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जयराम सरकार भी नहीं रोक पाई कर्ज लेने की रफ्तार, प्रदेश का ऋण बढ़कर हुआ 54,299 करोड़

हिमाचल की जयराम सरकार भी कर्ज लेने के लिए मजबूर हुई है. दूसरी ओर सीएम जयराम ठाकुर ने कर्ज लेने के पूर्व की कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा है. वहीं, मार्च 2019 तक हिमाचल प्रदेश का कर्ज बढ़कर 54,299 करोड़ तक पहुंच गया है.

cm jairam on himachal debt
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Published : Sep 14, 2020, 7:28 PM IST

शिमलाः पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार की तरह ही बीजेपी की जयराम सरकार भी कर्ज लेने के रफ्तार को नहीं रोक पाई है. मार्च 2019 तक हिमाचल प्रदेश का कर्ज बढ़कर 54,299 करोड़ तक पहुंच गया है. यह बीते साल से 6.41 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है.

प्रदेश में कर्ज सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 36 फीसदी तक पहुंच गया है. यह जानकारी 2018-2019 को लेकर सदन में कैग की रिपोर्ट में दी गई है. सीएम जयराम ठाकुर ने सोमवार को सदन में 2018-2019 की कैग की रिपोर्ट सदन में रखी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 के दौरान राजस्व खर्च का 73 फीसदी चार घटकों वेतन व मजदूरी, पेंशन, ब्याज अदायगी और उपदानों पर खर्च किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 में बीते साल के मुकाबले राजकोषीय घाटा 358 करोड़ कम हुआ है.

वीडियो.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 तक 5,128.42 करोड़ के कुल अनुदानों से जुड़े 5,758 उपयोगता प्रमाण पत्रों में से 2,407 प्रमाणपत्र लांबित पड़े हुए हैं. यह 1,898.80 करोड़ रुपए के हैं. कैग ने कहा है कि प्रमाणपत्रों का भारी संख्या में लांबित रहना अनुदानों के जालसाजी के खतरे को बढ़ाता है.

कैग ने सरकार को इन प्रमाणपत्रों को समयबद्ध तरीके से पेश करने व इन प्रमाणपत्रों को लांबित रखने वालों को अनुदान जारी रखने पर गौर करने को कहा है. यही नहीं जयराम सरकार के 14 स्वायत निकायों में केवल तीन ने अपने 2018-2019 के लेखे पेश किए हैं.

बाकी 11 संस्थानों ने एक साल की देरी के बावजूद सितंबर 2019 तक जांच को कैग को पेश नहीं किए थे. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 से 2017-18 के समय के 8,333.35 करोड़ के ज्यादा किए खर्च को संविधान के अनुच्छेद 205 के तहत सदन से नियमित करवाने की जरूरत थी. इस खर्च को नियमित नहीं किया गया है.

यही नहीं 801.05 करोड़ के अनुदानों को वापस किया गया है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 में राजस्व प्राप्तियों में 13 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. जो बीते साल के 27,367 करोड़ के मुकाबले 30,950 करोड़ तक पहुंच गया, लेकिन राज्य के राजस्व प्राप्तियों में से केवल 33 फीसद की राज्य के अपने संसाधनों से प्राप्त हुई हैं. बाकी 67 फीसद केंद्र सरकार से अनुदान और केंद्रीय करों में राज्य के अंश की हिस्सेदारी है.

दूसरी ओर, प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने कर्ज के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा है. सीएम ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही और उनकी बीजेपी की सरकार को करीब 47 हजार करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला है. प्रदेश सरकार ने इस बार कम कर्ज लिया है ताकि किसी तरह प्रदेश को चलाया जा सके और कर्ज के बोझ को धीरे-धीरे कम किया जा सके.

ये भी पढे़ं- विशाल नैहरिया ने सदन में उठाया योल कैंट में टैक्स बढ़ाने का मामला, क्षेत्र में पंचायत चुनाव की मांग

ये भी पढे़ं- सदन में हंगामे के बाद विपक्ष ने वॉकआउट किया, सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

शिमलाः पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार की तरह ही बीजेपी की जयराम सरकार भी कर्ज लेने के रफ्तार को नहीं रोक पाई है. मार्च 2019 तक हिमाचल प्रदेश का कर्ज बढ़कर 54,299 करोड़ तक पहुंच गया है. यह बीते साल से 6.41 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है.

प्रदेश में कर्ज सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 36 फीसदी तक पहुंच गया है. यह जानकारी 2018-2019 को लेकर सदन में कैग की रिपोर्ट में दी गई है. सीएम जयराम ठाकुर ने सोमवार को सदन में 2018-2019 की कैग की रिपोर्ट सदन में रखी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 के दौरान राजस्व खर्च का 73 फीसदी चार घटकों वेतन व मजदूरी, पेंशन, ब्याज अदायगी और उपदानों पर खर्च किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 में बीते साल के मुकाबले राजकोषीय घाटा 358 करोड़ कम हुआ है.

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कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 तक 5,128.42 करोड़ के कुल अनुदानों से जुड़े 5,758 उपयोगता प्रमाण पत्रों में से 2,407 प्रमाणपत्र लांबित पड़े हुए हैं. यह 1,898.80 करोड़ रुपए के हैं. कैग ने कहा है कि प्रमाणपत्रों का भारी संख्या में लांबित रहना अनुदानों के जालसाजी के खतरे को बढ़ाता है.

कैग ने सरकार को इन प्रमाणपत्रों को समयबद्ध तरीके से पेश करने व इन प्रमाणपत्रों को लांबित रखने वालों को अनुदान जारी रखने पर गौर करने को कहा है. यही नहीं जयराम सरकार के 14 स्वायत निकायों में केवल तीन ने अपने 2018-2019 के लेखे पेश किए हैं.

बाकी 11 संस्थानों ने एक साल की देरी के बावजूद सितंबर 2019 तक जांच को कैग को पेश नहीं किए थे. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 से 2017-18 के समय के 8,333.35 करोड़ के ज्यादा किए खर्च को संविधान के अनुच्छेद 205 के तहत सदन से नियमित करवाने की जरूरत थी. इस खर्च को नियमित नहीं किया गया है.

यही नहीं 801.05 करोड़ के अनुदानों को वापस किया गया है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-2019 में राजस्व प्राप्तियों में 13 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. जो बीते साल के 27,367 करोड़ के मुकाबले 30,950 करोड़ तक पहुंच गया, लेकिन राज्य के राजस्व प्राप्तियों में से केवल 33 फीसद की राज्य के अपने संसाधनों से प्राप्त हुई हैं. बाकी 67 फीसद केंद्र सरकार से अनुदान और केंद्रीय करों में राज्य के अंश की हिस्सेदारी है.

दूसरी ओर, प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने कर्ज के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा है. सीएम ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही और उनकी बीजेपी की सरकार को करीब 47 हजार करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला है. प्रदेश सरकार ने इस बार कम कर्ज लिया है ताकि किसी तरह प्रदेश को चलाया जा सके और कर्ज के बोझ को धीरे-धीरे कम किया जा सके.

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