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देवभूमि क्षत्रिय संगठन का शिमला में प्रदर्शन, पथराव में एसएसपी समेत कई जख्मी, सीएम जयराम को दिया अल्टीमेटम

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Published : Mar 16, 2022, 12:01 PM IST

Updated : Mar 16, 2022, 4:32 PM IST

हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में सामान्य वर्ग आयोग को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया जिसके विरोध में बुधवार को देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सुबह तारा देवी से शिमला तक पैदल मार्च कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी (Devbhoomi Kshatriya Organization Protest in Shimla) की. वहीं, पुलिस कर्मियों द्वारा रोके जाने पर उन पर पथराव भी किया जिसके कारण शिमला एएसपी के साथ कुछ पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटे आई है. जिन्हें उपचार के लिए आईजीएमसी लाया गया है. वहीं शिमला के आईएसबीटी से क्रॉसिंग को पूरी तरह सील कर दिया (Devbhoomi Kshatriya Organization Rally) है. क्रॉसिंग में बेरिकेट्स लगाए गए है ताकि प्रदर्शनकारी शहर में प्रवेश न कर सके.

Devbhoomi Kshatriya Organization Protest in Shimla
देवभूमि क्षत्रिय संगठन का शिमला में प्रदर्शन

शिमला: हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में सामान्य वर्ग आयोग को लेकर बिल नहीं लाया (Devbhoomi Kshatriya Organization) गया. जिसके विरोध में बुधवार को देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सुबह तारा देवी से शिमला तक पैदल मार्च शुरू (Devbhoomi Kshatriya Organization Protest in Shimla) किया. पैदल मार्च के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा शोघी में रोके जाने पर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पुलिस पर पथराव (Clash between police and Devbhoomi Organization) किया. पथराव के कारण कई शिमला एएसपी के साथ कुछ पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटे आई है. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने सीएम जयराम ठाकुर को 1.15 बजे तक प्रदर्शन स्थल पर आने का अल्टीमेटम दिया है.

जगह-जगह तैनात किए गए पुलिस कर्मी- पुलिस कर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए शिमला के आईएसबीटी से क्रॉसिंग को पूरी तरह सील कर दिया (Devbhoomi Kshatriya Organization Rally) है. प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश से रोकने के लिए जगह-जगह बेरिकेट्स लगाए गए है. सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स लगा दी गई है ताकि धारा 144 का पालन किया जा सके. देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदर्शन के कारण शहर में ट्रैफिक की स्थिति से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है.

देवभूमि क्षत्रिय संगठन का शिमला में प्रदर्शन

संगठन ने चक्का जाम की दी थी चेतावनी- आपको बता दें कि देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सवर्ण आयोग बनाने की मांग को लेकर पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर बजट सत्र में इससे संबंधित कोई प्रावधान नहीं किया गया तो 16 मार्च को चक्का जाम करेंगे. इसी के चलते पुलिस ने पहले ही शहर में धारा 144 लगा दी थी. हालांकि पूरे प्रदेश से संगठन से जुड़े लोग शिमला पहुंच रहे हैं.

सिरमौर में भी हो रहा प्रदर्शन- देवभूमि क्षत्रिय संगठन के आह्वान पर सिरमौर में सवर्ण समाज से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, नाहन-शिमला मार्ग पर दोसड़का में पुलिस और संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच आपसी झड़प हो गयी. जिसमें 5 पुलिसकर्मी घायल हो गये. दो वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए. सिरमौर एसपी ओमपति जमवाल ने कहा कि मामला दर्ज कर लिया गया है.

बजट सत्र में विधेयक लाने का सीएम ने दिया था आश्वासन- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सवर्ण समाज के आंदोलन कारियों के बीच मे जाकर मध्यप्रदेश की तर्ज पर हिमाचल में एक साल के लिए सामान्य वर्ग आयोग बनाने का ऐलान किया था और मौके पर ही इसकी अधिसूचना जारी की थी. सीएम जयराम ने सवर्ण समाज को आश्वासन दिया था कि आगामी बजट सत्र में सरकार विधानसभा में संवैधानिक रूप से सवर्ण आयोग के गठन को लेकर विधेयक लाया जाएगा, लेकिन बजट सत्र बीत जाने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया. जिसके बाद समाज के लोग प्रदर्शन करने के लिए शिमला में इकट्ठा हुए हैं.

सरकार ने बताई थी सामान्य आयोग की कार्यप्रणाली- राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सामान्य वर्ग आयोग के लिए जारी नोटिफिकेशन में आयोग कार्यप्रणाली और स्वरूप के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई थी. सामान्य वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष और 2 सदस्य होंगे. राज्य सरकार में संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी इसका सदस्य सचिव होगा. आयोग का मुख्यालय शिमला में होगा. आयोग का कार्यकाल 1 साल का होगा जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. इसकी कार्यप्रणाली और स्वरूप के बारे में भी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है.

सामान्य वर्ग की समस्याओं का निरीक्षण करेगा- सरकार आयोग को इसके कार्य को कुशलता से करने के लिए जरूरी स्टाफ भी देगी. ये सरप्लस पूल, सेकंडमेंट या आउटसोर्स से नियुक्त होगा. आयोग की बैठक उसी समय होगी, जब यह जरूरी होगी और आयोग अध्यक्ष इसे बुलाना चाहेगा. सामान्य वर्ग के गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण और अध्ययन करेगा. उनके उत्थान के लिए विकास योजनाएं बनाएगा. इसके अलावा दूसरे राज्यों की नीतियों का भी अध्ययन करेगा. आयोग सामान्य वर्ग की समस्याओं और मुद्दों का निरीक्षण करेगा.

धर्मशाला में हुआ था जोरदार प्रदर्शन- धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सवर्ण समाज (power of upper caste commission) के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस समाज के लोगों का आरोप था कि हिमाचल में किसी भी सरकार ने सामान्य वर्ग की सुध नहीं ली है, जबकि हिमाचल की 50 फीसदी आबादी इस वर्ग से संबंधित है. विधानसभा उपचुनाव से पूर्व कुनिहार में इस समाज से जुड़े लोगों ने नाराजगी के तौर पर नोटा का बटन भी दबाया. बड़ी संख्या में नोटा का बटन दबने से न केवल भाजपा सरकार बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस भी सियासी चिंता में पड़ गई थी.

सीएम ने की थी सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा- धर्मशाला में सवर्ण आयोग के गठन की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन कई माह बीत जाने के बाद आयोग की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी, जिसको लेकर एक बार फिर देवभूमि क्षत्रिय संगठन एक बार फिर सड़कों पर है.

हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज का दबदबा- हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज (upper caste commission in himachal) का ही दबदबा रहा है. इसमें भी राजपूत हावी रहे हैं. हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक राजपूत समुदाय से आते हैं. हिमाचल में केवल शांता कुमार ही ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री रहे हैं. वहीं, हिमाचल में दलित वर्ग का कोई राजनेता मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंचा है. अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री जरूर दलित वर्ग से बनते रहे हैं. भाजपा ने पहली बार एक दलित नेता के हाथ हिमाचल में पार्टी की कमान सौंपी है.

हिमाचल के जातिगत आंकड़ें- यदि पूर्व की जनगणना को देखें तो हिमाचल प्रदेश की आबादी 68 लाख 56 हजार 509 है. इस आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 25.22 फीसदी है. कुल आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 17 लाख 29 हजार 252 है. इसी तरह एसटी 3 लाख 92 हजार 126 (5.71 परसेंट) ओबीसी 9 लाख 27 हजार 452 (13.52 प्रतिशत) स्वर्ण 50.72 प्रतिशत और अल्पसंख्यक 4.83 प्रतिशत हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली सीएम केजरीवाल पर अनुराग का तंज, कहा- कभी राजनीति में नहीं आने की खाते थे कसमें और आज...

शिमला: हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में सामान्य वर्ग आयोग को लेकर बिल नहीं लाया (Devbhoomi Kshatriya Organization) गया. जिसके विरोध में बुधवार को देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सुबह तारा देवी से शिमला तक पैदल मार्च शुरू (Devbhoomi Kshatriya Organization Protest in Shimla) किया. पैदल मार्च के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा शोघी में रोके जाने पर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पुलिस पर पथराव (Clash between police and Devbhoomi Organization) किया. पथराव के कारण कई शिमला एएसपी के साथ कुछ पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटे आई है. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने सीएम जयराम ठाकुर को 1.15 बजे तक प्रदर्शन स्थल पर आने का अल्टीमेटम दिया है.

जगह-जगह तैनात किए गए पुलिस कर्मी- पुलिस कर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए शिमला के आईएसबीटी से क्रॉसिंग को पूरी तरह सील कर दिया (Devbhoomi Kshatriya Organization Rally) है. प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश से रोकने के लिए जगह-जगह बेरिकेट्स लगाए गए है. सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स लगा दी गई है ताकि धारा 144 का पालन किया जा सके. देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदर्शन के कारण शहर में ट्रैफिक की स्थिति से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है.

देवभूमि क्षत्रिय संगठन का शिमला में प्रदर्शन

संगठन ने चक्का जाम की दी थी चेतावनी- आपको बता दें कि देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सवर्ण आयोग बनाने की मांग को लेकर पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर बजट सत्र में इससे संबंधित कोई प्रावधान नहीं किया गया तो 16 मार्च को चक्का जाम करेंगे. इसी के चलते पुलिस ने पहले ही शहर में धारा 144 लगा दी थी. हालांकि पूरे प्रदेश से संगठन से जुड़े लोग शिमला पहुंच रहे हैं.

सिरमौर में भी हो रहा प्रदर्शन- देवभूमि क्षत्रिय संगठन के आह्वान पर सिरमौर में सवर्ण समाज से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, नाहन-शिमला मार्ग पर दोसड़का में पुलिस और संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच आपसी झड़प हो गयी. जिसमें 5 पुलिसकर्मी घायल हो गये. दो वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए. सिरमौर एसपी ओमपति जमवाल ने कहा कि मामला दर्ज कर लिया गया है.

बजट सत्र में विधेयक लाने का सीएम ने दिया था आश्वासन- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सवर्ण समाज के आंदोलन कारियों के बीच मे जाकर मध्यप्रदेश की तर्ज पर हिमाचल में एक साल के लिए सामान्य वर्ग आयोग बनाने का ऐलान किया था और मौके पर ही इसकी अधिसूचना जारी की थी. सीएम जयराम ने सवर्ण समाज को आश्वासन दिया था कि आगामी बजट सत्र में सरकार विधानसभा में संवैधानिक रूप से सवर्ण आयोग के गठन को लेकर विधेयक लाया जाएगा, लेकिन बजट सत्र बीत जाने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया. जिसके बाद समाज के लोग प्रदर्शन करने के लिए शिमला में इकट्ठा हुए हैं.

सरकार ने बताई थी सामान्य आयोग की कार्यप्रणाली- राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सामान्य वर्ग आयोग के लिए जारी नोटिफिकेशन में आयोग कार्यप्रणाली और स्वरूप के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई थी. सामान्य वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष और 2 सदस्य होंगे. राज्य सरकार में संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी इसका सदस्य सचिव होगा. आयोग का मुख्यालय शिमला में होगा. आयोग का कार्यकाल 1 साल का होगा जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. इसकी कार्यप्रणाली और स्वरूप के बारे में भी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है.

सामान्य वर्ग की समस्याओं का निरीक्षण करेगा- सरकार आयोग को इसके कार्य को कुशलता से करने के लिए जरूरी स्टाफ भी देगी. ये सरप्लस पूल, सेकंडमेंट या आउटसोर्स से नियुक्त होगा. आयोग की बैठक उसी समय होगी, जब यह जरूरी होगी और आयोग अध्यक्ष इसे बुलाना चाहेगा. सामान्य वर्ग के गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण और अध्ययन करेगा. उनके उत्थान के लिए विकास योजनाएं बनाएगा. इसके अलावा दूसरे राज्यों की नीतियों का भी अध्ययन करेगा. आयोग सामान्य वर्ग की समस्याओं और मुद्दों का निरीक्षण करेगा.

धर्मशाला में हुआ था जोरदार प्रदर्शन- धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सवर्ण समाज (power of upper caste commission) के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस समाज के लोगों का आरोप था कि हिमाचल में किसी भी सरकार ने सामान्य वर्ग की सुध नहीं ली है, जबकि हिमाचल की 50 फीसदी आबादी इस वर्ग से संबंधित है. विधानसभा उपचुनाव से पूर्व कुनिहार में इस समाज से जुड़े लोगों ने नाराजगी के तौर पर नोटा का बटन भी दबाया. बड़ी संख्या में नोटा का बटन दबने से न केवल भाजपा सरकार बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस भी सियासी चिंता में पड़ गई थी.

सीएम ने की थी सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा- धर्मशाला में सवर्ण आयोग के गठन की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन कई माह बीत जाने के बाद आयोग की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी, जिसको लेकर एक बार फिर देवभूमि क्षत्रिय संगठन एक बार फिर सड़कों पर है.

हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज का दबदबा- हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज (upper caste commission in himachal) का ही दबदबा रहा है. इसमें भी राजपूत हावी रहे हैं. हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक राजपूत समुदाय से आते हैं. हिमाचल में केवल शांता कुमार ही ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री रहे हैं. वहीं, हिमाचल में दलित वर्ग का कोई राजनेता मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंचा है. अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री जरूर दलित वर्ग से बनते रहे हैं. भाजपा ने पहली बार एक दलित नेता के हाथ हिमाचल में पार्टी की कमान सौंपी है.

हिमाचल के जातिगत आंकड़ें- यदि पूर्व की जनगणना को देखें तो हिमाचल प्रदेश की आबादी 68 लाख 56 हजार 509 है. इस आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 25.22 फीसदी है. कुल आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 17 लाख 29 हजार 252 है. इसी तरह एसटी 3 लाख 92 हजार 126 (5.71 परसेंट) ओबीसी 9 लाख 27 हजार 452 (13.52 प्रतिशत) स्वर्ण 50.72 प्रतिशत और अल्पसंख्यक 4.83 प्रतिशत हैं.

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Last Updated : Mar 16, 2022, 4:32 PM IST
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