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MMU सोलन के पूर्व उपकुलपति डॉ. विपिन सैनी ने अपने निष्कासन को Himachal High Court में दी चुनौती

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Published : Apr 29, 2022, 9:16 PM IST

महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर विपिन सैनी ने अपने निष्कासन को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती (Himachal High Court) दी है. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उसे उपकुलपति के पद से हटाये जाने का निर्णय गलत है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल उच्च न्यायालय

शिमला: महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय (Maharishi Markandeshwar University) के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर विपिन सैनी ने अपने निष्कासन को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मामले में दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद के लिए जरुरी योग्यता रखता है, लेकिन आयोग ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को उपकुलपति पद से हटाने बारे सिफारिश की गई.

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उसे उपकुलपति के पद से हटाये जाने का निर्णय गलत है. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना में दी गई शैक्षणिक योग्यता याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होती क्योंकि याचिकाकर्ता की उपकुलपति के पद पर नियुक्ति वर्ष 2016 में चलित शैक्षणिक योग्यता के आधार पर की गई थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना को पूर्वप्रभावी तरीके से लागू नहीं किया जा सकता.

याचिका में दिए तथ्यों के (Himachal High Court) अनुसार प्रार्थी ने प्रोफेसर के पद पर दस वर्ष और तीन महीने सेवा दी है और वह पूरी तरह से उपकुलपति के पद के लिए जरुरी अनुभव रखता है. भारत के उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि वे भी सिविल सेवक होते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति रह चुके हैं. प्रार्थी ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि उसे महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर फिर से तैनाती करने बारे आदेश पारित किया जाए. बता दें कि मामले की आगामी सुनवाई 2 जून को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें:280 करोड़ रुपए बचाने के लिए हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच में जाएगी हिमाचल सरकार, अदानी समूह से जुड़ा है मामला

शिमला: महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय (Maharishi Markandeshwar University) के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर विपिन सैनी ने अपने निष्कासन को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मामले में दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद के लिए जरुरी योग्यता रखता है, लेकिन आयोग ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को उपकुलपति पद से हटाने बारे सिफारिश की गई.

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उसे उपकुलपति के पद से हटाये जाने का निर्णय गलत है. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना में दी गई शैक्षणिक योग्यता याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होती क्योंकि याचिकाकर्ता की उपकुलपति के पद पर नियुक्ति वर्ष 2016 में चलित शैक्षणिक योग्यता के आधार पर की गई थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना को पूर्वप्रभावी तरीके से लागू नहीं किया जा सकता.

याचिका में दिए तथ्यों के (Himachal High Court) अनुसार प्रार्थी ने प्रोफेसर के पद पर दस वर्ष और तीन महीने सेवा दी है और वह पूरी तरह से उपकुलपति के पद के लिए जरुरी अनुभव रखता है. भारत के उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि वे भी सिविल सेवक होते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति रह चुके हैं. प्रार्थी ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि उसे महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर फिर से तैनाती करने बारे आदेश पारित किया जाए. बता दें कि मामले की आगामी सुनवाई 2 जून को निर्धारित की गई है.

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