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ठगों के निशाने पर महंगे मोबाइल फोन के उपभोक्ता, साइबर सेल ने जारी किया अलर्ट

18 अगस्त 2020 को शिमला में साइबर अपराधी ने एक व्यक्ति के खाते से 5,95000 रुपये की ठगी की है. बैंक खातों एंव क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन बैंकिग के माध्यम से यह राशि निकाली गई है. इसके बाद सदर थाना शिमला में अपराधिक मामला पंजीकृत किया गया है.

Cyber fraud
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Published : Aug 29, 2020, 8:50 PM IST

शिमलाः र्तमान समय में साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से आम जनता को ठगने की कोशिश कर रहें है. भारत में कई टेलीकॉम सर्विस ऑपरेटर्स ग्राहकों को कई ई सर्विस सिम ऑफर कर रही हैं. इस सर्विस की मदद से बिना फोन में सिम कार्ड लगाए मोबाइल यूजर्स कंपनी की सेवाएं ले सकते हैं.

बिना सिम कार्ड के कॉलिंग, डेटा और मेसेजिंग पहले की तरह ही की जा सकती है. यह वर्चुअल मोबाइल सिम है, जिसे ई-सिम नाम दिया गया है. यह आईफोन और कुछ चुनिंदा मोबाइल में ही इस्तेमाल होती है. एप्पल कंपनी ने अपने नए मॉडल आईफोन 10, 11 और 11 प्रो में इसकी सुविधा दी है. जिसका फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. साइबर अपराधी के निशानों पर मंहगे मोबाइल फोन के उपभोगता हैं.

इस बारे में साइबर क्राइम शिमला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने जानकारी देते हुए बताया कि ठग टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर कस्टमर को फोन करते हैं और ई-सिम सर्विस ऑफर करते है. साथ ही वे उन्हें अपने फोन की केवाईसी अपडेट करने को कहते है. केवाईसी अपडेट ना होने पर फोन बंद होने की बात कहते है.

इसके बाद कस्टमर को लिंक भेजा जाता है, जिसमें कस्टमर को एक फार्म भरना होता है. इस फार्म में कस्टमर का अंकाउट व एटीएम कार्ड की डिटेल भरी जाती है. इसके बाद कस्टमर को एक क्यूआर कोड मिलता है. जिसे साइबर अपराधी स्कैन करने के लिए कहते हैं. इस दौरान साइबर अपराधी वीवर क्विक स्पोर्ट व एनी डेक एप डाउनलोड करने को कहते हैं. एप डाउनलोड होते ही साइबर अपराधी कस्टमर की मोबाइल डिवाइस की पूरी जानकारी प्राप्त करके बैंक खाता डिटेल ले लेते हैं.

इसके बाद कस्टमर के खाते से लिंकड मोबाइल नम्बर बंद हो जाता है. साथ ही कस्टमर के नम्बर का ई-सिम साइबर अपराधी के मोबाइल डिवाइस में एक्टिवेट हो जाता है. जिसकी जानकारी कस्टमर को नहीं होती है और न ही उसे कोई ओटीपी मिलता है. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी ऑन-लाइन बैंकिग के माध्यम से कस्टमर के बैंक खातों एवं क्रेडिट कार्ड से पूरे राशि निकाल लेते हैं.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इसी प्रकार की तकनीक से साइबर अपराधी ने 18 अगस्त 2020 को शिमला के एक शिकायतकर्ता से 5,95000 रुपये की ठगी की है, जिसमें शिकायतकर्ता के बैंक खातों एंव क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन बैंकिग के माध्यम से यह राशि निकाली गई है. इसके बाद सदर थाना शिमला में अपराधिक मामला पंजीकृत किया गया है.

साइबर अपराध से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान-

इस प्रकार के अपराध से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है कि स्कैम का तरीका समझा जाए, जिससे इस प्रकार की ठगी से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि किसी का भी फोन या व्हाटस ऐप, कॉल व ई-मेल आए, जिसके बाद आपके सिम को ब्लॉक होने का मेसेज आए तो उस पर भरोसा ना करें और जरूरी होने पर खुद कस्टमर केयर से संपर्क किया जाए.

इसके अलावा के केवाईसी से जुड़ा कोई भी प्रोसेस फोन पर नहीं होता, ऐसा करने से बचें. साथ ही किसी भी स्थिति में अपने बैकिंग डिटेल्स किसी के साथ शेयर ना करें. कोई भी टेलीकॉम कंपनी ऐसे डेटा की मांग यूजर से कॉल पर नहीं करती. मोबाइल फोन पर अनजान व्यक्ति के कहने पर कोई भी एप जैसे टीम वीवर क्विक स्पोर्ट और एनी डेस्क डाउनलोड ना करें. कोई भी बैंक खातों की जानकारी ना दें एवं गूगल फॉर्म में बैंक डिटेल ना भरें.

शिमलाः र्तमान समय में साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से आम जनता को ठगने की कोशिश कर रहें है. भारत में कई टेलीकॉम सर्विस ऑपरेटर्स ग्राहकों को कई ई सर्विस सिम ऑफर कर रही हैं. इस सर्विस की मदद से बिना फोन में सिम कार्ड लगाए मोबाइल यूजर्स कंपनी की सेवाएं ले सकते हैं.

बिना सिम कार्ड के कॉलिंग, डेटा और मेसेजिंग पहले की तरह ही की जा सकती है. यह वर्चुअल मोबाइल सिम है, जिसे ई-सिम नाम दिया गया है. यह आईफोन और कुछ चुनिंदा मोबाइल में ही इस्तेमाल होती है. एप्पल कंपनी ने अपने नए मॉडल आईफोन 10, 11 और 11 प्रो में इसकी सुविधा दी है. जिसका फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. साइबर अपराधी के निशानों पर मंहगे मोबाइल फोन के उपभोगता हैं.

इस बारे में साइबर क्राइम शिमला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने जानकारी देते हुए बताया कि ठग टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर कस्टमर को फोन करते हैं और ई-सिम सर्विस ऑफर करते है. साथ ही वे उन्हें अपने फोन की केवाईसी अपडेट करने को कहते है. केवाईसी अपडेट ना होने पर फोन बंद होने की बात कहते है.

इसके बाद कस्टमर को लिंक भेजा जाता है, जिसमें कस्टमर को एक फार्म भरना होता है. इस फार्म में कस्टमर का अंकाउट व एटीएम कार्ड की डिटेल भरी जाती है. इसके बाद कस्टमर को एक क्यूआर कोड मिलता है. जिसे साइबर अपराधी स्कैन करने के लिए कहते हैं. इस दौरान साइबर अपराधी वीवर क्विक स्पोर्ट व एनी डेक एप डाउनलोड करने को कहते हैं. एप डाउनलोड होते ही साइबर अपराधी कस्टमर की मोबाइल डिवाइस की पूरी जानकारी प्राप्त करके बैंक खाता डिटेल ले लेते हैं.

इसके बाद कस्टमर के खाते से लिंकड मोबाइल नम्बर बंद हो जाता है. साथ ही कस्टमर के नम्बर का ई-सिम साइबर अपराधी के मोबाइल डिवाइस में एक्टिवेट हो जाता है. जिसकी जानकारी कस्टमर को नहीं होती है और न ही उसे कोई ओटीपी मिलता है. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी ऑन-लाइन बैंकिग के माध्यम से कस्टमर के बैंक खातों एवं क्रेडिट कार्ड से पूरे राशि निकाल लेते हैं.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इसी प्रकार की तकनीक से साइबर अपराधी ने 18 अगस्त 2020 को शिमला के एक शिकायतकर्ता से 5,95000 रुपये की ठगी की है, जिसमें शिकायतकर्ता के बैंक खातों एंव क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन बैंकिग के माध्यम से यह राशि निकाली गई है. इसके बाद सदर थाना शिमला में अपराधिक मामला पंजीकृत किया गया है.

साइबर अपराध से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान-

इस प्रकार के अपराध से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है कि स्कैम का तरीका समझा जाए, जिससे इस प्रकार की ठगी से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि किसी का भी फोन या व्हाटस ऐप, कॉल व ई-मेल आए, जिसके बाद आपके सिम को ब्लॉक होने का मेसेज आए तो उस पर भरोसा ना करें और जरूरी होने पर खुद कस्टमर केयर से संपर्क किया जाए.

इसके अलावा के केवाईसी से जुड़ा कोई भी प्रोसेस फोन पर नहीं होता, ऐसा करने से बचें. साथ ही किसी भी स्थिति में अपने बैकिंग डिटेल्स किसी के साथ शेयर ना करें. कोई भी टेलीकॉम कंपनी ऐसे डेटा की मांग यूजर से कॉल पर नहीं करती. मोबाइल फोन पर अनजान व्यक्ति के कहने पर कोई भी एप जैसे टीम वीवर क्विक स्पोर्ट और एनी डेस्क डाउनलोड ना करें. कोई भी बैंक खातों की जानकारी ना दें एवं गूगल फॉर्म में बैंक डिटेल ना भरें.

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