शिमला: सीमित आर्थिक संसाधनों वाले हिमाचल प्रदेश पर 62 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज (Debt on Himachal Pradesh) है. इधर, चुनावी साल में मिशन रिपीट के लिए जयराम सरकार मुफ्त के चंदन के आसरे दिख रही है. हिमाचल में बिजली बोर्ड और पथ परिवहन निगम सैकड़ों करोड़ के घाटे में हैं, परंतु भाजपा सरकार ने इन्हीं दोनों संस्थाओं से जुड़ी सेवाओं में निशुल्क राहत की बौछार (cm jairam announces free power and water) की है. हिमाचल दिवस पर सरकार ने परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों के लिए किराए में 50 फीसदी की छूट (50% discount for female passengers in HRTC buses) दे दी है. वहीं, 60 यूनिट निशुल्क बिजली का दायरा बढ़ाकर अब 125 यूनिट कर दिया गया है. ग्रामीण इलाकों में पानी के बिल माफ करने के साथ ही निशुल्क पेयजल देने का ऐलान किया गया है.
कैग रिपोर्ट में हिमाचल सरकार को बार-बार चेताया गया है कि राज्य कर्ज के जाल में (Debt on Himachal Pradesh) फंस रहा है. लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने में ही करोड़ों रुपए अदा करने पड़ते हैं. बिना कर्ज हिमाचल की गाड़ी चलना मुश्किल है. पहले राज्य सरकारें किराया बढ़ाने पर तर्क देती थी कि पैट्रोलियम पदार्थ महंगे होने से किराया बढ़ाना मजबूरी है. अब महंगे पेट्रोल तथा डीजल के बावजूद किराए में कटौती की गई है.
हिमाचल सरकार को निशुल्क बिजली देने पर 126 करोड़ रुपए सालाना का बोझ उठाना होगा. हिमाचल पथ परिवहन निगम 1800 करोड़ से अधिक के घाटे में है. अब महिला यात्रियों के लिए किराए में छूट से घाटा और बढ़ेगा. इसके अलावा सरकार की इस घोषणा से निजी बस ऑपरेटरों में भी खासा रोष है. निजी बस ऑपरेटरों के कहना है कि डीजल के दाम में लगातार बढ़ोतरी (diesel price in himachal) हो रही है ऐसे में प्रदेश सरकार की इस घोषणा से निजी बस ऑपरेटरों को भारी घाटा झेलना पड़ सकता है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Himachal BJP President Suresh Kashyap) का कहना है कि हिमाचल प्रदेश बिजली सरप्लस राज्य है ऐसे में प्रदेश सरकार ने जनता को महंगाई से राहत देने के लिए यह फैसला लिया है.
विकास के लिए प्रदेश में बचते हैं कम पैसे: हिमाचल का मौजूदा बजट देखा जाए तो नया वेतन आयोग लागू होने से पहले प्रति सौ रुपए में से वेतन पर 26 रुपए का खर्च हो रहा है. पेंशन पर 15 रुपए, कर्ज अदा करने पर 11 रुपए, लिए गए कर्ज का ब्याज अदा करने पर 10 रुपए खर्च हो रहे हैं. विकास के लिए हिमाचल को बहुत कम पैसा बचता है. हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (Himachal Pradesh Road Transport Corporation) के पास 3200 के करीब साधारण बसें, 75 इलेक्ट्रिक बसें, 21 टैक्सियां और 50 इलेक्ट्रिक टैक्सियां है.
हिमाचल में निजी बसें अधिक: निजी क्षेत्र में सरकारी से अधिक बसें हैं. निजी क्षेत्र में 3267 बसें चल रही हैं. एचआरटीसी में पहले से ही विभिन्न योजनाएं चल रही हैं जिनमें निशुल्क यात्रा सुविधा है. स्कूली छात्रों को निशुल्क यात्रा सुविधा है. इसके अलावा गंभीर रोगियों को भी निशुल्क यात्रा सुविधा दी जाती है. करीब 9 योजनाएं ऐसी हैं जिनमें कम किराए या निशुल्क यात्रा का प्रावधान है. अगर घाटे की बात करें तो बिजली 1600 करोड़ और हिमाचल पथ परिवहन 1400 करोड़ रुपए के घाटे में है. नए फैसले के अनुसार 125 यूनिट बिजली निशुल्क देने से सरकार को सालाना 126 करोड़ रुपए सब्सिडी बिजली बोर्ड को देनी होगी.
हिमाचल की वित्तीय स्थिति: हिमाचल पथ परिवहन निगम में जिन 9 योजनाओं के तहत निशुल्क अथवा छूट के साथ यात्रा की सुविधा है, उसपर सालाना साढ़े सात सौ करोड़ रुपए खर्च होते हैं. अब अतिरिक्त 25 फीसदी छूट के बाद यह बोझ करीब 18 करोड़ रुपए मासिक हो जाएगा. यानी साल में एचआरटीसी को इसी अतिरिक्त निशुल्क सुविधा पर 22 करोड़ रुपए के करीब रकम खर्च करनी पड़ेगी. यदि हिमाचल की वित्तीय स्थिति (Himachal financial position) को देखें तो राज्य को अपना खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ता है. अभी कर्मचारियों को नए वेतन आयोग के लाभ दिए गए हैं. उससे हिमाचल के खजाने पर 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक सालाना का बोझ पड़ा है.
परिवहन निगम के ग्रांट में हो सकती है बढ़ोतरी: इस साल हिमाचल प्रदेश की सालाना लोन लिमिट 10 हजार करोड़ से अधिक हो सकती है. राज्य में 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं और पौने दो लाख पेंशनर हैं. पेंशन पाने वालों पर नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद 2 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा. अभी हिमाचल में पुलिस पे बैंड में एरियर का भुगतान (Police Pay Band in Himachal) करने पर 23 करोड़ रुपए खर्च आएगा. वेतन बढ़ने से पुलिस जवानों पर सालाना 27 करोड़ का खर्च आएगा. ऐसे में हिमाचल सरकार के पास निशुल्क सुविधाएं देने के लिए बजट जुटाने की चुनौती है. राज्य सरकार के परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि चुनावी साल में ऐसी घोषणाएं की जाती हैं. सरकार परिवहन निगम के ग्रांट में बढ़ोतरी कर सकती है.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ: वरिष्ठ मीडिया कर्मी हेमंत कुमार के अनुसार हिमाचल दिवस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से किए गए ऐलान हिमाचल की वित्तीय स्थिति को देखते हुए कोई समझदारी वाला फैसला नहीं कहा जा सकता. इससे सियासी गलियारों में यह संकेत जा रहा है कि भाजपा आम आदमी पार्टी से भीतर ही भीतर डर गई है. उन्होंने इसे सियासी कारणों से लिया गया फैसला बताया.
HRTC के पास कर्मचारियों को देने के लिए नहीं हैं पैसे: हेमंत के अनुसार एचआरटीसी के पास अपने कर्मियों को वेतन देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है. लंबे अर्से तक चालकों व परिचालकों का ओवरटाइम अदा नहीं किया जाता. ऐसे में कर्ज में डूबा प्रदेश मुफ्त की आदत (debt burden on Himachal) डलवाए, ये तर्क संगत नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके बजाए सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य में कोई अभिनव घोषणाएं करनी चाहिए थी. उदाहरण के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं के लिए आवेदन शुल्क खत्म करना चाहिए था.
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