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शिमला में मनाई गई बूढ़ी दीवाली, एक दूसरे पर बरसाए आग के गोले

राजधानी शिमला की ग्राम पंचायत खटनोल के पंजायली गांव में दो दिवसीय जिलास्तरीय बूढ़ी दीवाली मनाई गई.इसी बीच ग्रामीणों ने एक दूसरे पर आग के गोले बरसाए और मंदिर के परिसर में बलराज यानि (आग) जलाकर नृत्य किया. साथ ही ग्रामीणों ने एक दूसरे के कंधों से कंधा मिलाकर रामायण के गीत गाए.

budi diwali celebrated in shimla
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Published : Nov 28, 2019, 5:21 PM IST

शिमला: दिवाली के पूरे एक महीने बाद बूढ़ी दिवाली का त्यौहार प्रदेश के कई क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी कड़ी में राजधानी की ग्राम पंचायत खटनोल के पंजायली गांव में दो दिवसीय जिलास्तरीय बूढ़ी दीवाली मनाई गई.

बुढ़ी दिवाली का ये त्यौहार ग्राम पंचायत खटनोल में पंजायली गांव के बीथींलु देवता के मंदिर में मनाया जाता है. इसी बीच ग्रामीणों ने एक दूसरे पर आग के गोले बरसाए और मंदिर के परिसर में बलराज (आग) जलाकर नृत्य किया. साथ ही ग्रामीणों ने एक दूसरे के साथ-साथ सुर से सुर मिलाकर रामायण के गीत गाए.

वीडियो

खटनोल की प्रधान अनिता शर्मा ने बताया कि बूढ़ी दिवाली के कई सालों से गांव में मनाई जाती है और लोग बड़े हर्ष के साथ इसमें शामिल होते हैं. हर साल इस त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.

बता दें कि 2 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसे जिलास्तरीय मेला घोषित किया था, जिसके बाद यहां दो दिन तक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसी बीच हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं और देवता का आशीर्वाद भी लेते हैं.

शिमला: दिवाली के पूरे एक महीने बाद बूढ़ी दिवाली का त्यौहार प्रदेश के कई क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी कड़ी में राजधानी की ग्राम पंचायत खटनोल के पंजायली गांव में दो दिवसीय जिलास्तरीय बूढ़ी दीवाली मनाई गई.

बुढ़ी दिवाली का ये त्यौहार ग्राम पंचायत खटनोल में पंजायली गांव के बीथींलु देवता के मंदिर में मनाया जाता है. इसी बीच ग्रामीणों ने एक दूसरे पर आग के गोले बरसाए और मंदिर के परिसर में बलराज (आग) जलाकर नृत्य किया. साथ ही ग्रामीणों ने एक दूसरे के साथ-साथ सुर से सुर मिलाकर रामायण के गीत गाए.

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खटनोल की प्रधान अनिता शर्मा ने बताया कि बूढ़ी दिवाली के कई सालों से गांव में मनाई जाती है और लोग बड़े हर्ष के साथ इसमें शामिल होते हैं. हर साल इस त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.

बता दें कि 2 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसे जिलास्तरीय मेला घोषित किया था, जिसके बाद यहां दो दिन तक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसी बीच हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं और देवता का आशीर्वाद भी लेते हैं.

Intro:शिमला ग्रामीण के खटनोल में मनाई गई बूढ़ी दीवाली।लोगों ने रात को छोड़ नृत्य और आग के गोले बरसाकर किया अपने रीति रिवाज का निर्वहन।दो दिनों तक चलता है कार्यक्रम।Body:हिमाचल प्रदेश में दीवाली के पूरे एक महीने के बाद बूढ़ी दीवाली का त्यौहार कई जगह पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।जिसमे पुराने रीति रिवाजों का निर्वहन किया जाता है।शिमला ग्रामीण के दूर दराज पँचायत खटनोल के पँजायली में भी दो दिन जिलास्तरीय बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है देवता बीथींलु के मंदिर में ग्रामीणों ने भी इस त्योहार को मनाया देर शाम को ग्रामीणों ने आग के गोले एक दूसरे पर बरसाए इसे पूरे रीति रिवाज ओर खास कर कंही आग न लगे इसे बड़ी सजगता के साथ मनाया जाता है।उसके बाद मन्दिर के प्रांगण में बलराज (आग)जलाकर इसके सामने छोड़ नृत्य किया जाता है। जिसमे ग्रामीण एक दूसरे के कंधों से कंधा मिलाकर रामायण के गीत गाते है।


बाईट,,,, नृत्य और एक दूसरे पर आग के गोले बरसाते हुए लोग।


कार्यक्रम की जानकारी देते हुए खटनोल की प्रधान अनिता शर्मा ने कहा कि बूढ़ी दीवाली के सहस्त्रों सालो से गांव में मनाई जाती है ओर लोग बड़े हर्ष से इसे मनाते है उन्होंने कहा कि ये हमारे पुराने रीति रिवाज है और यंहा दिन को भी कई कार्यक्रम किये जाते है।

बाईट,,,, अनिता शर्मा
प्रधान खटनोल पँचायतConclusion:आपको बता दे कि 2 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसे जिलास्तरीय मेला घोषित किया जिसके बाद यंहा दो दिन तक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है जिसमे लोग हजारों की संख्या में भाग लेते हैं और देवता का आशीर्वाद लेते है।
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