किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में दो दिनों पहले पहाड़ों और ऊंचाई वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई थी, जिसके बाद तापमान में भारी गिरावट आई थी. वहीं, मौसम विभाग के अनुसार जिला के कल्पा का तापमान मंगलवार सुबह शून्य से 6 डिग्री कम दर्ज किया गया है, लेकिन बर्फबारी से किसानों ने राहत महसूस की है.
रिकांगपिओ के स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से किन्नौर में सूखा पड़ा हुआ था जिसके चलते खेतों में बिजाई नहीं हो पा रही थी. वहीं, इस वर्ष सूखे के कारण सेब की फसल पर भी प्रभाव पड़ा है और सेब के पेड़ों के सूखने की संभावना भी बनी हुई थी. ऐसे में इस बर्फबारी से जिला के किसानों की फसलों के साथ ही सेब के बागवानों के बगीचों के लिए यह बर्फबारी किसी अमृत से कम नहीं है.
स्थानीय लोगों ने कहा कि अब इस पहली बर्फबारी के बाद सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग आवर के लिए बर्फबारी की जरूरत रहेगी. हालांकि,इस बर्फबारी से अभी चिलिंग आवर पर खास प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन बागवानों और किसानों को सिंचाई से निजात जरूर मिली है.
बता दें कि इस वर्ष जिला किन्नौर की यह पहली बर्फबारी है और अब जिला के नदी नालों के पानी भी जमने के कारण पानी स्त्रोत सूख रहे हैं. आगामी दिनों में पीने के पानी की समस्या भी बढ़ने की संभावना बनी हुई है.
जिले के कई दुर्गम क्षेत्रों जिसमें छितकुल, कुनोचारनग, नेसंग जैसे इलाकों में 9 इंच बर्फबारी से गांव के संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं. पीडब्ल्यूडी कल्पा एक्सईएन प्रकाश नेगी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग सड़कों को खोलने में लगी हुई है. जिला किन्नौर में मंगलवार सुबह से मौसम साफ रहा और जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में काफी चहल पहल देखने को मिली है.
ये भी पढे़ं- अनुराग ने जेएंडके का चुनाव प्रभारी बनाने पर नड्डा का जताया आभार, राहुल गांधी पर साधा निशाना