शिमला: यदि कोई कर्मी बिना आपत्ति के भर्ती प्रक्रिया की शर्तों को मानते हुए उसमें भाग लेता है तो वह नियुक्ति के बाद उन शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने हिमाचल प्रदेश पुलिस जवानों (Himachal Pradesh Police) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया. मामले के अनुसार 01 सितंबर 2015 में भर्ती हुए हिमाचल प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल (Himachal Pradesh Police Constable) ने कोर्ट से याचिका के माध्यम से आग्रह किया था कि उन्हें रिवाइज पे स्केल का लाभ 2 वर्ष की नियमित सेवाओं के बाद दिया जाए.
प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया था कि रिवाइज्ड पे स्केल 1 जनवरी 2015 से पूर्व भर्ती हुए कॉन्स्टेबल को ही देय है और सरकार की यह व्यवस्था कानून के मद्देनजर बनाई गयी है. प्रार्थियों ने याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया कि सभी प्रार्थी 1 जनवरी 2015 से पूर्व हुए भर्ती हुए जवानों की तरह ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार 1 जनवरी 2015 से पूर्व भर्ती कॉन्स्टेबल को रिवाइज्ड पे स्केल का लाभ 2 वर्ष की नियमित सेवाओं के बाद दे रही है, जबकि उन्हें यह लाभ 8 वर्ष की नियमित सेवाओं के बाद दिया जाता है जो की कानून के विपरीत है.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि प्रार्थियों ने भर्ती प्रक्रिया में भाग लेते समय इस पहलू को चुनौती नहीं दी थी, जिसके तहत 8 वर्ष लगातार सेवाएं देने के बाद उन्हें रिवाइज्ड पे स्केल का लाभ दिया जाएगा. कोर्ट ने निर्णय में स्पष्ट किया कि अगर सरकार खुद रिवाइज्ड पे स्केल का लाभ प्रार्थियों को देना चाहे तो उस स्थिति में कोर्ट का यह फैसला किसी भी तरह से उनके आड़े नहीं आएगा.
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