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निजी स्कूली की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन, शिक्षा निदेशालय से की ये मांग - छात्र अभिभावक मंच का धरना

हिमाचल प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही फीस के खिलाफ अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया (Chhatra Abhibhavak Manch) है. अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं. छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में 8 से 35 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और लक्षित दुकानों से ड्रेस व किताबों की खरीद पर रोक लगाने की मांग की है.

Chhatra Abhibhavak Manch
छात्र अभिभावक मंच
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Published : Apr 7, 2022, 4:06 PM IST

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही फीस के खिलाफ अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया (Chhatra Abhibhavak Manch) है. अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं. छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में 8 से 35 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और लक्षित दुकानों से ड्रेस व किताबों की खरीद पर रोक लगाने की मांग की है.

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि वर्ष 2022 में फीसों में 8 से 35 प्रतिशत फीस वृद्धि और ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है व प्रदेश सरकार से इस पर तुरन्त पंजाब सरकार की तर्ज पर रोक लगाने की मांग की (Fee hike issue in private schools hp) है. उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसंबर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है. उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह अपने आदेशों को सख्ती से लागू करवाएं ताकि निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगे.

छात्र अभिभावक मंच का शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना
मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसंबर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) थी. इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए परन्तु 5 अप्रैल बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है.

इन स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं की, जिसके कारण इन स्कूलों में 8 से 35 प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया. इस वर्ष भी निजी स्कूल ने आम सभाएं आयोजित नहीं कीं व भारी फीस बढ़ोतरी की. इस से साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते. शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है. इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार पुनः इजाज़त मिल गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं. वे कोरोना काल में भी टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज, कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जे वसूलते रहे हैं. इन स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को जारी रखा है. इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीसें वसूलना चाहते हैं जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे व इसके खिलाफ लामबंद होंगे.

ये भी पढ़ें: निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच 7 अप्रैल को करेगा प्रदर्शन

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही फीस के खिलाफ अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया (Chhatra Abhibhavak Manch) है. अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं. छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में 8 से 35 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और लक्षित दुकानों से ड्रेस व किताबों की खरीद पर रोक लगाने की मांग की है.

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि वर्ष 2022 में फीसों में 8 से 35 प्रतिशत फीस वृद्धि और ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है व प्रदेश सरकार से इस पर तुरन्त पंजाब सरकार की तर्ज पर रोक लगाने की मांग की (Fee hike issue in private schools hp) है. उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसंबर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है. उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह अपने आदेशों को सख्ती से लागू करवाएं ताकि निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगे.

छात्र अभिभावक मंच का शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना
मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसंबर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) थी. इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए परन्तु 5 अप्रैल बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है.

इन स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं की, जिसके कारण इन स्कूलों में 8 से 35 प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया. इस वर्ष भी निजी स्कूल ने आम सभाएं आयोजित नहीं कीं व भारी फीस बढ़ोतरी की. इस से साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते. शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है. इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार पुनः इजाज़त मिल गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं. वे कोरोना काल में भी टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज, कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जे वसूलते रहे हैं. इन स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को जारी रखा है. इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीसें वसूलना चाहते हैं जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे व इसके खिलाफ लामबंद होंगे.

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