शिमला: सीटू राज्य कमेटी की एक बैठक सोमवार को राजधानी शिमला में प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में केंद्र सरकार की देश व जनता विरोधी नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के खिलाफ सीटू के बैनर तले 21 अक्टूबर को जिला व ब्लॉक स्तर पर धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया. मजदूरों व किसानों की मांगों को लेकर चल रहे देशव्यापी आंदोलन के 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर प्रदेशभर में मजदूरों व किसानों के प्रदर्शन होंगे.
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निर्माण व मनरेगा मजदूरों को हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभों को सुनिश्चित करने व अन्य मांगों को लेकर सीटू के बैनर तले 2 दिसंबर को प्रदेशव्यापी हड़ताल होगी और शिमला में प्रदेशभर के हजाराें मजदूर विशाल प्रदर्शन करेंगे. आउटसोर्स कर्मियों की मांगों को लेकर बजट सत्र में हजाराें आउटसोर्स कर्मी नियमितीकरण व नीति बनाने की मांग को लेकर विधानसभा पर जोरदार प्रदर्शन करेंगे.
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की जयराम सरकार लगातार मजदूर विरोधी निर्णय ले रही हैं. केंद्र सरकार ने केवल 2600 रुपए मासिक वेतन लेने वाले मिड- डे मील वर्कर्स के वेतन में पिछले बारह वर्षों में एक भी रुपए की बढ़ोतरी नहीं की है. कोरोना योद्धा आशाकर्मियों का भारी शोषण किया जा रहा है.
मनरेगा व निर्माण मजदूरों को हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभों व रोजगार से वंचित किया जा रहा है. आउटसोर्स कर्मियों को बारह घंटे की ड्यूटी का मात्र तीन हजार से नौ हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है. उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है.
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