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पीवी नरसिम्हा राव जयंती: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय बोले, पाठ्यक्रम में शामिल हो उनकी जीवनी - पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव

देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी की आज जयंती है. उनका जन्म 28 जून 1921 को वर्तमान तेलंगाना के लेकनेपल्ली में हुआ था. आज उनके जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के तमाम बड़े नताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने पीवी नरसिम्हा राव की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात भी कही.

himachal pradesh Governor on Former PM  PV Narasimha Rao
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
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Published : Jun 28, 2020, 4:25 PM IST

शिमला: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को याद करते हुए कहा कि दक्षिण भारत की भूमि से देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे इस सपूत ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का हर संभव प्रयास किया.

पीवी नरसिम्हा राव ने उस वक्त देश की बागडोर संभाली जब देश आर्थिक रूप से बड़े संकट में फंसा हुआ था. यह उनकी सोच और दूरदर्शिता का ही नतीजा है समाजवाद के चंगुल से निकलकर देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सका और तेज गति से विकास कर पाया.

राज्यपाल ने पीवी नरसिम्हा राव की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात भी कही और कहा कि राज्यों की सरकारों को इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि इस महान शख्स की जीवन से देश की नौजवान पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके.

वीडियो रिपोर्ट.

राज्यपाल ने कहा कि आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दे रहा है. जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया. पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है.

राज्यपाल ने कहा कि नरसिम्हा राव अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे. छोटी उम्र से ही नरसिम्हा राव अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में आगे थे. राज्यपाल ने कहा कि नरसिम्हा राव के जन्म शताब्दी वर्ष में सभी को उनकी जीवन और विचारों के बारे में जानने का प्रयास करना चाहिए और हो सके तो अनुसरण भी करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वह एक और भारतीय मूल्यों में रचते बसते थे तो दूसरी ओर उन्हें साहित्य और विज्ञान का भी अच्छा ज्ञान था. वह भारत के अनुभवी नेताओं में से एक थे. राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्रगति में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

नरसिम्हा राव ऐसे बने प्रधानमंत्री

जून 1991 में कांग्रेस ने आम चुनावों में सबसे अधिक 244 सीटें जीती थी. यह तय था कि सरकार कांग्रेस के नेतृत्व में ही बनेगी, लेकिन उस समय सवाल था कि अल्पमत की इस सरकार का नेतृत्व कौन करेगा. वैसे तो उस समय पार्टी में कई दिग्गज नेता थे, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद से यह चर्चाएं तेज हो गई थी कि पार्टी जीती तो शरद पवार और अर्जुन सिंह प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार होंगे.

तीसरा नाम जाहिर तौर पर पीवी नरसिम्हा राव का था. चूंकि वह तब कांग्रेस के अध्यक्ष थे जब कांग्रेस की तरफ से संसदीय दल का नेता चुनने की बारी आई. तब इन तीनों ने अपनी दावेदारी पेश की आखिर में नरसिंहा राव संसदीय दल के यानी पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार चुन लिए गए उस समय नरसिम्हा राव ने तय किया कि मनमोहन सिंह उनके वित्त मंत्री होंगे.

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का परिचय

पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था. उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय एवं नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की. पीवी नरसिम्हा राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं. पेशे से कृषि विशेषज्ञ एवं वकील राव राजनीति में आए एवं कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला. आंध्र प्रदेश सरकार में कई बार महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे, जिसके बाद वह दिल्ली की राजनीति में आए और यहां कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाया. पीवी नरसिम्हा राव भारत सरकार के विदेश मंत्री गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे. इसके अलावा योजना मंत्रालय का कार्यभार भी उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया. पीवी नरसिम्हा राव भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री भी रहे.

ये भी पढे़ं : पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम चिंता का विषय, इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार: आशा कुमारी

शिमला: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को याद करते हुए कहा कि दक्षिण भारत की भूमि से देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे इस सपूत ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का हर संभव प्रयास किया.

पीवी नरसिम्हा राव ने उस वक्त देश की बागडोर संभाली जब देश आर्थिक रूप से बड़े संकट में फंसा हुआ था. यह उनकी सोच और दूरदर्शिता का ही नतीजा है समाजवाद के चंगुल से निकलकर देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सका और तेज गति से विकास कर पाया.

राज्यपाल ने पीवी नरसिम्हा राव की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात भी कही और कहा कि राज्यों की सरकारों को इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि इस महान शख्स की जीवन से देश की नौजवान पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके.

वीडियो रिपोर्ट.

राज्यपाल ने कहा कि आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दे रहा है. जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया. पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है.

राज्यपाल ने कहा कि नरसिम्हा राव अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे. छोटी उम्र से ही नरसिम्हा राव अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में आगे थे. राज्यपाल ने कहा कि नरसिम्हा राव के जन्म शताब्दी वर्ष में सभी को उनकी जीवन और विचारों के बारे में जानने का प्रयास करना चाहिए और हो सके तो अनुसरण भी करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वह एक और भारतीय मूल्यों में रचते बसते थे तो दूसरी ओर उन्हें साहित्य और विज्ञान का भी अच्छा ज्ञान था. वह भारत के अनुभवी नेताओं में से एक थे. राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्रगति में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

नरसिम्हा राव ऐसे बने प्रधानमंत्री

जून 1991 में कांग्रेस ने आम चुनावों में सबसे अधिक 244 सीटें जीती थी. यह तय था कि सरकार कांग्रेस के नेतृत्व में ही बनेगी, लेकिन उस समय सवाल था कि अल्पमत की इस सरकार का नेतृत्व कौन करेगा. वैसे तो उस समय पार्टी में कई दिग्गज नेता थे, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद से यह चर्चाएं तेज हो गई थी कि पार्टी जीती तो शरद पवार और अर्जुन सिंह प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार होंगे.

तीसरा नाम जाहिर तौर पर पीवी नरसिम्हा राव का था. चूंकि वह तब कांग्रेस के अध्यक्ष थे जब कांग्रेस की तरफ से संसदीय दल का नेता चुनने की बारी आई. तब इन तीनों ने अपनी दावेदारी पेश की आखिर में नरसिंहा राव संसदीय दल के यानी पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार चुन लिए गए उस समय नरसिम्हा राव ने तय किया कि मनमोहन सिंह उनके वित्त मंत्री होंगे.

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का परिचय

पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था. उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय एवं नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की. पीवी नरसिम्हा राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं. पेशे से कृषि विशेषज्ञ एवं वकील राव राजनीति में आए एवं कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला. आंध्र प्रदेश सरकार में कई बार महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे, जिसके बाद वह दिल्ली की राजनीति में आए और यहां कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाया. पीवी नरसिम्हा राव भारत सरकार के विदेश मंत्री गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे. इसके अलावा योजना मंत्रालय का कार्यभार भी उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया. पीवी नरसिम्हा राव भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री भी रहे.

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