शिमलाः हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के चार अफसरों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी. भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में ये सख्त एक्शन लिया जा रहा है. मंगलवार को राज्य बिजली बोर्ड की बीओडी यानी बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स की बैठक में ये कड़ा फैसला लिया गया.
यह बैठक राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष और अतिरिक्त मुख्य सचिव रामसुभग सिंह की अध्यक्षता में हुई. बीओडी मीटिंग में चर्चा के बाद ये निर्णय लिया गया है. मामला कुल्लू की एक निजी कंपनी से जुड़ा है.
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
इस मामले में बिजली बोर्ड के कर्मचारी यूनियन के तेज तर्रार नेता और यूनियन अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने भी बोर्ड को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांगी की थी. कुल्लू की एक निजी कंपनी को बिजली बोर्ड के अफसरों ने नियमों को ताक पर रखकर हाईटेंशन लाइन से कनेक्शन दे दिया था.
दोषियों पर एफआईआर का फैसला
आज से पांच साल पहले ये मामला सामने आया था. इस पर जांच के बाद 2018 में रिपोर्ट आई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई. तीन साल से कार्रवाई का इंतजार था. मंगलवार को बीओडी की मीटिंग में इस मामले में खासी गहमागहमी हुई और अंतत: दोषियों पर एफआईआर का फैसला लिया गया. जांच रिपोर्ट में भी दोषियों के खिलाफ एफआईआर के लिए कहा गया था.
बिजली बोर्ड डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान
इसके अलावा अब राज्य बिजली बोर्ड प्रबंधन दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा. एफआईआर के अलावा तत्कालीन जूनियर इंजीनियर व एसडीओ पर भारी जुर्माना लगाने का भी फैसला हुआ है. मंगलवार को हुई बैठक में बोर्ड के एमडी, अन्य निदेशक और गैर सरकारी निदेशक केआर भारती भी शामिल थे. ये मामला कांग्रेस नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में भी उठाया था. निजी कंपनी व ठेकेदार की मिलीभगत से बिजली बोर्ड को कम से कम डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
धांधली के खिलाफ हुई जांच में दो लोग आरोपी
वहीं, यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा का कहना है कि 8 नवंबर 2014 को एचटी लाइन से निजी कंपनी को कनेक्शन जारी किया गया. बाद में इस धांधली के खिलाफ स्वर उठे तो जांच की गई और जुलाई 2016 में रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट में बोर्ड के दो अफसरों की निजी ठेकेदार के साथ मिलीभगत की पुष्टि हुई.
पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठन
जांच कमेटी ने संबंधित एक्सईन, एसडीओ, ठेकेदार व निजी कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के साथ ही बिजली बोर्ड के धन की वसूली को लेकर एफआईआर की सिफारिश की. इस मिलीभगत से बोर्ड को 1.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया और बिजली बोर्ड के चीफ इंजीनियर नार्थ जोन धर्मशाली की अगुवाई में पांच सदस्यीय एक और जांच कमेटी बना दी गई.
बोर्ड प्रबंधन दोषियों के खिलाफ करेगा एफआईआर
इस कमेटी ने भी 2018 में अपनी रिपोर्ट में संबंधित एसई, एक्सईन व एसडीओ को घोटाले का दोषी पाया. इस तरह से तीन साल से मामला लटका हुआ था, लेकिन मंगलवार को बीओडी की मीटिंग में इस पर अंतिम फैसला हो ही गया. अब बोर्ड प्रबंधन दोषियों के खिलाफ एफआईआर करेगा.
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