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हिमाचल के लिए मेडिकल डिवाइस पार्क को केंद्र ने दी मंजूरी, 10 हजार युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद - Industries Minister Bikram Singh Thakur

हिमाचल के लिए मेडिकल डिवाइस पार्क ( Medical Device Park ) की मंजूरी देने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर (Industries Minister Bikram Singh Thakur) ने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है. 265 एकड़ भूमि पर 261 करोड़ रुपये से बनने वाले इस पार्क में 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं इससे 20 हजार करोड़ का टर्नओवर भी होगा.

Medical Device Park in Himachal Pradesh
हिमाचल के लिए मेडिकल डिवाइस पार्क को केंद्र ने दी मंजूरी.
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Published : Sep 24, 2021, 7:52 PM IST

शिमला: केंद्र सरकार ने हिमाचल के लिए मेडिकल डिवाइस पार्क ( Medical Device Park ) की मंजूरी दे दी है. हिमाचल में पार्क डेवलप करने के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपए का ग्रांट भी मंजूर की है. मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण में कुल 266.95 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने बजट में प्रावधान किया है. 265 एकड़ भूमि पर 261 करोड़ रुपये से बनने वाले इस पार्क में 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं इससे 20 हजार करोड़ का टर्नओवर भी होगा.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर (Industries Minister Bikram Singh Thakur) ने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है. सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र में पार्क के बनने से फार्मास्यूटिकल उद्योग के विकास के लिए एक छत के नीचे ही चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन हो सकेगा. मेडिकल डिवाइस पार्क के बनने से बीबएन औद्योगिक क्षेत्र के लिए वर्षों से चली आ रही चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन (Chandigarh-Baddi Rail Line) के निर्माण की मांग को भी जल्द पूरी होने की उम्मीद है.

इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य जल्द पूरा किया जाएगा. रेललाइन बनने से उद्योगों के लिए कच्चा माल लाने व तैयार माल भेजने में सुविधा होगी. इसके अलावा पिजौर वाया बद्दी-नालागढ़ फोरलेन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के कार्य के अतिरिक्त 15 करोड़ की राशि का बजट में प्रावधान किया गया है. इसके अलावा बाल्द पुल भी इसी वर्ष जनता को समर्पित होगा. परवाणू, बद्दी और नालागढ़ में सीवरेज के लिए भी बजट में ख्याल रखा गया है.

इस योजना के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा और विनिर्माण लागत में भी बहुत कमी आएगी. इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपये है और इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020-2021 से लेकर वित्त वर्ष 2024-2025 तक है. चयनित किए गए मेडिकल डिवाइस पार्क को सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी. योजना के अंतर्गत एक मेडिकल डिवाइस पार्क को अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

मेडिकल डिवाइस पार्क के अंतर्गत कुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्राप्त हुए थे. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन प्रतिस्पर्धा पर हुआ है, जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of Doing Business Ranking), तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित थी.

इस योजना के अंतर्गत मूल्यांकन के आधार पर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रस्तावों को 'सैद्धांतिक' मंजूरी प्रदान की गई है. इन राज्यों की राजकोषीय क्षमता, पारिस्थितिकी तंत्र आकर्षण और औद्योगिक उपस्थिति के संदर्भ में किए गए गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर भी इन राज्यों के चयन को मान्यता प्रदान की गई है.

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ये भी पढ़ें: प्रदेश में बिखरा हुआ है कांग्रेस का कुनबा, हर कोई बनना चाहता है सीएम: सुरेश कश्यप

शिमला: केंद्र सरकार ने हिमाचल के लिए मेडिकल डिवाइस पार्क ( Medical Device Park ) की मंजूरी दे दी है. हिमाचल में पार्क डेवलप करने के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपए का ग्रांट भी मंजूर की है. मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण में कुल 266.95 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने बजट में प्रावधान किया है. 265 एकड़ भूमि पर 261 करोड़ रुपये से बनने वाले इस पार्क में 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं इससे 20 हजार करोड़ का टर्नओवर भी होगा.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर (Industries Minister Bikram Singh Thakur) ने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है. सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र में पार्क के बनने से फार्मास्यूटिकल उद्योग के विकास के लिए एक छत के नीचे ही चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन हो सकेगा. मेडिकल डिवाइस पार्क के बनने से बीबएन औद्योगिक क्षेत्र के लिए वर्षों से चली आ रही चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन (Chandigarh-Baddi Rail Line) के निर्माण की मांग को भी जल्द पूरी होने की उम्मीद है.

इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य जल्द पूरा किया जाएगा. रेललाइन बनने से उद्योगों के लिए कच्चा माल लाने व तैयार माल भेजने में सुविधा होगी. इसके अलावा पिजौर वाया बद्दी-नालागढ़ फोरलेन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के कार्य के अतिरिक्त 15 करोड़ की राशि का बजट में प्रावधान किया गया है. इसके अलावा बाल्द पुल भी इसी वर्ष जनता को समर्पित होगा. परवाणू, बद्दी और नालागढ़ में सीवरेज के लिए भी बजट में ख्याल रखा गया है.

इस योजना के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा और विनिर्माण लागत में भी बहुत कमी आएगी. इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपये है और इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020-2021 से लेकर वित्त वर्ष 2024-2025 तक है. चयनित किए गए मेडिकल डिवाइस पार्क को सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी. योजना के अंतर्गत एक मेडिकल डिवाइस पार्क को अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

मेडिकल डिवाइस पार्क के अंतर्गत कुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्राप्त हुए थे. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन प्रतिस्पर्धा पर हुआ है, जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of Doing Business Ranking), तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित थी.

इस योजना के अंतर्गत मूल्यांकन के आधार पर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रस्तावों को 'सैद्धांतिक' मंजूरी प्रदान की गई है. इन राज्यों की राजकोषीय क्षमता, पारिस्थितिकी तंत्र आकर्षण और औद्योगिक उपस्थिति के संदर्भ में किए गए गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर भी इन राज्यों के चयन को मान्यता प्रदान की गई है.

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