शिमलाः कोरोना वायरसमहामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से जहां अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. वहीं, राजधानी शिमला में दो जून की रोटी कमाने वाले छोटे कारोबारियों को अपना कारोबार ही बदलना पड़ गया है.
एक तरफ शहर को बनाने वाले मजदूर बेबस और लाचार होकर अपने गांव की ओर पलायन करने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर शिमला में छोटे कारोबार करने वाले दुकानदार गुजर-बसर करने के लिए अन्य कारोबारों का रुख कर रहे हैं.
राजधानी में कई दुकानदार, ढाबा मालिक, जूस और मोबाइल व रिचार्ज का काम करने वाले कारोबारी हैं जिन्होंने अपना कारोबार ही बदल डाला है. करीब दो महीने से बंद पड़े बाजार के चलते इन दुकानदारों ने अपना कारोबार बदल कर अब सब्जी बेचने का काम शुरु कर दिया है. जिससे वे अपने साथ-साथ उनकी दुकानों में काम करने वालों लोगों का भी पालन पोषण कर रहे हैं.
कारोबार बदलने वाले दुकानदारों का कहना है कि सरकार ने धीरे-धीरे सभी तरह के व्यवसाय खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन होटल, ढाबों और जूस कॉर्नर की दुकानों में बैठने की अनुमति नहीं दी है जिससे उनकी दुकानों में कोई ग्राहक नहीं आ रहा है.
कारोबारियों का कहना है कि एक तरफ कोरोना वायरस का कहर और दूसरी तरफ लॉकडाउन की मार से उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है.
कारोबारियों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान दी गई छूट में उनकी दुकानों में ग्राहकों को बैठने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन उन्हें अनुमति दी जाती है तो वे कोरोना वायरस को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखेंगे.
गौरतलब है कि सरकार की ओर से कई तरह आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है, लेकिन कोरोना वायरस और मंदी के इस दौर में अगर किसी व्यक्ति को इस तरह से कारोबार ही बदलना पड़े तो यह चिंता का विषय है. ऐसे में सरकार को हर वर्ग की चिंता करते हुए कोई रास्ता जरुर निकालना चाहिए.
ये भी पढ़ें- इसी महीने रिटायर होंगे एसआर मरडी, नए डीजीपी की दौड़ में ये नाम सबसे आगे