ETV Bharat / city

6 हफ्ते में फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करें राज्य सरकार: हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश में फूड सेफ्टी अधिकारियों की कमी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फूड सेफ्टी अधिकारियों की नियुक्ति, नियमित प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए आदेश जारी किए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई के निर्धारित की गई है.

author img

By

Published : May 2, 2019, 8:33 PM IST

कॉन्सेप्ट ईमेज.

शिमला: हाईकोर्ट शिमला ने छह हफ्ते के भीतर फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं. गुरुवार को सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि अगर मोटर वाहन दुर्घटना मामलों के लिए गठित ट्रिब्यूनल के पास अधिक कार्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में ट्रिब्यून का पीठासीन अधिकारी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अंतर्गत आने वाले पीठासीन अधिकारी के तौर भी काम कर सकता है.

ये भी पढ़ें: NEET के लिए बदला गया शिमला का सेंटर, अब यहां होगा एग्जाम

गौरतलब है कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 की धारा 70 के मुताबिक फूड सेफ्टी से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करना बहुत जरूरी है. इस ट्रिब्यूनल के लिए जिला न्यायाधीश के लेवल का अधिकारी नियुक्त किये जाने का प्रावधान बनाया गया है.

ये भी पढ़ें: अनूठी पहल! मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मेगा नाटी करेंगी 5,200 महिलाएं

कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश में सिर्फ कंडाघाट में एक स्थायी व दो अन्य चलती फिरती प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं. जो नमूनो की तुरंत रिपोर्ट हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है. न्यायालय ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए कि वह और अधिक नियमित प्रयोगशालाएं स्थापित करने पर विचार करें. क्योंकि उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की संख्या तीन लाख के लगभग है.

ये भी पढ़ें: मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने पर बोले धूमल, कांग्रेस और अन्य दलों पर हुई 'सर्जिकल स्ट्राइक'

न्यायालय को यह बताया गया कि प्रदेश में फूड सेफ्टी अधिकारियों की संख्या कम हैं. जिसकी वजह से कार्य सूचारू रूप से नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश जारी करते हुए कहा कि फूड सेफ्टी अधिकारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के बाबत एक माह के भीतर कदम उठाएं. इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई के निर्धारित की गई है.

शिमला: हाईकोर्ट शिमला ने छह हफ्ते के भीतर फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं. गुरुवार को सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि अगर मोटर वाहन दुर्घटना मामलों के लिए गठित ट्रिब्यूनल के पास अधिक कार्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में ट्रिब्यून का पीठासीन अधिकारी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अंतर्गत आने वाले पीठासीन अधिकारी के तौर भी काम कर सकता है.

ये भी पढ़ें: NEET के लिए बदला गया शिमला का सेंटर, अब यहां होगा एग्जाम

गौरतलब है कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 की धारा 70 के मुताबिक फूड सेफ्टी से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करना बहुत जरूरी है. इस ट्रिब्यूनल के लिए जिला न्यायाधीश के लेवल का अधिकारी नियुक्त किये जाने का प्रावधान बनाया गया है.

ये भी पढ़ें: अनूठी पहल! मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मेगा नाटी करेंगी 5,200 महिलाएं

कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश में सिर्फ कंडाघाट में एक स्थायी व दो अन्य चलती फिरती प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं. जो नमूनो की तुरंत रिपोर्ट हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है. न्यायालय ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए कि वह और अधिक नियमित प्रयोगशालाएं स्थापित करने पर विचार करें. क्योंकि उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की संख्या तीन लाख के लगभग है.

ये भी पढ़ें: मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने पर बोले धूमल, कांग्रेस और अन्य दलों पर हुई 'सर्जिकल स्ट्राइक'

न्यायालय को यह बताया गया कि प्रदेश में फूड सेफ्टी अधिकारियों की संख्या कम हैं. जिसकी वजह से कार्य सूचारू रूप से नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश जारी करते हुए कहा कि फूड सेफ्टी अधिकारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के बाबत एक माह के भीतर कदम उठाएं. इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई के निर्धारित की गई है.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वह छ: सप्ताह के भीतर फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करें। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की  खंडपीठ ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि अगर मोटर वाहन दुर्घटना मामलों के लिए गठित ट्रिब्यूनलों के समक्ष अधिक कार्य नहीं है तो उस स्थिति में उसका पीठासीन अधिकारी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अंतर्गत आने वाले पीठासीन अधिकारी के तौर भी काम कर सकता है।  गौरतलब है कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 की धारा 70 के मुताबिक फ़ूड सेफ्टी से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन करना अति आवश्यक है और इस ट्रिब्यूनल के लिए जिला न्यायाधीश के स्तर का अधिकारी नियुक्त किये जाने का प्रावधान बनाया गया है । न्यायालय को बताया गया कि खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रदेश में केवल कंडाघाट में एक स्थायी व दो अन्य चलती फिरती प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है। जो कि पर्याप्त नहीं है ताकि लिए गए नमूनो की तुरंत रिपोर्ट हासिल की जा सके।  न्यायालय ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए कि वह और अधिक नियमित प्रयोगशालाएं स्थापित करने पर विचार करें क्योंकि उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की संख्या तीन लाख के लगभग है। न्यायालय को यह बताया गया कि प्रदेश फूड सेफ्टी अधिकारियों की संख्या कम  है व कम पदों के चलते कार्य सुचारू रूप से नहीं हो रहा है। न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि वह फूड सेफ्टी अधिकारियों की नियुक्ति  व पदोन्नति बाबत एक माह के भीतर कदम उठाए। मामले पर सुनवाई 31 जुलाई के लिए निर्धारित की गई है।  
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.