शिमला: हिमाचल प्रदेश के बैंकों के पास कुल जमा राशि अधिक है और बैंक से लोनिंग कम हो रही है. इस कारण हिमाचल में क्रेडिट डिपॉजिट रेशो में सुधार नहीं हो रहा है. ये स्थिति चिंताजनक है. मार्च 2022 के आंकड़ों के अनुसार इस समय हिमाचल के बैंकों में 154984 करोड़ रुपए जमा हैं. इसी अवधि में यानी मार्च 2022 तक हिमाचल के बैंकों ने 58724 करोड़ लोन दिया. इससे पूर्व मार्च 2021 में बैंकों में 141379 करोड़ रुपए जमा था और लोन दिया गया मात्रा 57242 करोड़ रुपए.
इस प्रकार देखा जाए तो बैंकों में जमा राशि में 9.26 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई (CDR crisis in Himachal) और लोन देने में सिर्फ 2.59 प्रतिशत. इस कारण लोन जमा अनुपात में सुधार नहीं हो रहा है. इससे बैंकों की आय कम होगी. कारण ये है कि लोन न देने से ब्याज नहीं मिलेगा और आर्थिक चक्र प्रभावित होगा. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में प्रति व्यक्ति बैंकों की संख्या की औसत देश के मुकाबले अच्छी है. इस समय प्रदेश के आठ जिलों में क्रेडिट डिपाजिट रेशो यानी सीडीआर राज्य के औसत से भी कम है.
औसत से कम सीडीआर होने से बैंकों की आमदन प्रभावित हो रही है. इसे नेशनल बैंचमार्क के लिए तय 60 प्रतिशत तक लाने को लेकर प्रयास हो रहे हैं. हिमाचल सरकार ने भी राज्य में बैंकिंग सेक्टर से इस पहलू पर मंथन करने को कहा है. हिमाचल प्रदेश के 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार यहां बैंकों की 2195 शाखाएं थी. इनमें से 77 प्रतिशत शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं. ग्रामीण व सहकारी बैंकों की शाखाएं अलग से हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में प्रति बैंक शाखा में औसत जनसंख्या 3129 है. वहीं, नेशनल लेवल पर यह औसत 11 हजार से अधिक है.
बैंकों की शाखाओं पर जनसंख्या का दबाव नेशनल एवरेज से कम होने (HP banks have more total deposits and less bank loans) के बावजूद राज्य में सीडीआर में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं हो रही है. राज्य में बीते साल मार्च महीने में लोन जमा अनुपात 39.80 था. बीते मार्च माह अर्थात एक साल बाद यह लोन जमा अनुपात 11 बेसिक पॉइंट की बढ़ोतरी के साथ 39.93 प्रतिशत तक ही पहुंचा. इस तरह लोन जमा अनुपात कम होने से बैंकों से लोगों को सरकारी योजनाओं के साथ-साथ अन्य योजनाओं के लिए जरूरी लोन नहीं मिल पा रहा.
हिमाचल प्रदेश में कुछ समय पहले राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में लोन जमा अनुपात कम होने पर चिंता जताई गई. खासतौर पर लाहौल स्पीति, मंडी , शिमला, बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर व कांगड़ा के साथ ऊना जिलों में लोन जमा अनुपात चिंता का विषय है. बताया जा रहा है कि बैठक में (income of banks in himachal) मौजूद वित्त विभाग ने बैंकों को सीडीआर बढ़ाने को कहा. बैंकर्स समिति की बैठक में सीडीआर जमा अनुपात को बढ़ाने के लिए बैंकों को कृषि क्षेत्र पर अधिक फोकस करने के राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने निर्देश दिए हैं.
डेयरी उत्पाद, मछली पालन और फूड प्रोसेसिंग से जुड़े कारोबार करने वालों को लोन लेने के (Loan in HP Banks) लिए बैंक आने या फिर बैंकों को उन तक पहुंचने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय ग्रामीण व शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना, एमएसएमई सेक्टर पर फोकस करते हुए इन्हें लोन देने की बात कही गई है. बैंकों में जितना पैसा जमा किया जाता है, उसके सापेक्ष कितना पैसा बैंक लोन के तौर पर दे रहे हैं, इसी अनुपात को सीडीआर कहा जाता है. बैंकों की मुख्य आय दिए गए लोन से हासिल होने वाले ब्याज के तौर पर होती है. इस आय से ही बैंक जमा राशि पर ब्याज भी देते हैं. अगर यह आय कम हो जाए तो बैंकों का कारोबार प्रभावित होता है.
हिमाचल प्रदेश में इस समय सात बैंकों की सीडीआर 20 फीसदी से कम है. इन बैंकों में इंडियन ओवरसीज बैंक, बंधन बैंक, साउथ इंडियन बैंक, आरबीएल बैंक शामिल हैं. वहीं, हिमाचल के आठ जिलों में सीडीआर चिंताजनक है. इस समय बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी, सिरमौर, सोलन में यह अनुपात कम है.
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