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हिमाचली युवाओं के खून में घुल रहा नशे का जहर, हाईकोर्ट भी स्कूल छात्रों द्वारा नशे के सेवन पर जता चुका है चिंता  

हिमाचल के उज्ज्वल भविष्य के 'सितारे' नशे की गर्त में डूबते जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) के चिंता जताने और पुलिस के सक्रिय अभियान के बावजूद प्रदेश के युवा इस जहर के चंगुल में फंस रहे हैं. नशामुक्त हिमाचल के लिए हाईकोर्ट ने दिए हैं कई सुझाव अदालत ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में जागरूकता अभियान के तहत नशे के दुष्परिणामों पर पाठ होने चाहिए.

Anti Drug campaign in himachal
हिमाचली युवाओं के खून में घुल रहा नशे का जहर!
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Published : Oct 11, 2021, 7:29 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 3:24 PM IST

शिमला: हिमाचली युवाओं के खून में नशे का जहर घुल रहा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) के चिंता जताने और पुलिस के सक्रिय अभियान के बावजूद प्रदेश के युवा इस जहर के चंगुल में फंस रहे हैं. हालांकि हिमाचल सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सख्ती बरतते हुए दो ग्राम भी चरस, गांजा या अफीम मिलने पर सीधे जेल जाने का प्रावधान किया है. फिर भी तमाम सख्तियां नाकाफी साबित हो रही हैं. प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए शुरू किए अभियान में पिछले कुछ वर्षों से तेजी जरूर आई है, लेकिन प्रदेश का युवा लगातार इसकी गिरफ्त में फंसता जा रहा है.

प्रदेश में वर्ष 2018 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. सर्वे में पता चला कि दसवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों में से 42 फीसद विद्यार्थी कोई न कोई नशा करते हैं. जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट के कुछ अहम सुझाव भी दिए जिनको सरकार द्वारा अमलीजामा पहनाने की कोशिश सरकार द्वारा शुरू हो गई है और नशे के दृष्प्रभावों के बारे जानकारी प्राप्त करने के लिए निःशुल्क हेल्पलाइन 104 को और सुदृढ़ किया जा रहा है.

नशामुक्त हिमाचल के लिए हाईकोर्ट ने दिए हैं कई सुझाव: अदालत ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में जागरूकता अभियान के तहत नशे के दुष्परिणामों पर पाठ होने चाहिए. इसके अलावा पंचायत स्तर पर अमल में लाए जाने लायक सुझाव भी हाईकोर्ट ने दिए हैं. हाईकोर्ट ने नशीले पदार्थों की तस्करी पर गहरी चिंता जताई है. अदालत ने कहा कि यदि राज्य सरकार चाहे तो प्रदेश नशा मुक्त राज्य बन सकता है.

हाईकोर्ट ने दिए ये अहम सुझाव: हाईकोर्ट ने सुझाव दिए हैं कि स्कूली पाठ्यक्रम में नशे के दुष्परिणाम से अवगत करवाने वाले चैप्टर शामिल हों. नियमित रूप से लेक्चर होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों सहित कॉलेजों व अन्य सभी शिक्षण संस्थानों में नशे का शिकार हो चुके छात्रों की पहचान की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि नशे का शिकार हो चुके युवाओं की काउंसलिंग की जाए. उन्हें सद्भाव से समझाया जाए. ताकि वे फिर से नशे का शिकार न हो सकें.

कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि मादक पदार्थों को औषधियों में प्रयोग करने के लिए रिसर्च एजेंसियों की सेवा ली जाए. इससे अवैध तरीके से मादक पदार्थों के व्यवसाय से जुड़े स्थानीय लोग भांग आदि के पौधों को औषधियां बनाने के लिए प्राथमिकता दें. पंचायत का जो भी पदाधिकारी नशीले पदार्थों के धंधे में शामिल हो, उसे अयोग्य करार दिया जाए. इसके लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया जाए. मादक पदार्थों से मुक्त पंचायतों को उचित इनाम दिया जाए. मादक पदार्थों के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्ति को भी सम्मानित किया जाना चाहिए. साथ ही पुलिस ऐसे व्यक्ति की सुरक्षा का इंतजाम करे. नशे का शिकार हो चुके लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के भी प्रबंध किए जाने चाहिए. स्कूलों, कॉलेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों के आसपास नियमित रूप से गश्त की जाए, ताकि वहां कोई तस्कर नशे का सामान न बेच सके.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस विभाग की ओर से पेश शपथ पत्र का अध्ययन करने के बाद पाया गया कि वर्ष 2021 अप्रैल-मई व जून में भारी मात्रा में मादक पदार्थ पकड़े गए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि पहले तो तस्कर मुफ्त में ही ये पदार्थ बेचते हैं, फिर जब युवा इसके आदी हो जाते हैं तो उन्हें पैसे देकर नशा खरीदना पड़ता है. नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए गरीब घरों के बच्चों को प्रयोग किया जाता है. न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार तस्करों को पकड़ने के लिए साधनों की कमी का बहाना नहीं बना सकती है. इससे पहले हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ जॉइंट टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने बाद में कुल्लू के कसोल व मलाणा से भारी मात्रा में मादक पदार्थ व नकदी पकड़ी थी. हाईकोर्ट ने ये पाया है कि इन क्षेत्रों में नशा बेचने का धंधा वहां के स्थानीय लोगों के सहयोग से पनपा है.

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Himachal Pradesh State Legal Services Authority) की सेवाएं लेने के आदेश भी दिए हैं. अदालत ने कहा कि विशेष जांच दल गठित किए जाएं, जिसमें पुलिस के अलावा अन्य जिम्मेदार एजेंसियां भी शामिल हों. अभियोजन विभाग को यह यह निर्देश देने का सुझाव दिया है कि उनकी ओर से न्यायालय में पेश होने वाले अधिकारी इस तरह के मामलों में जमानत याचिका का विरोध करें, चाहे पकड़ा गया मादक पदार्थ थोड़ी मात्रा में ही क्यों न हो.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने मंत्रिमंडल की बैठक में भी नशा रोकथाम के लिए अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी से जुडे़ लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के साथ-साथ लोगों विशेषकर स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे जागरूक करने के लिए कदम उठाए जाएं. नशा निवारण के लिए आयोजित विशेष बैठकों में शिक्षा विभाग बच्चों को नशे की बुरी आदत के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने पर सहमति बनी. जिसके तहत अध्यापकों को डाइट व एसइआरटी में प्रशिक्षण देकर नशाखोरी के प्रति संवेदनशील व जागरूक किया जाएगा ताकि वे स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को इस बुरी आदत से जागरूक कर सकें.

स्कूलों में नशे की बुरी आदत के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए भाषण प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के अलावा चित्रकला इत्यादि की प्रतिस्पर्धाएं भी आयोजित करने के भी शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए हैं. इसके अतिरिक्त आगामी वर्षों में इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा. इसके लिए एससीआरटी सोलन द्वारा पाठ्यक्रम में दो चैप्टर शामिल करने पर भी योजना बनी है. शिक्षा विभाग द्वारा तैयार योजना के अनुसार भविष्य में प्रदेश के सभी स्कूलों में प्रातः सभा में बच्चों को 10 नशा निवारण से संबंधित 10 सूत्रीय शपथ भी दिलाई जाएगी और बच्चों को नशे की बुरी आदत के प्रति जागरूक करने के लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसके अन्तर्गत पाठशालाओं में प्रत्येक माह में नशा निवारण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: अरे! कारगिल युद्ध पर 'राजमाता' प्रतिभा सिंह का विवादित बयान

तत्कालीन सचिव अनिल कुमार खाची के आदेशों के अनुसार प्रदेश में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज व वन विभाग के सहयोग से भांग उन्मूलन अभियान चलाने की भी योजना है, जिसमें सभी विभागों के अलावा महिला मण्डलों, युवक मण्डलों व स्वयंसेवी संस्थाएं भी शामिल होंगी. व्यापक स्तर पर चलने वाले इस अभियान के दौरान राज्य की निजी और सरकारी भूमि पर पाई जाने वाली भांग को उखाड़कर नष्ट किया जाएगा. उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को भांग के स्थान पर अन्य वैकल्पिक खेती की संभावनाओं को तलाशने के भी निर्देश दिए.

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को नशा उन्मूलन केन्द्र स्थापित करने के लिए कदम उठाने को भी कहा. उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (Social Justice & Empowerment Department) को पुनर्वास केन्द्र स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि राज्य में नारकोटिक्स कानून को और सख्त बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नशे की तस्करी पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखी जाएगी. उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के उच्च अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी और मादक द्रव्यों की तस्करी को रोकने के लिए संयुक्त टास्कफोर्स बनाई जाएगी.

स्कूल में होता है नशे का सेवन: वर्ष 2018 में हिमाचल में एक खरतनाक घटना हुई. सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री (Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry) के कैंपस में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें. उस समय हाईकोर्ट में रित्विक गौर व आशी गौर की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी.

स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं. हिमाचल ज्ञान-विज्ञान संस्था के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति खतरनाक है. जीयानंद शर्मा का मानना है कि इस बुराई से अकेले पुलिस या प्रशासन नहीं लड़ सकता. इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. सबसे बड़ी भूमिका परिवार की है. यदि परिवार में बड़े लोगों को ये लगता है कि घर का नौजवान विचित्र व्यवहार कर रहा है और उसकी संगत गलत लोगों की है तो तुरंत सचेत हो जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में असरदार साबित हो रही टेली-परामर्श सेवाएं, 86 हजार से ज्यादा मरीजों को मिला लाभ

शिमला: हिमाचली युवाओं के खून में नशे का जहर घुल रहा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) के चिंता जताने और पुलिस के सक्रिय अभियान के बावजूद प्रदेश के युवा इस जहर के चंगुल में फंस रहे हैं. हालांकि हिमाचल सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सख्ती बरतते हुए दो ग्राम भी चरस, गांजा या अफीम मिलने पर सीधे जेल जाने का प्रावधान किया है. फिर भी तमाम सख्तियां नाकाफी साबित हो रही हैं. प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए शुरू किए अभियान में पिछले कुछ वर्षों से तेजी जरूर आई है, लेकिन प्रदेश का युवा लगातार इसकी गिरफ्त में फंसता जा रहा है.

प्रदेश में वर्ष 2018 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. सर्वे में पता चला कि दसवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों में से 42 फीसद विद्यार्थी कोई न कोई नशा करते हैं. जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट के कुछ अहम सुझाव भी दिए जिनको सरकार द्वारा अमलीजामा पहनाने की कोशिश सरकार द्वारा शुरू हो गई है और नशे के दृष्प्रभावों के बारे जानकारी प्राप्त करने के लिए निःशुल्क हेल्पलाइन 104 को और सुदृढ़ किया जा रहा है.

नशामुक्त हिमाचल के लिए हाईकोर्ट ने दिए हैं कई सुझाव: अदालत ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में जागरूकता अभियान के तहत नशे के दुष्परिणामों पर पाठ होने चाहिए. इसके अलावा पंचायत स्तर पर अमल में लाए जाने लायक सुझाव भी हाईकोर्ट ने दिए हैं. हाईकोर्ट ने नशीले पदार्थों की तस्करी पर गहरी चिंता जताई है. अदालत ने कहा कि यदि राज्य सरकार चाहे तो प्रदेश नशा मुक्त राज्य बन सकता है.

हाईकोर्ट ने दिए ये अहम सुझाव: हाईकोर्ट ने सुझाव दिए हैं कि स्कूली पाठ्यक्रम में नशे के दुष्परिणाम से अवगत करवाने वाले चैप्टर शामिल हों. नियमित रूप से लेक्चर होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों सहित कॉलेजों व अन्य सभी शिक्षण संस्थानों में नशे का शिकार हो चुके छात्रों की पहचान की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि नशे का शिकार हो चुके युवाओं की काउंसलिंग की जाए. उन्हें सद्भाव से समझाया जाए. ताकि वे फिर से नशे का शिकार न हो सकें.

कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि मादक पदार्थों को औषधियों में प्रयोग करने के लिए रिसर्च एजेंसियों की सेवा ली जाए. इससे अवैध तरीके से मादक पदार्थों के व्यवसाय से जुड़े स्थानीय लोग भांग आदि के पौधों को औषधियां बनाने के लिए प्राथमिकता दें. पंचायत का जो भी पदाधिकारी नशीले पदार्थों के धंधे में शामिल हो, उसे अयोग्य करार दिया जाए. इसके लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया जाए. मादक पदार्थों से मुक्त पंचायतों को उचित इनाम दिया जाए. मादक पदार्थों के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्ति को भी सम्मानित किया जाना चाहिए. साथ ही पुलिस ऐसे व्यक्ति की सुरक्षा का इंतजाम करे. नशे का शिकार हो चुके लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के भी प्रबंध किए जाने चाहिए. स्कूलों, कॉलेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों के आसपास नियमित रूप से गश्त की जाए, ताकि वहां कोई तस्कर नशे का सामान न बेच सके.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस विभाग की ओर से पेश शपथ पत्र का अध्ययन करने के बाद पाया गया कि वर्ष 2021 अप्रैल-मई व जून में भारी मात्रा में मादक पदार्थ पकड़े गए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि पहले तो तस्कर मुफ्त में ही ये पदार्थ बेचते हैं, फिर जब युवा इसके आदी हो जाते हैं तो उन्हें पैसे देकर नशा खरीदना पड़ता है. नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए गरीब घरों के बच्चों को प्रयोग किया जाता है. न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार तस्करों को पकड़ने के लिए साधनों की कमी का बहाना नहीं बना सकती है. इससे पहले हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ जॉइंट टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने बाद में कुल्लू के कसोल व मलाणा से भारी मात्रा में मादक पदार्थ व नकदी पकड़ी थी. हाईकोर्ट ने ये पाया है कि इन क्षेत्रों में नशा बेचने का धंधा वहां के स्थानीय लोगों के सहयोग से पनपा है.

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Himachal Pradesh State Legal Services Authority) की सेवाएं लेने के आदेश भी दिए हैं. अदालत ने कहा कि विशेष जांच दल गठित किए जाएं, जिसमें पुलिस के अलावा अन्य जिम्मेदार एजेंसियां भी शामिल हों. अभियोजन विभाग को यह यह निर्देश देने का सुझाव दिया है कि उनकी ओर से न्यायालय में पेश होने वाले अधिकारी इस तरह के मामलों में जमानत याचिका का विरोध करें, चाहे पकड़ा गया मादक पदार्थ थोड़ी मात्रा में ही क्यों न हो.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने मंत्रिमंडल की बैठक में भी नशा रोकथाम के लिए अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी से जुडे़ लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के साथ-साथ लोगों विशेषकर स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे जागरूक करने के लिए कदम उठाए जाएं. नशा निवारण के लिए आयोजित विशेष बैठकों में शिक्षा विभाग बच्चों को नशे की बुरी आदत के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने पर सहमति बनी. जिसके तहत अध्यापकों को डाइट व एसइआरटी में प्रशिक्षण देकर नशाखोरी के प्रति संवेदनशील व जागरूक किया जाएगा ताकि वे स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को इस बुरी आदत से जागरूक कर सकें.

स्कूलों में नशे की बुरी आदत के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए भाषण प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के अलावा चित्रकला इत्यादि की प्रतिस्पर्धाएं भी आयोजित करने के भी शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए हैं. इसके अतिरिक्त आगामी वर्षों में इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा. इसके लिए एससीआरटी सोलन द्वारा पाठ्यक्रम में दो चैप्टर शामिल करने पर भी योजना बनी है. शिक्षा विभाग द्वारा तैयार योजना के अनुसार भविष्य में प्रदेश के सभी स्कूलों में प्रातः सभा में बच्चों को 10 नशा निवारण से संबंधित 10 सूत्रीय शपथ भी दिलाई जाएगी और बच्चों को नशे की बुरी आदत के प्रति जागरूक करने के लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसके अन्तर्गत पाठशालाओं में प्रत्येक माह में नशा निवारण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: अरे! कारगिल युद्ध पर 'राजमाता' प्रतिभा सिंह का विवादित बयान

तत्कालीन सचिव अनिल कुमार खाची के आदेशों के अनुसार प्रदेश में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज व वन विभाग के सहयोग से भांग उन्मूलन अभियान चलाने की भी योजना है, जिसमें सभी विभागों के अलावा महिला मण्डलों, युवक मण्डलों व स्वयंसेवी संस्थाएं भी शामिल होंगी. व्यापक स्तर पर चलने वाले इस अभियान के दौरान राज्य की निजी और सरकारी भूमि पर पाई जाने वाली भांग को उखाड़कर नष्ट किया जाएगा. उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को भांग के स्थान पर अन्य वैकल्पिक खेती की संभावनाओं को तलाशने के भी निर्देश दिए.

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को नशा उन्मूलन केन्द्र स्थापित करने के लिए कदम उठाने को भी कहा. उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (Social Justice & Empowerment Department) को पुनर्वास केन्द्र स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि राज्य में नारकोटिक्स कानून को और सख्त बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नशे की तस्करी पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखी जाएगी. उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के उच्च अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी और मादक द्रव्यों की तस्करी को रोकने के लिए संयुक्त टास्कफोर्स बनाई जाएगी.

स्कूल में होता है नशे का सेवन: वर्ष 2018 में हिमाचल में एक खरतनाक घटना हुई. सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री (Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry) के कैंपस में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें. उस समय हाईकोर्ट में रित्विक गौर व आशी गौर की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी.

स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं. हिमाचल ज्ञान-विज्ञान संस्था के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति खतरनाक है. जीयानंद शर्मा का मानना है कि इस बुराई से अकेले पुलिस या प्रशासन नहीं लड़ सकता. इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. सबसे बड़ी भूमिका परिवार की है. यदि परिवार में बड़े लोगों को ये लगता है कि घर का नौजवान विचित्र व्यवहार कर रहा है और उसकी संगत गलत लोगों की है तो तुरंत सचेत हो जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में असरदार साबित हो रही टेली-परामर्श सेवाएं, 86 हजार से ज्यादा मरीजों को मिला लाभ

Last Updated : Jan 4, 2022, 3:24 PM IST
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