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हिमाचल छात्रवृत्ति घोटाला: CBI को जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के हाई कोर्ट ने दिए निर्देश - SHIMLA LOCAL NEWS

उच्च न्यायालय ने छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई को जांच प्रक्रिया में (Scholarship Scam In Himachal) तेजी लाने और आरोप पत्र जल्द से जल्द दाखिल करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने श्याम लाल द्वारा याचिका पर ये आदेश पारित किए.

Scholarship Scam In Himachal
हिमाचल छात्रवृत्ति घोटाला
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Published : Apr 21, 2022, 8:52 PM IST

शिमला: उच्च न्यायालय ने छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई को जांच प्रक्रिया में (Scholarship Scam In Himachal) तेजी लाने और आरोप पत्र जल्द से जल्द दाखिल करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने श्याम लाल द्वारा याचिका पर ये आदेश पारित किए. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि शक्ति भूषण, राज्य परियोजना अधिकारी (एसपीएम एनआईयू शिमला), जिन्हें राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए केंद्रीय प्रायोजित मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत वित्तीय छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया था ने जांच कर वर्ष 2018 में सचिव (शिक्षा) के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया है कि जांच रिपोर्ट से पता चला है कि छात्रवृत्ति की (Himachal scholarship scam) बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया था. राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के अलावा, भारत के अन्य राज्यों में स्थित कई शैक्षणिक संस्थान भी इस घोटाले में शामिल थे. नतीजतन, राज्य द्वारा उचित और गहन जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को सभी मामलों और दोषी संस्थानों की पूरी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देने की प्रार्थना की है. याचिकाकर्ता ने आगे सीबीआई को शक्ति भूषण द्वारा नामित सभी संस्थानों की जांच करने और उसके बाद बिना किसी अपवाद के सूची में नामित सभी गलत संस्थानों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करके इस तरह की जांच को तार्किक निष्कर्ष पर लाने का निर्देश देने की प्रार्थना की है.

पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा यह जानकारी दी गयी थी कि 266 निजी संस्थानों में से 28 कथित छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल थे. उनमें से 11 की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 17 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी भी जारी है. उपरोक्त जानकारी के पश्चात हाई कोर्ट ने खेद जताया था कि छह महीने बीत जाने के बाद भी इस मामले में एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है.


सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा (Himachal scholarship scam) गया है कि सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 18.04.2022 को दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं, जिसमें दो शैक्षणिक संस्थान, एपेक्स ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, इंद्री, जिला करनाल, हरियाणा और हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, काला-अंब, जिला सिरमौर शामिल हैं. उक्त संस्थाओं के मालिकों/कर्मचारियों एवं उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के अधिकारियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता एवं भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत अपराध करने के आरोप में कार्यवाही अमल में लाई गई है. जबकि हिमाचल प्रदेश बैंक अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच का दायरा खुला है. मामले पर आगामी सुनवाई 30 मई को होगी.


ये भी पढ़ें : हिमाचल का सबसे बड़ा स्कैम: 250 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला, HC की सख्ती के बाद नींद से जागी सीबीआई

शिमला: उच्च न्यायालय ने छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई को जांच प्रक्रिया में (Scholarship Scam In Himachal) तेजी लाने और आरोप पत्र जल्द से जल्द दाखिल करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने श्याम लाल द्वारा याचिका पर ये आदेश पारित किए. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि शक्ति भूषण, राज्य परियोजना अधिकारी (एसपीएम एनआईयू शिमला), जिन्हें राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए केंद्रीय प्रायोजित मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत वित्तीय छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया था ने जांच कर वर्ष 2018 में सचिव (शिक्षा) के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया है कि जांच रिपोर्ट से पता चला है कि छात्रवृत्ति की (Himachal scholarship scam) बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया था. राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के अलावा, भारत के अन्य राज्यों में स्थित कई शैक्षणिक संस्थान भी इस घोटाले में शामिल थे. नतीजतन, राज्य द्वारा उचित और गहन जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को सभी मामलों और दोषी संस्थानों की पूरी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देने की प्रार्थना की है. याचिकाकर्ता ने आगे सीबीआई को शक्ति भूषण द्वारा नामित सभी संस्थानों की जांच करने और उसके बाद बिना किसी अपवाद के सूची में नामित सभी गलत संस्थानों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करके इस तरह की जांच को तार्किक निष्कर्ष पर लाने का निर्देश देने की प्रार्थना की है.

पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा यह जानकारी दी गयी थी कि 266 निजी संस्थानों में से 28 कथित छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल थे. उनमें से 11 की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 17 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी भी जारी है. उपरोक्त जानकारी के पश्चात हाई कोर्ट ने खेद जताया था कि छह महीने बीत जाने के बाद भी इस मामले में एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है.


सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा (Himachal scholarship scam) गया है कि सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 18.04.2022 को दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं, जिसमें दो शैक्षणिक संस्थान, एपेक्स ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, इंद्री, जिला करनाल, हरियाणा और हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, काला-अंब, जिला सिरमौर शामिल हैं. उक्त संस्थाओं के मालिकों/कर्मचारियों एवं उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के अधिकारियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता एवं भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत अपराध करने के आरोप में कार्यवाही अमल में लाई गई है. जबकि हिमाचल प्रदेश बैंक अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच का दायरा खुला है. मामले पर आगामी सुनवाई 30 मई को होगी.


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