शिमला: हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में नवीं से बारहवीं कक्षा तक गीता सार को सिलेबस का हिस्सा बनाने पर विचार किया जा रहा (Gita Saar in the syllabus)है.यही नहीं, राज्य में तीसरी कक्षा से संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बजट सत्र के दौरान गैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस पर विधायक जेआर कटवाल व नरेंद्र ठाकुर के संकल्प प्रस्ताव पर यह बात कही.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत का महत्व सभी स्वीकार करते हैं. इस समय देश और विदेश के लोगों में संस्कृत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में तीसरी कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी. शिक्षा मंत्री के जवाब से संतुष्ट दोनों विधायकों ने अपना संकल्प वापस ले लिया. इस दौरान सदन में धार्मिक ग्रंथ गीता की प्रशंसा के गीत सभी विधायकों ने गाए. गीता को जीवन में दिशा देने वाला ग्रंथ बताया गया.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार नौवीं से 12वीं कक्षा तक गीता सार को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता को प्रदेश स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रस्ताव स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव और राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, सोलन के प्रधानाचार्य को परीक्षण के लिए भेजा गया था. दो संस्थाएं स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस को निर्धारित करती है.
इन दोनों संस्थाओं ने बताया है कि राज्य में पहले से ही 12वीं कक्षा के सिलेबस में श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जा रही.विधायक जेआर कटवाल ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि गीता भारतीय संस्कृति का सार दर्शन है. नरेंद्र ठाकुर का कहना था कि गीता के अध्ययन, चिंतन व मनन से युवाओं को सही दिशा मिल सकती है.
इससे नशे की बढ़ती प्रवृति को भी रोका जा सकता है. वहीं, चर्चा में शामिल हुए कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वह श्रीमद्भगवद्गीता ही नहीं, बल्कि रामचरित मानस, गायत्री रहस्य और वेदों को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने के पक्ष में है. उन्होंने यह भी कहा कि गीता सार को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने से पहले सभी विधायकों को गीता को कंठस्थ भी करना चाहिए.
करसोग के विधायक हीरालाल ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता एक ज्ञान का सागर है.आशा कुमारी ने श्रीमद्भगवद्गीता को सिलेबस में शामिल करने से पहले संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाने का सुझाव दिया. विशाल नैहरिया ने कहा कि गीता को स्कूलों में पढ़ाने से युवाओं को गलत संगत में पडऩे से रोका जा सकेगा. इस संकल्प प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल हुए सभी विधायकों ने गीता को जीवन दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ बताया.
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