शिमलाः आईजीएमसी के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को अब बेहतरीन क्वालिटी का खाना मिलेगा. यहां पर वैसे तो पहले से ही खाना अच्छा मिलता है, लेकिन हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद अब प्रशासन अर्लट हो गया है. प्रशासन ने यह दावा किया है कि मरीजों को हाइजनिंग वाला बेहतर खाना दिया जाएगा, ताकि मरीजों को कोई दिक्कतें न आए और मरीज जल्द ही रिक्वर भी हो जाए.
आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानिया ने कहा कि प्रशासन द्वारा इन दिनों मरीजों के खाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. मरीजों को तीन समय सुबह, दोपहर व शाम को खाना दिया जाता है. खाने की क्वालिटी कैसी है, अधिकारी खाने को बार-बार चैक करता है. कुछ समय पहले कोरोना के मरीजों की यह शिकायतें आ रही थी कि मरीजों को समय से खाना नहीं दिया जाता है, लेकिन अब प्रशासन ने खाना देने का समय भी तय किया है. वहीं, वार्डों में मरीजों को दवाइयां और अन्य चीजें समय-समय पर देने को लेकर भी डॉक्टर अलर्ट हैं. हर मरीज को समय-समय से दवाइयां व अन्य चीजें दी जा रही हैं.
कोरोना के मरीजों का निशुल्क इलाज
आईजीएमसी प्रिंसिपल ने कहा कि कोरोना के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है. आईजीएमसी में कोरोना के मरीजों के बेड की पूरी सुविधा है. कुछ बेड को अस्पतालों में बढ़ा दिया गया है. आईजीएमसी में एक तो 30 बेड का प्रावधान नए ओपीडी भवन में किया है और एक प्री फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर आईसीयू टाइप 18 बेड का तैयार किया जा रहा है.
न्यू ओपीडी में 30 बेड खाली
इसमें ऑक्सीजन भी उपलबध करवाई जाएगी, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कतें न आए. न्यू ओपीडी में 30 बेड अभी खाली है. अगर कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी होती है तो प्रशासन इसमें मरीजों को भर्ती कर देंगा. उन्होंने कहा कि 15 नवंबर के बाद कोरोना के मरीजों में काफी बढ़तौरी हुई है.
मरीजों को कपड़ों की वॉशिंग की भी सुविधा
आईजीएमसी अस्पताल में कोरोना मरीजों को कपड़ों की वॉशिंग से लेकर मरीजों को पूरी सुविधा दी जा रही है. चिकित्सकों अनुसार कोरोना मरीजों के कपड़ों को 70 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म पानी में धोया जाता है. जिससे कि कोरोना के किटाणु नष्ट हो जाते हैं. गौर रहे कि आईजीएमसी में इस दौरान कुल 120 कोरोना मरीज हैं. ऐसे में सभी के कपड़ों को अलग-अलग बैग में रखा जाता है. जिसके बाद इन कपड़ों को भी गाड़ी द्वारा अस्पताल में ही धोने के लिए ले जाया जाता है. इस दौरान कपड़ों को धोते हुए सोडियम हाईप्रोक्लोराइड और ब्लीच का भी इस्तेमाल किया जाता है.
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