शिमला: हिमाचल में इन दिनों सीमेंट कंपनियां विवादों के घेरे में है. हिमाचल की धरती पर हिमाचल के संसाधनों का उपयोग कर रही कंपनियां यहीं के निवासियों को महंगा सीमेंट दे रही हैं. लेकिन इन विवादों के बीच एक पहलू और भी है. यह पहलू सीएसआर से जुड़ा है. सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी. हिमाचल में मुख्य दो कंपनियां अंबुजा और अल्ट्राटेक ने तीन साल में सीएसआर के तहत तीस करोड़ रुपए से अधिक की रकम खर्च की है. अंबुजा सीमेंट ने 15 ग्राम पंचायतों में 126 गांवों को विभिन्न विकास योजनाओं के लिए 19.70 करोड़ रुपए दिए हैं. अल्ट्राटेक ने भी इतने ही गांवों को 10.73 करोड़ रुपए सीएसआर के तहत दिए हैं. अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी अपने कार्यक्षेत्र के आसपास 10 गांवों को पीने का पानी भी दे रही है.
अंबुजा सीमेंट कंपनी सोलन जिले के (cement company in solan) दाड़लाघाट में स्थापित (Ambuja Cement Company Darlaghat) है. वहीं, अल्ट्राटेक कंपनी भी सोलन जिले के बाघा गांव में (ultratech company solan) लगाई गई है. अंबुजा सीमेंट कंपनी ने 2019-20 में 7.10 करोड़ रुपए खर्च किए. इसी तरह 2020-21 में 6.09 करोड़ व 2021-22 में 6.51 करोड़ रुपए खर्च किए गए. हिमाचल प्रदेश में एसीसी बरमाणा सीमेंट कंपनी ने सीएसआर के तहत 6.40 करोड़ रुपए खर्चे हैं. इस पैसे से 15 ग्राम पंचायतों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारों के लिए प्रशिक्षण सहित महिला सशक्तिकरण और अन्य ग्रामीण विकास संबंधी गतिविधियों पर 19.70 करोड़ रुपए खर्चे गए. वहीं, अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी ने 2019-20 में 4.64 करोड़ रुपए, 2020-21 में 6.9 करोड़ रुपए और 2021-22 में 2.95 करोड़ रुपए सीएसआर में विभिन्न गतिविधियों पर खर्च किए.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सोलन जिले (Companies selling expensive cement to Himachal) में ही दो बड़े सीमेंट प्लांट हैं. इसके अलावा जिला बिलासपुर के बरमाणा में एसीसी कंपनी का सीमेंट प्लांट है. एसीसी ने (ACC Company in Barmana) पिछले साल जुलाई से दिसंबर में 6 महीने में 1534155 मीट्रिक टन सीमेंट डिस्पैच किया. वहीं, 248540 मीट्रिक टन क्लिंकर डिस्पैच किया गया. अल्ट्राटेक कंपनी ने अगस्त 2021 से जनवरी 2022 तक 665000 मीट्रिक टन सीमेंट व 502000 मीट्रिक टन क्लिंकर डिस्पैच किया. यह पहले के मुकाबले क्रमश 45 हजार व 13 हजार मीट्रिक टन अधिक है. अंबुजा सीमेंट कंपनी ने इसी अवधी में 505135 मीट्रिक टन सीमेंट व 2003418 मीट्रिक टन क्लिंकर डिस्पैच किया जो पहले के मुकाबले क्रमश 5638 व 230954 मीट्रिक टन कम है. पूर्व में एसीसी कंपनी का सीमेंट बैग 385 से 435 रुपए प्रति 50 किलो बाजार में था.
इसी तरह अल्ट्राटेक का मूल्य (cement price in himachal) 385 से 430 व अंबुजा सीमेंट का मूल्य 385 से 440 रुपए तक था. अल्ट्राटेक ने 2018 में 10 रुपए, 2019 में 5 रुपए, 2020 में 31 रुपए और 2021 में 4 रुपए प्रति बैग दाम बढ़ाए. इसी तरह कंपनी ने 2022 में 15 रुपए प्रति बैग दाम बढ़ाए. अल्ट्राटेक कंपनी ने 2018 से 2022 तक 65 रुपए प्रति बैग दाम बढ़ाए हैं. वहीं, अंबुजा ने इसी अंतराल में 63 रुपए और एसीसी ने 57 रुपए प्रति बैग बढ़ोतरी की है. सीमेंट कंपनियां तर्क दे रही हैं कि डीजल-पेट्रोल के दामों में लगातार उछाल के कारण सीमेंट के दामों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ रही है. कंपनी अधिकारियों का कहना है कि कच्चे माल की ढुलाई के रेट बढ़ने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पूर्व में जब सीमेंट के दाम में बढ़ोतरी हुई थी तब सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था. सरकार की सख्ती के बाद सीमेंट कंपनियों ने एक साथ अधिक दाम बढ़ाने की बजाय थोड़ा-थोड़ा करके मूल्य बढ़ाने की रणनीति अपनाई है. उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि सीमेंट के दाम सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं लेकिन फिर भी सरकार समय-समय पर दामों की समीक्षा (Companies selling expensive cement to Himachal) करती है और सीमेंट कंपनियों को हिमाचल में दाम नियंत्रण में रखने के लिए सरकार पहल करती है. निर्माण उद्योग से जुड़े राजेश्वर गुप्ता का कहना है कि माल-भाड़ा, पेट्रोल-डीजल के दाम और प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां कुछ जगह सीमेंट सप्लाई करने में अधिक खर्च आता है. हिमाचल में दाम बढ़ने के कई कारण हैं लेकिन कंपनियों को यहां के संसाधनों का प्रयोग करने पर राज्य के निवासियों को कम दाम में सीमेंट उपलब्ध करवाना चाहिए.