शिमला: हिमाचल विधानसभा में विपक्ष की तरफ से काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ओपीएस की बहाली पर जमकर चर्चा हुई. कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि जब विधायकों और अफसरों को पेंशन मिल रही है तो कर्मियों को ओपीएस लागू करने में क्या दिक्कत है. राकेश सिंघा ने भी ओपीएस का बहाली का रास्ता निकालने की बात कही.
चर्चा का जवाब देते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस बार-बार कह रही है कि ओपीएस लागू करेंगे, लेकिन ये कठिन काम है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे कर्मचारियों से भी निवेदन कर रहे हैं कि वस्तुस्थिति को समझें. कांग्रेस इस मसले पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. सीएम ने कहा कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने वादा तो कर दिया, लेकिन वे अब खुद स्वीकार कर रहे हैं कि इसे बहाल करना इतना आसान नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार इस मसले पर संजीदगी से कोई हल निकालना चाहती है. इसी कारण हाई पावर कमेटी का गठन किया है. राज्य सरकार ओपीएस के विभिन्न पहलुओं पर सहानुभूति से विचार कर रही है. केंद्र से भी मामला उठाया है. राज्य सरकार कुछ बेहतर करने का प्रयास कर रही है.
विपक्ष पर पलटवार करते हुए सीएम ने कहा कि (Discussion on OPS in Himachal Vidhan Sabha) एनपीएस को लागू करने वाला हिमाचल पहला राज्य था. हमने तो इसे शुरू नहीं किया. सीएम ने कहा कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकारों के एक्शन का हमारी सरकार ने भी फीडबैक लिया है. वहां सरकारों को समझ आ गया है कि इसे लागू करना आसान नहीं है. सीएम ने कहा कि पीएफआरडीए में जो पैसा जाता है, उसे निवेश किया गया है. उस पैसे को वापिस करना आसान नहीं है.
इससे पहले ओपीएस के मसले पर कांग्रेस नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य बार-बार ये पूछते हैं कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा? सुक्खू ने कहा कि जब क्लास-वन व क्लास-टू ऑफिसर्ज और विधायकों को पेंशन मिल सकती है तो कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ क्यों नहीं मिल सकता. सुक्खू ने कहा कि हिमाचल के विकास में कर्मचारियों का योगदान है और कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर ओपीएस बहाल करेगी.
राकेश सिंघा ने सदन में कहा कि इस समय ओपीएस का मुद्दा राज्य का मुख्य मुद्दा बन गया है. इस मामले में कोई भी सही फैसला लिए बिना जनता के मन में खरा नहीं उतर पाएगा. सिंघा ने वर्ष 2006 में लाए गए सिविल सर्विसिज कंट्रीब्यूट्री पेंशन रूल्ज का जिक्र किया और कहा कि जब पुराने नियम 2003 में समाप्त कर दिए गए तो तीन साल के ट्रांजेक्टरी पीरियड का क्या हुआ. राकेश सिंघा ने सीएम जयराम ठाकुर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आप क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे, ये हम नहीं जानते, लेकिन ये तर्क गलत है कि ओपीएस को री-इंस्टेट नहीं किया जा सकता. सिंघा ने कहा कि वो इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि प्रॉविडेंट फंड रेगुलेटरी डवलपमेंट अथॉरिटी यानी पीएफआरडीए और एनएसडीएल यानी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजट्री लिमिटेड इसकी अनुमति नहीं देते.
सिंघा ने सदन में विद्या उपासकों के उदाहरण से साबित किया कि ऐसा संभव हो सकता है. विद्या उपासक वर्ष 2000 में भर्ती हुए और 2007 में नियमित हो गए. वर्ष 2007 के बाद वे एनपीएस में आए. उन्होंने अपनी ओपीएस की लड़ाई लड़ी और अदालत के आदेश के बाद वे ओपीएस का लाभ ले रहे हैं. जब विद्या उपासकों को ये लाभ मिल सकता है तो अन्य को क्यों नहीं. सिंघा ने कहा कि ये पॉलिटिकल विल का सवाल है. वहीं, चर्चा के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने जो भी कहा, उससे संकेत मिलते हैं कि राज्य में ओपीएस बहाल करने के लिए मौजूदा सरकार के पास कोई खास रास्ता नहीं है. अलबत्ता सरकार सारे मसले पर विस्तृत अध्ययन जरूर कर रही है.
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