शिमला: आईजीएमसी में कैंटीन को लेकर मंगलवार को विवाद उपज गया. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को फोर्स बुलानी पड़ी. पुलिस के करीब 15 जवानों ने कैंटीन के बाहर घेरा डाल दिया. पूरे दिनभर कैंटीन संचालक और अस्पताल प्रबंधन के बीच खूब खींचतान चलती रही, लेकिन कैंटीन पूरी तरह से बंद नहीं हुई. सुबह आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी कैंटीन को बंद करने निकले. जब वह कैंटीन में अंदर गए तो दरवाजे बंद कर दिए, लेकिन अंदर कर्मचारी थे, जो कि कैंटीन में काम करते हैं.
अधिकारियों और कैंटीन संचालक सहित कर्मचारियों के बीच दरवाजे बंद कर बातचीत चलती रही, लेकिन विवाद नहीं सुलझा. बाद में प्रशासनिक अधिकारी कैंटीन से बाहर निकले और सुरक्षाकर्मियों को कैंटीन में ताले लगाने के निर्देश दिए, लेकिन सुरक्षाकर्मी भी इस दौरान कैंटीन में ताले नहीं लगा पाए, क्योंकि कैंटीन में अंदर संचालक और कर्मचारी थे. ऐसे में पुलिस भी वहां पर तमाशा देखती रही. पुलिस कर्मचारियों का तर्क था कि उन्हें कोर्ट की तरफ से कैंटीन खाली करवाने के कोई आदेश नहीं है.
कैंटीन को लेकर संचालक और अधिकारियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया. कैंटीन संचालक का कहना है कि उन्होंने कोर्ट से स्टे लिया हुआ. ऐसे में अभी तक उन्हें कोई कोर्ट की तरफ से निर्देश नहीं मिला. उधर आईजीएमसी प्रबंधन का दावा है कि कैंटीन को लेकर जो टेंडर हुए थे उसकी प्रक्रिया खत्म हो गई है. ऐसे में अब कैंटीन को खाली करवाया जा रहा है.
इस संबध में कैंटीन संचालक जोगिंद्र श्याम ने बताया कि काफी सालों से कैंटीन चला रहा हूं. मुझे कुछ समय पहले प्रशासन ने कैंटीन खाली करवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन मैने कोर्ट से स्टे लिया. एमएस फिर भी कैंटीन को खाली करने के निर्देश दे रहे हैं, जबकि अभी इसको लेकर 6 सितंबर को कोर्ट में केस लगना है. उसमें अगर कोर्ट कैंटीन को खाली करने के निर्देश देता है तो खाली कर दूंगा.
इस संबध में आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि कैंटीन जब 2009 में जब दो वर्षों के लिए जोगिंद्र श्याम को दी गई थी तो उसके बाद यह कैंटीन एक्सटेंशन पर चलती रही. अब एग्रीमेंट खत्म हो गया है. अब प्रशासन अपनी संपत्ति को वापस लेना चाहता है, ताकि इसका रेनोवेशन किया जाए.
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