शिमला: राजधानी शिमला समेत पूरे प्रदेश में 4 अक्टूबर को रोशनी और खुशियों का पर्व दिवाली बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस दिन पटाखे फोड़ने का समय भी अदालत के आदेश के मुताबिक तय किया गया है. इस अदालती फरमान का पालन कराने के जिम्मेदारी जिले के डीसी और एसपी को सौंपी गई है. ऐसे में आपकी दिवाली पर जिले के बड़े अधिकारियों की नजर रहेगी.
दिवाली पर्व पर बेशक अदालती आदेश के अनुसार आतिशबाजी का समय फिक्स किया गया है, लेकिन प्रदेश वासियों के पटाखे फोड़ने के क्रेज में रत्ती भर भी कमी नहीं आई है. शिमला सहित प्रदेश भर में व्यापारियों ने इस बार करीब 40 करोड़ के पटाखों की बिक्री का अनुमान लगाया है. अकेले शिमला में ही 10 करोड़ के पटाखों की बिक्री का अनुमान है. अदालती आदेश के बाद जिला प्रशासन की सख्ती शहरी इलाकों में ही संभव है.
हिमाचल का ट्रेंड यह है कि नौकरी पेशा लोग शहर से गांव चले जाते हैं. पिछले एक दशक में ग्रामीण इलाकों में समृद्धि बढ़ने के कारण वहां भी जमकर आतिशबाजी होती है. कोरोना की वजह से पिछले साल लोग उत्साह पूर्वक दिवाली नहीं मना पाए थे. इस बार कोरोना काफी हद तक नियंत्रित होने के कारण लोग खुशियां मनाना चाहते हैं.
वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिवाली पर दिए बधाई संदेश में कहा कि बच्चे दिवाली पर खुशी में पटाखे फोड़ते हैं. ऐसे में प्रतिवर्ष दिवाली पर छोटे बच्चे से लेकर बड़े तक इस दिन देर रात तक अतिशबाजी करते हैं, लेकिन प्रदूषण अधिक होने के कारण लोगों में अब ग्रीन पटाखे चलाने का प्रचलन बढ़ने लगा है. दिवाली पर पटाखे न जले तो त्योहार का उत्साह नजर नहीं आता है. ऐसे में पटाखे जलाएं लेकिन निर्धारित समय का ध्यान रखते हुए.
शिमला शहर में प्रशासन की ओर से बीस से अधिक स्थानों को चिन्हित किया गया है, जहां पटाखों की बिक्री होगी. इसमें आईस स्केटिंग रिंक, बालूगंज ग्राउंड, संजौली में लोक निर्माण विभाग की पार्किंग के नीचे, खलीणी बाईपास, विश्वविद्यालय खेल मैदान समहरिल, छोटा शिमला कुसुम्पटी रोड खुले स्थान पर, फागली में स्कूल मैदान, पंथाघाटी कुसुम्पटी में रानी मैदान, टुटू में शिव शक्ति मंदिर, न्यू शिमला में साई भवन के नजदीक, ढली-संजौली में बाईपास बस अड्डा, विकासनगर में पुलिस चौकी के पास पटाखों की दुकानें लगाई जाएंगी.
दिवाली पर्व को लेकर जब शहर के लोगों से बात की गई तो उनका कहना है कि महंगाई इतनी बढ़ गयी है कि क्या खरीदें और क्या न खरीदें चयन करना मुश्किल हो गया है. संजोली के रहने वाले जयप्रकाश बताते हैं कि वह हर साल दिवाली पर पटाखे जलाते हैं, लेकिन इस बार महंगाई इतनी है कि इस बार ज्यादा पटाखे नहीं खरीदेंगे. सिर्फ बच्चों के लिए ही वह पटाखे की खरीदारी करेंगे.
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वहीं, शहर की ही रहने वाली ज्योति बताती हैं कि वह अपने बच्चों के लिए प्रतिवर्ष पटाखे लेती थी, लेकिन इस बार सरकार के निर्देश के अनुसार ग्रीन आतिशबाजी ही जलाएंगे. संजौली में पटाखे बिक्री का स्टॉल लगाने वाले मुकेश गुप्ता का कहना है कि इस बार पिछले साल के मुकाबले लोगों में अधिक उत्साह है. कोरोना नियंत्रित होने के बाद स्कूल कॉलेज खुलने से बच्चे गांव से शिमला आ गए हैं और यहीं दिवाली भी मनाएंगे.
शिमला की एसपी डॉ. मोनिका का कहना है कि सभी थानों के पुलिस कर्मियों को शहर वासियों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं. निश्चित किए गए समय पर ही आतिशबाजी की इजाजत होगी. उन्होंने कहा कि हर हाल में अदालती आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. आदेश की अवहेलना करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दिवाली के बाद शहरों के वायु प्रदूषण को मापा जाता है. पिछले एक दशक में शिमला शहर की हवा दिवाली के बाद निर्धारित मापदंड में ही रहती है. हिमाचल के 10 शहरों को देखा जाए तो बद्दी सबसे प्रदूषित शहर आंका गया है. बद्दी के बाद नालागढ़, कालाअंब, धर्मशाला का नंबर है. शिमला का एयर क्वालिटी इंडेक्स 54 पीएम रहा है.
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के विशेषज्ञ डॉ. विमल भाारती का कहना है कि मैदानी इलाकों में यह समस्या अधिक है. पहाड़ वायु की गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर स्थिति में है. फिर भी दमा और दिल के मरीजों को इस दिन विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
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