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ग्रामीणों का आरोप: HPPCL सतलुज नदी में फेंक रही मलबा, सेब के बगीचों पर भी पड़ रहा प्रभाव - DC Kinnaur Abid Hussain Sadiq

हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर में विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं के तहत कई कार्य निर्माणाधीन हैं. इन निर्माणाधीन कार्यों के दौरान निकलने वाले मलबे को सतलुज नदी में फेंका जा रहा है. ये कहना है स्थानीय ग्रामीणों का. लोगों का कहना है कि मलबे को रात के अंधेरे व दिन के समय गुपचुप तरीके से सतलुज नदी पर (Debris being dumped in Sutlej river) फेंकना आम बात हो गयी है. पुलिस प्रशासन और वन विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

Debris being dumped in Sutlej river
सतलुज नदी में फेंका जा रहा मलबा
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Published : Apr 1, 2022, 2:31 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर में जलविद्युत परियोजनाओं के (Hydro Power Projects in kinnaur) निर्माणाधीन कार्यों के दौरान उड़ती धूल से वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. रासायनिक धूल के चलते पेड़-पौधों को भारी नुकसान हो रहा है. शुदारंग के पूर्व प्रधान भागीरथ नेगी का कहना है कि जिले के पोवारी व शौंग ठोंग के मध्य जलविद्युत परियोजना के टनल और अन्य निर्माण कार्यों से निकले मलबे को रात के अंधेरे व दिन के समय गुपचुप तरीके से सतलुज नदी (debris being dumped in sutlej river) सतलुज पर फेंकना आम बात हो गयी है, लेकिन पुलिस प्रशासन और वन विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

हालांकि प्रदेश उच्च न्यायलय ने शौंग ठोंग व पोवारी के मध्य परियोजनाओं के निर्माण कार्य से निकले मलबे को सतलुज मे फेंकने से रोक लगाने (Debris being dumped in Sutlej river) के आदेश भी दिए हैं, लेकिन परियोजनाओं द्वारा उच्च न्यायलय के आदेशों की उल्लंघन की जा रही है. शौंग ठोंग और पोवारी के मध्य जहां जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य से निकले रासायनिक मलबे को फेंका जा रहा है, ठीक उसके करीब 50 से 100 मीटर दूरी पर सेना का एमीनेशन यानी गोला बारूद का डिपो भी है. ऐसे रासायनिक मलबे को सतलुज व एमीनेशन डिपो के समीप फेंकना खतरे से खाली नहीं है.

वीडियो

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार, जून-जुलाई माह में जब सतलुज में जलस्तर की बढ़ोतरी होती है तो उस समय हाई फ्लड लेबल से 15 मीटर ऊपर की तरफ मलबा फेंकने के नियम बने हुए हैं. जिसमें प्रशासन के निर्देश अनिवार्य होते हैं. इसके अलवा इन दिनों जहां पर मलबा फेंका जा रहा है, उस क्षेत्र के आसपास के सभी इलाकों में सेब की फ्लावरिंग शुरू हो गई है. मलबे से उड़ती धूल से सेब के बगीचों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

वहीं, इस संदर्भ में डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक (dc kinnaur abid hussain sadiq) ने कहा कि शौंग ठोंग व पोवारी के मध्य एचपीपीसीएल द्वारा फेंके जा रहे मलबे को लेकर किसी ने हाईकोर्ट में केस दर्ज किया है. हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को मौके का मुआयना कर, इस संदर्भ में एक एफिडेविट 10 अप्रैल तक देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर मलबा फेंका जा रहा है, उस स्थान पर एचपीपीसीएल को नियमों के तहत मलबा फेंकने के लिए कहा गया है. ताकि पर्यावरण के संरक्षण के साथ लोगों को परेशानी न हो.

ये भी पढ़ें :कुल्लू सदर विधायक के बारे में गलत भ्रांतियां फैला रहे हैं भाजपा नेता: प्रवीण ठाकुर

किन्नौर: जिला किन्नौर में जलविद्युत परियोजनाओं के (Hydro Power Projects in kinnaur) निर्माणाधीन कार्यों के दौरान उड़ती धूल से वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. रासायनिक धूल के चलते पेड़-पौधों को भारी नुकसान हो रहा है. शुदारंग के पूर्व प्रधान भागीरथ नेगी का कहना है कि जिले के पोवारी व शौंग ठोंग के मध्य जलविद्युत परियोजना के टनल और अन्य निर्माण कार्यों से निकले मलबे को रात के अंधेरे व दिन के समय गुपचुप तरीके से सतलुज नदी (debris being dumped in sutlej river) सतलुज पर फेंकना आम बात हो गयी है, लेकिन पुलिस प्रशासन और वन विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

हालांकि प्रदेश उच्च न्यायलय ने शौंग ठोंग व पोवारी के मध्य परियोजनाओं के निर्माण कार्य से निकले मलबे को सतलुज मे फेंकने से रोक लगाने (Debris being dumped in Sutlej river) के आदेश भी दिए हैं, लेकिन परियोजनाओं द्वारा उच्च न्यायलय के आदेशों की उल्लंघन की जा रही है. शौंग ठोंग और पोवारी के मध्य जहां जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य से निकले रासायनिक मलबे को फेंका जा रहा है, ठीक उसके करीब 50 से 100 मीटर दूरी पर सेना का एमीनेशन यानी गोला बारूद का डिपो भी है. ऐसे रासायनिक मलबे को सतलुज व एमीनेशन डिपो के समीप फेंकना खतरे से खाली नहीं है.

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार, जून-जुलाई माह में जब सतलुज में जलस्तर की बढ़ोतरी होती है तो उस समय हाई फ्लड लेबल से 15 मीटर ऊपर की तरफ मलबा फेंकने के नियम बने हुए हैं. जिसमें प्रशासन के निर्देश अनिवार्य होते हैं. इसके अलवा इन दिनों जहां पर मलबा फेंका जा रहा है, उस क्षेत्र के आसपास के सभी इलाकों में सेब की फ्लावरिंग शुरू हो गई है. मलबे से उड़ती धूल से सेब के बगीचों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

वहीं, इस संदर्भ में डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक (dc kinnaur abid hussain sadiq) ने कहा कि शौंग ठोंग व पोवारी के मध्य एचपीपीसीएल द्वारा फेंके जा रहे मलबे को लेकर किसी ने हाईकोर्ट में केस दर्ज किया है. हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को मौके का मुआयना कर, इस संदर्भ में एक एफिडेविट 10 अप्रैल तक देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर मलबा फेंका जा रहा है, उस स्थान पर एचपीपीसीएल को नियमों के तहत मलबा फेंकने के लिए कहा गया है. ताकि पर्यावरण के संरक्षण के साथ लोगों को परेशानी न हो.

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