शिमला: भारत देश ने अपने महान जनरल को खो दिया है. देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की सुरक्षा में साये की तरह रहने वाले हिमाचल के वीर सपूत लांस नायक विवेक कुमार ने भी इस हादसे में शहीद (Vivek Kumar died in helicopter crash) हो गए हैं. हिमाचल की वीर प्रसूता भूमि में विवेक कुमार जैसे (Lance Naik Vivek Kumar) अनेक शूरवीरों ने जन्म लिया है और ये परंपरा निरंतर जारी है. हिमाचल की भूमि को देश को चार परमवीरों को जन्म देने का सौभाग्य मिला है.
देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा हिमाचल प्रदेश से थे. वहीं, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (Bipin rawat connection to Shimla) का स्कूली समय (Bipin rawat education) भी शिमला में गुजरा. राष्ट्रीय दुख की इस घड़ी में भी भारतीय सेना शौर्य की गाथा को प्राथमिकता देती है. ऐसे में देश की सेना में हिमाचल के वीरों का योगदान भी याद आ रहा है. हिमाचल प्रदेश के जवान भारतीय सेना में बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं.
देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा के साथ ही वीरभूमि हिमाचल ने मेजर धनसिंह थापा, कैप्टन विक्रम बतरा और सूबेदार मेजर संजय कुमार के रूप में परमवीर देश को दिए हैं. संजय कुमार अभी भी देश की सेवा में डटे हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की शौर्य गाथा में दस महावीर चक्र, 51 वीर चक्रों सहित 1159 गैलेंटरी अवार्ड दर्ज हैं.
हिमाचल की राजधानी शिमला में सेना की पश्चिमी कमान (Army Training Command shimla) है. यहां देश की सेना की वार स्ट्रेटेजी बनती है. जनसंख्या को आधार माना जाए, तो भारतीय सेना में सबसे अधिक शौर्य सम्मान हिमाचल के हिस्से ही आए हैं. मेजर सोमनाथ शर्मा ने जिस शौर्य गाथा की नींव रखी थी, उस पर मेजर धनसिंह थापा, कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain vikram Batra) और सूबेदार मेजर संजय कुमार सहित सैकड़ों वीरों ने बहादुरी की शानदार इमारत खड़ी की है.
युद्ध भूमि व अन्य शौर्य के मोर्चे पर हिमाचल के वीरों ने 1159 सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीरचक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है. करीब 72 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं.
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यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए, तो हिमाचल प्रदेश के तीन लाख से अधिक जांबाज इस समय सेना में हैं. इस तरह करीब साढ़े चार लाख हिमाचली परिवार भारतीय सेना का गौरवमयी हिस्सा हैं.अदम्य साहस की दृष्टि से देखें तो मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी ने देश के पहले परमवीर चक्र की गाथा लिखी. कबायली हमले के दौरान मेजर सोमनाथ की दिलेरी किसी परिचय का मोहताज (Medals to Soldiers of Himachal) नहीं है.
इसी तरह 1962 की जंग में मेजर धनसिंह थापा ने अपने जीवट से सारी दुनिया को कायल किया था. करगिल की जंग में कैप्टन विक्रम बत्रा का खौफ पाकिस्तान की सेना पर इस कदर था कि वो उसे शेरशाह पुकारते थे. पीड़ा की बात ये कि कैप्टन बत्रा ने अंतिम सांस (Captain vikram Batra martyred in Kargil war) युद्ध भूमि में ली. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला. करगिल जंग में ही राइफलमैन (अब सूबेदार मेजर) संजय कुमार का साहस अतुलनीय रहा है.
हिमाचल में जब पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला (Pathankot Airbase Terrorist attack) हुआ था, तब हिमाचल के जांबाज जगदीश चंद ने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकी से राइफल छीन कर उसे मौत के घाट उतार दिया था. बलिदानी जगदीश चंद को अदम्य शौर्य के लिए कीर्ति चक्र दिया गया था, जिसे उनके परिजनों ने ग्रहण किया था. इसी तरह पुलवामा हमले में भी हिमाचल की वीर सपूत तिलकराज शहीद हुए थे. ऐसे में जब भी देश पर संकट आया है, हिमाचल के वीर अग्रिम पंक्ति में रहे हैं. भारतीय सेना में दशकों तक सेवाएं देने वाले रिटायर्ड ब्रिगेडियर हरजीत सिंह कहते हैं कि देश की सेना विश्व में श्रेष्ठ हैं. उन्होंने कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत महान सैन्य हस्ती थे. (Himachal soldier died) उनकी सैन्य क्षमता अतुलनीय थी. देश को महान क्षति हुई है.
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