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एचपीयू के दिव्यांग छात्रों ने कुलसचिव के खिलाफ खोला मोर्चा, राज्यपाल को लिखा पत्र

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों की ओर से डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन ने एचपीयू के कुलसचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये मोर्चा विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों को उनकी कानूनी अधिकार से वंचित रखने के चलते एसोसिएशन की ओर से खोला गया है. दरअसल छात्रों ने एचपीयू रजिस्ट्रार को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार को पत्र लिखकर शिकायत दी है.

Disabled Students written letter for Governor Bandaru Dattatreya in shimla
एचपीयू
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Published : Dec 16, 2019, 4:03 AM IST

Updated : Dec 16, 2019, 8:14 AM IST

शिमला:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों की ओर से डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन ने एचपीयू के कुलसचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये मोर्चा विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों को उनकी कानूनी अधिकार से वंचित रखने के चलते एसोसिएशन की ओर से खोला गया है. दरअसल छात्रों ने एचपीयू रजिस्ट्रार को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार को पत्र लिखकर शिकायत दी है.

बता दें कि छात्रों ने इस बाबत राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार को पत्र लिखकर दी गई शिकायत में डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन की ओर से यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि एचपीयू रजिस्ट्रार हाई कोर्ट और कुलपति के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और छात्रों को उनके कानूनी अधिकार देने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है.

डीएसवाईए के संयोजक मुकेश कुमार और सह संयोजक सबीना जहां ने बताया कि राज्यपाल को भेजे पत्र में ये आरोप लगाया है कि एचपीयू रजिस्ट्रार विकलांग विद्यार्थियों को एचपीयू में पांच फीसदी आरक्षण देने के हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं.

अदालत ने पांच नवंबर 2008 को दृष्टिबाधित छात्रा इंदु कुमारी की जनहित याचिका में फैसला लेते हुए कहा था कि दिव्यांग विद्यार्थियों को हर साल प्रत्येक कक्षा में 5 फीसदी आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है. संयोजक मुकेश कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल में पुरानी रनिंग रोस्टर व्यवस्था बंद करने के आदेश दिए हैं, लेकिन1 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये फैसला एचपीयू में लागू नहीं किया गया है.


हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 2019-20 सत्र में भी विश्वविद्यालय ने एमफिल और पीएचडी में दाखिले कर दिए हैं, जो कि अदालत की अवमानना है. उन्होंने कहा कि एचपीयू में एक सुगम्य लाइब्रेरी दृष्टिबाधित छात्रों के लिए बनाई गई है, जिसमें लगाए गए 17 कंप्यूटरों में से मात्र चार कंप्यूटरों में ही टॉकिंग सॉफ्टवेयर काम कर रहे हैं.

वीडियो

छात्रों ने पत्र में लिखा है कि इस पुस्तकालय में बैठने के लिए कुर्सी मेज और ठंड से बचने के लिए अच्छा हीटर तक नहीं है. साथ ही सुगम लाइब्रेरी में तैनात जूनियर ऑफिस असिस्टेंट का तबादला भी 24 सितंबर को कर दिया गया है. इसके बाद कुलपति ने वहां दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की सहायता के लिए दूसरा कर्मचारी तैनात करने के आदेश दिए हैं, लेकिन आज तक वहां किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है.

इसके अलावा कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार आदेशों के बावजूद भी विकलांग विद्यार्थियों के लिए शौचालय तक का प्रबंध नहीं किया गया है. जिससे सबसे ज्यादा परेशानी दृष्टिबाधित छात्राओं को उठानी पड़ रही है. ऐसे में छात्रों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर ये मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई की जाए और छात्रों को उनके अधिकार दिए जाएं.

शिमला:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों की ओर से डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन ने एचपीयू के कुलसचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये मोर्चा विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों को उनकी कानूनी अधिकार से वंचित रखने के चलते एसोसिएशन की ओर से खोला गया है. दरअसल छात्रों ने एचपीयू रजिस्ट्रार को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार को पत्र लिखकर शिकायत दी है.

बता दें कि छात्रों ने इस बाबत राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार को पत्र लिखकर दी गई शिकायत में डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन की ओर से यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि एचपीयू रजिस्ट्रार हाई कोर्ट और कुलपति के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और छात्रों को उनके कानूनी अधिकार देने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है.

डीएसवाईए के संयोजक मुकेश कुमार और सह संयोजक सबीना जहां ने बताया कि राज्यपाल को भेजे पत्र में ये आरोप लगाया है कि एचपीयू रजिस्ट्रार विकलांग विद्यार्थियों को एचपीयू में पांच फीसदी आरक्षण देने के हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं.

अदालत ने पांच नवंबर 2008 को दृष्टिबाधित छात्रा इंदु कुमारी की जनहित याचिका में फैसला लेते हुए कहा था कि दिव्यांग विद्यार्थियों को हर साल प्रत्येक कक्षा में 5 फीसदी आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है. संयोजक मुकेश कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल में पुरानी रनिंग रोस्टर व्यवस्था बंद करने के आदेश दिए हैं, लेकिन1 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये फैसला एचपीयू में लागू नहीं किया गया है.


हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 2019-20 सत्र में भी विश्वविद्यालय ने एमफिल और पीएचडी में दाखिले कर दिए हैं, जो कि अदालत की अवमानना है. उन्होंने कहा कि एचपीयू में एक सुगम्य लाइब्रेरी दृष्टिबाधित छात्रों के लिए बनाई गई है, जिसमें लगाए गए 17 कंप्यूटरों में से मात्र चार कंप्यूटरों में ही टॉकिंग सॉफ्टवेयर काम कर रहे हैं.

वीडियो

छात्रों ने पत्र में लिखा है कि इस पुस्तकालय में बैठने के लिए कुर्सी मेज और ठंड से बचने के लिए अच्छा हीटर तक नहीं है. साथ ही सुगम लाइब्रेरी में तैनात जूनियर ऑफिस असिस्टेंट का तबादला भी 24 सितंबर को कर दिया गया है. इसके बाद कुलपति ने वहां दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की सहायता के लिए दूसरा कर्मचारी तैनात करने के आदेश दिए हैं, लेकिन आज तक वहां किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है.

इसके अलावा कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार आदेशों के बावजूद भी विकलांग विद्यार्थियों के लिए शौचालय तक का प्रबंध नहीं किया गया है. जिससे सबसे ज्यादा परेशानी दृष्टिबाधित छात्राओं को उठानी पड़ रही है. ऐसे में छात्रों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर ये मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई की जाए और छात्रों को उनके अधिकार दिए जाएं.

Intro:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों की ओर से डिसेबल स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन ने एचपीयू के कुलसचिव के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। यह मोर्चा विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों को उनकी कानूनी अधिकार से वंचित रखने के चलते एसोसिएशन की ओर से खोला गया है। इस बाबत राज्यपाल और विश्वविद्यालय कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय को एक पत्र लिखकर शिकायत छात्रों ने दी है। डिसएबल्ड स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन की ओर से यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि एचपीयू रजिस्ट्रार हाई कोर्ट और कुलपति के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और छात्रों को उनके कानूनी अधिकार देने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है।


Body:डीएसवाईए के संयोजक मुकेश कुमार और सह संयोजक सबीना जहां ने राज्यपाल को भेजे पत्र में यह आरोप लगाया है कि एचपीयू रजिस्ट्रार विकलांग विद्यार्थियों को एचपीयू में 5 फ़ीसदी आरक्षण देने के हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। अदालत ने 5 नवंबर 2008 को दृष्टिबाधित छात्रा इंदु कुमारी की जनहित याचिका में फैसला लेते हुए कहा था कि दिव्यांग विद्यार्थियों को हर वर्ष प्रत्येक कक्षा में 5 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट में दाखिल में में पुरानी रनिंग रोस्टर व्यवस्था बंद करने के आदेश दिए हैं । मगर 1 वर्ष के ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी यह फैसला एचपीयू में लागू नहीं किया गया है। हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 2019-20 सत्र में भी विश्वविद्यालय ने एमफिल और पीएचडी में दाखिले कर दिए जो कि अदालत की अवमानना है। इसके साथ ही एचपीयू में एक सुगम्य लाइब्रेरी दृष्टिबाधित छात्रों के लिए बनाई गई है जिसकी हालत बदतर है। इसमें लगाए गए 17 कंप्यूटरों में से मात्र 4 कंप्यूटरों में ही टॉकिंग सॉफ्टवेयर काम कर रहे हैं।


Conclusion:छात्रों ने पत्र में लिखा है कि इस पुस्तकालय में बैठने के लिए कुर्सी मेज और ठंड से बचने के लिए अच्छा हीटर तक नहीं है। इसके साथ ही सुगम लाइब्रेरी में तैनात जूनियर ऑफिस असिस्टेंट का तबादला भी 24 सितंबर को कर दिया गया है। इसके बाद कुलपति ने वहां दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की सहायता के लिए दूसरा कर्मचारी तैनात करने के आदेश दिए हैं,लेकिन आज तक वहां किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है। इसके साथ ही कुलपति के आदेशों के बावजूद भी विकलांग विद्यार्थियों के लिए शौचालय तक का प्रबंध नहीं किया गया है जिससे कि सबसे ज्यादा परेशानी दृष्टिबाधित छात्राओं को उठानी पड़ रही है। अब छात्रों ने राज्यपाल को पत्र लिख यह मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई की जाए और छात्रों को उनके अधिकार दिए जाएं।
Last Updated : Dec 16, 2019, 8:14 AM IST
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