. इसके लिए उन्हें सालाना 12 हजार रुपये देने होंगे. दरअसल रविवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में 71वें वन्य प्राणी सप्ताह का समापन समारोह था. इसका आयोजन वन विभाग के वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा किया गया था. राज्यपाल ने वन्य जीवों को गोद लेने की योजना की सराहना की और जाजुराना को गोद लेकर समाज को एक सार्थक संदेश दिया.
कौन-कौन से पशु-पक्षी गोद ले सकते हैं- चिड़ियाघर में मौजूद किसी भी जानवर को इस योजना के तहत गोद लिया जा सकता है. मसलन तेंदुआ, शेर, भूरा भालू, काला भालू समेत अन्य पशु पक्षियों को गोद लिया जा सकता है. हर पशु या पक्षी को गोद लेने के लिए एक निश्चित रकम खर्च करनी होगी. ये रकम सालाना 12 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक हो सकती है. इस योजना के तहत आप पूरा चिड़ियाघर या रेस्क्यू सेंटर भी गोद ले सकते हैं. जिस जानवर को गोद लिया जाएगा, उसके पिंजरे के बाहर एक बोर्ड पर इसकी जानकारी दी जाएगी.
क्या करना होगा- अगर आप भी वन विभाग की इस योजना के तहत चिड़ियाघर के पशु पक्षियों को गोद लेना चाहते हैं तो वन विभाग के पास आवेदन कर सकते हैं. इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति जिस पशु या पक्षी को गोद लेना चाहता है उसका साल का सारा खर्चा विभाग के पास जमा करवाना होगा. बता दें कि यह योजना देश के कई राज्यों में चलाई गई है. अब इसे हिमाचल प्रदेश में लागू किया गया है. हिमाचल प्रदेश में रेणुका, गोपालपुर, रिवाल्सर, कुफरी समेत पांच बड़े चिड़ियाघर हैं. इसके अलावा आठ रेस्क्यू सेंटर हैं. जहां के जानवर गोद लिए जा सकते हैं.
कितने खर्च में गोद ले सकेंगे कौन सा जानवर (सालाना)
शेर | 2 लाख सालाना |
तेंदुआ | 2 लाख सालाना |
भालू | 2 लाख सालाना |
सांभर | 50 हजार सालाना |
ग्रिफन वल्चर | 50 हजार सालाना |
घोरल | 25 हजार सालाना |
बारकिंग डियर | 25 हजार सालाना |
लैपर्ड कैट | 25 हजार सालाना |
ईमू | 25 हजार सालाना |
फीजेंट | 12 हजार सालाना |
लव वर्डस | 12 हजार सालाना |
कछुआ | 12 हजार सालाना |
पूरा चिड़ियाघर- | 1 करोड़ सालाना |
पूरा रेस्क्यू सेंटर | 1 करोड़ सालाना |
मनाली, सराहन, चायल की फीजेंटरी | 25 लाख रुपये सालाना |
वन्य जीवों का भरण पोषण है मकसद- बता दें कि इस योजना के लॉन्च के मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने जाजुराना पक्षी गोद लिया. तो कुफरी में स्थित रिजॉर्ट के मालिक बलदेव ठाकुर ने कुफरी चिड़ियाघर के तेंदुआ और व्यवसायी भूषण ठाकुर ने फीजेंट पक्षी गोद लिया. राज्यपाल ने इस योजना की तारीफ करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति हमें पौधों और वन्य जीवों की पूजा करना सिखाती है. इसलिये इस योजना से हर किसी को जुड़ना चाहिए. वन्य जीवों को देखते हुए उन्होंने प्रदेश में पौधारोपण और वन क्षेत्र को बढ़ाने पर जोर दिया.
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