शिमला: प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने हिमाचल में 5 अस्थाई अस्पताल बनाने का निर्णय लिया था लेकिन अफसरशाही इसे लागू करने में भारी ढिलाई बरत रही है. जिसके कारण आज तक इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है.
प्रदेश में 5 जिलों में अस्थाई अस्पतालों के निर्माण से वर्तमान में कोविड केयर सेंटर घोषित किए गए अस्पतालों का प्रयोग दूसरी रोगियों के उपचार के लिए किया जा सकेगा. इन अस्थाई अस्पतालों की टेंडर प्रक्रिया सितंबर महीने तक पूरी हो जानी चाहिए थी. लेकिन फिलहाल यह योजना धरातल पर उतरती नहीं दिखाई दे रही है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास जल्द से जल्द अस्थाई अस्पतालों को खोलना है. उन्होंने कहा कि नाहन में अस्थाई अस्पताल खोलने के लिए भूमि की दिक्कत है. इसे जल्द दूर किया जाएगा बाकी जगहों पर जल्द ही अस्थाई अस्पतालों का निर्माण हो जाएगा. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
ऐसे में कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए सरकार ने कई जिलों में अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया है. जिसके कारण अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को उपचार के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के अलावा साधारण बीमारियों से भी मृत्यु दर में बढ़ोतरी की आशंका बनी हुई है. इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए सितंबर महीने में शिमला, टांडा, नाहन, नालागढ़ और ऊना में 50 बिस्तरों के अस्थाई अस्पताल खोलने का फैसला लिया था.
सीएसआईआर की मदद से बनने वाले इन अस्पतालों का निर्माण नवंबर महीने में पूरा किए जाने की योजना बनाई गई थी. इस योजना के तहत बनने वाले अस्थाई अस्पतालों के निर्माण पर 8 करोड़ रूपये से अधिक की राशि खर्च होने का अनुमान है. एसडीआरएफ की नीति से यह राशि खर्च की जानी है.
शिमला में दो स्थानों पर 25 -25 बेड वाले अस्थाई अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है. बाकी स्थानों पर एक अस्पताल बनाया जाना है. मगर अभी तक अस्थाई अस्पताल खोलने की इस योजना का काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने इस काम में तेजी लाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं. उनका कहना है कि फैसले के मुताबिक जल्द से जल्द अस्थाई अस्पताल प्रदेश के विभिन्न जिलों में खोले जाएंगे.
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