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युग हत्याकांड: जानिए हाईकोर्ट में 2018 से कब-कब टली सजा-ए-मौत की कन्फर्मेशन से जुड़ी सुनवाई

शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में चर्चित युग हत्याकांड में तीन दोषियों को सजा-ए-मौत सुनाई थी. 18 अप्रैल को यह मामला हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई (final hearing in Shimla Yug murder case) के लिए लगा था, लेकिन अदालत ने सुनवाई 6 हफ्ते बाद के लिए तय की है. युग हत्याकांड में इससे पहले भी मौत की सजा को लेकर कन्फर्मेशन मामले में सुनवाई टलती रही है. आइए जानते हैं हाईकोर्ट में 2018 से कब-कब सजा-ए-मौत की कन्फर्मेशन से जुड़ी सुनवाई टली...

Hearing in Yug murder case in HC
युग हत्याकांड में हाईकोर्ट में सुनवाई.
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Published : Apr 18, 2022, 4:14 PM IST

शिमला: राजधानी के चर्चित युग हत्याकांड में तीन दोषियों को फांसी की सजा (final hearing in Shimla Yug murder case) सुनाई गई है. शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में तीन दोषियों को सजा-ए-मौत सुनाई थी. इस मामले में सजा की कन्फर्मेशन के लिए हाईकोर्ट ने अंतिम फैसला (final hearing on confirmation of death sentence in Shimla Yug murder case) लेना था. सोमवार 18 अप्रैल को यह मामला हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई के लिए लगा था, लेकिन अदालत ने सुनवाई 6 हफ्ते बाद के लिए तय की है. इससे पहले भी मौत की सजा को लेकर कन्फर्मेशन मामले में सुनवाई टलती रही है. 2018 में हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

शिमला की स्थानीय अदालत ने पांच सितंबर 2018 को 3 दोषियों विक्रांत बक्शी, तेजेंद्र पाल व चंद्र शर्मा को फांसी की सजा दी थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला (rarest of rare crime in shimla) बताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई. 25 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए सुनवाई थी. तब सरकारी पक्ष के पास रिकॉर्ड न होने के कारण सुनवाई 9 अक्टूबर 2018 तक टाल दी गई थी. फिर 10 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

जस्टिस करोल की खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग किया और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के विवेक के अनुसार किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सौंपने के आदेश दिए थे. उसके बाद तीन नवंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई फिर से 18 दिसंबर तक टाल दी गई थी. तब न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई तय हुई थी. 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सजा के पुष्टिकरण मामले में नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ में तय की.

हालांकि न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की बैंच ने मासूम बच्चे के कंकाल को उसके पिता को सौंपने के आदेश जरूर जारी (himachal pradesh high court on yug murder case) किए थे. बाद में लंबे समय तक मामले में सुनवाई नहीं हुई और एक अप्रैल 2022 को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की थी. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ में किन्हीं कारणों से सुनवाई नहीं हो सकी और इस मामले में 6 हफ्ते बाद सुनवाई तय की गई.

उल्लेखनीय है कि 14 जून 2014 को शिमला के राम बाजार से एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का फिरौती के लिए अपहरण किया गया था. अपहरण करने वाले तीनों युवक राम बाजार के ही रहने वाले थे. बाद में उन्होंने यातनाएं देकर युग की हत्या कर दी. मासूम का कंकाल अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से मिला था. शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में 5 सितंबर को तीनों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा दी थी.

ये भी पढ़ें: युग हत्याकांड में अब हाईकोर्ट में 6 हफ्ते बाद होगी सुनवाई

शिमला: राजधानी के चर्चित युग हत्याकांड में तीन दोषियों को फांसी की सजा (final hearing in Shimla Yug murder case) सुनाई गई है. शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में तीन दोषियों को सजा-ए-मौत सुनाई थी. इस मामले में सजा की कन्फर्मेशन के लिए हाईकोर्ट ने अंतिम फैसला (final hearing on confirmation of death sentence in Shimla Yug murder case) लेना था. सोमवार 18 अप्रैल को यह मामला हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई के लिए लगा था, लेकिन अदालत ने सुनवाई 6 हफ्ते बाद के लिए तय की है. इससे पहले भी मौत की सजा को लेकर कन्फर्मेशन मामले में सुनवाई टलती रही है. 2018 में हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

शिमला की स्थानीय अदालत ने पांच सितंबर 2018 को 3 दोषियों विक्रांत बक्शी, तेजेंद्र पाल व चंद्र शर्मा को फांसी की सजा दी थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला (rarest of rare crime in shimla) बताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई. 25 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए सुनवाई थी. तब सरकारी पक्ष के पास रिकॉर्ड न होने के कारण सुनवाई 9 अक्टूबर 2018 तक टाल दी गई थी. फिर 10 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

जस्टिस करोल की खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग किया और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के विवेक के अनुसार किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सौंपने के आदेश दिए थे. उसके बाद तीन नवंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई फिर से 18 दिसंबर तक टाल दी गई थी. तब न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई तय हुई थी. 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सजा के पुष्टिकरण मामले में नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ में तय की.

हालांकि न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की बैंच ने मासूम बच्चे के कंकाल को उसके पिता को सौंपने के आदेश जरूर जारी (himachal pradesh high court on yug murder case) किए थे. बाद में लंबे समय तक मामले में सुनवाई नहीं हुई और एक अप्रैल 2022 को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की थी. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ में किन्हीं कारणों से सुनवाई नहीं हो सकी और इस मामले में 6 हफ्ते बाद सुनवाई तय की गई.

उल्लेखनीय है कि 14 जून 2014 को शिमला के राम बाजार से एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का फिरौती के लिए अपहरण किया गया था. अपहरण करने वाले तीनों युवक राम बाजार के ही रहने वाले थे. बाद में उन्होंने यातनाएं देकर युग की हत्या कर दी. मासूम का कंकाल अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से मिला था. शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में 5 सितंबर को तीनों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा दी थी.

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