शिमला: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में खतरनाक स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) से दो महिला मरीज की मौत हो गई है. स्क्रब टाइफस बीमारी से ग्रसित होने के बाद दोनों संक्रमितों को शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान संक्रमितों की मौत हो गई. वीरवार को अस्पताल में 83 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई है. वहीं, देर शाम को एक अन्य महिला ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है. आईजीएमसी अस्पातल में इस बीमारी से मरने वालों संख्या अब सात हो गई है.
इस सीजन में आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि प्रदेश में 284 लोग संक्रमित पाए गए हैं. आईजीएमसी में इस सीजन में स्क्रब टाइफस के 2049 सैंपल लिए गए थे. बरसात के सीजन में अधिक पनपने वाले स्क्रब टाइफस से बचने के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने लोगों से बचाव की अपील की है. आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज का कहना है कि स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल इंफेक्शन है जोकि जानलेवा है. इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं, लेकिन यह घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सू से फैलता है. इसलिए स्क्रब टाइफस के मामले गांवों में ज्यादा आते हैं.
वहीं, इस बार अभी तक प्रदेश में 284 अधिक स्क्रब के मामले सामने आ चुके हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि अभी कोरोना से मौतें व संक्रमितों का आना जारी है, लेकिन अब स्क्रब टाइफस ने लोगों की चिताएं बढ़ा दी हैं. डॉक्टरों का मानना है कि स्क्रब टाइफस पीछले साल की अपेक्षा इस बार काफी तेजी से फैल रहा है. अगर लोगों ने लापरवाही बरती तो स्क्रब टाइफस से काफी लोगों की जान जा सकती है.
हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी की अगर बात की जाए तो इस साल अब तक 90 से अधिक मरीज स्क्रब टाइफस से ग्रसित होकर पहुंचे हैं. रोजाना आ रहे स्क्रब के मामलों के चलते स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के साथ इसे भी सर्तकता बरतने के निर्देश दिए हैं ताकि इन जानलेवा बीमारी से बचा जा सके. बरसात के दिनों में जल जनित बीमारियों भी अधिक फैलती हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है. ध्यान रहे कि अगर घास काटने जाते हैं और उसके बाद कुछ लक्षण महसूस हो तो चिकित्सक को जरूर बताएं कि घाट काटने या बगीचे में गए थे. ताकि चिकित्सक समय से उसका इलाज कर सकें.
ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस: स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है. इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है. लोगों को जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार की शिकायत होती है. 104 से 105 तक बुखार संभव है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू, कमर के नीचे गिल्टी/गांठ होना आदि इसके लक्षण है.
स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर और आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर और आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.
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