शिमला: माकपा शिमला जिला कमेटी ने सरकार से शिमला के भट्टाकुफ्फर स्थित फल मंडी (Shimla bhattakufer fruit market) को बन्द करने के निर्णय की कड़ी निंदा की है और इसे जल्द शुरू करने की मांग उठाई है. माकपा का कहना है कि इस फल मंडी के मरम्मत कार्य को सेब सीजन शुरू होने से पहले पूर्ण किया जाए और इस महत्वपूर्ण मंडी को शीघ्र शुरू कर किसानों और बागवानों को राहत प्रदान की जाए. माकपा जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार ऐसी टर्मिनल मंडियों को सुनियोजित तरीके से बन्द करने का निर्णय अदानी और अन्य कंपनियों के दबाव में आकर ले रही है, ताकि वैकल्पिक कृषि, सब्जी और फल मंडियों को समाप्त कर किसानों और बागवानों को अपना उत्पाद सस्ते दामों पर कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़े और इनका मुनाफा बढ़े.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार तुरन्त इस फल मंडी की मरम्मत कर इसे आरम्भ नहीं करती है, तो पार्टी किसानों, बागवानों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर इस मंडी को सुचारू रूप से चलाने के लिए आंदोलन करेगी. वर्ष 1994 में सरकार ने शिमला में वैकल्पिक सब्जी मंडी के रूप में ढली मंडी को विकसित करने का कार्य शुरू किया तथा यहां शिमला और इसके इर्दगिर्द के किसानों को सब्जी और अन्य उत्पाद बेचने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी.
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मंडी के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई परंतु इन्हें जमीनी स्तर पर नहीं उतारा गया. बावजूद इसके किसान जिसको प्रदेश से बाहर की मंडियों में अपना उत्पाद बेचना पड़ता था और उसे उचित दाम नहीं मिलते थे, उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प बना तथा किसानों ने इसको विकसित करने में पूर्ण सहयोग किया. उन्होंने कहा कि किसानों और बागवानों के बढ़ते सहयोग से कारोबार में वृद्धि होने के फलस्वरूप आज शिमला किन्नौर कृषि मंडी समिति के पास मार्किट फीस के रूप में 100 करोड़ रुपए के करीब जमा है, जोकि किसानों के हित मे मंडियों व अन्य बुनियादी ढांचे व सुविधाओं पर खर्च करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पार्टी मांग करती है कि इस पैसे से इस मंडी के मरम्मत कार्य पर खर्च किया जाए और इसे जल्द शुरू किया जाए.
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