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एंटी स्किड टायर में हिमाचल की मदद से खत्म होगी चीन की दादागिरी, भारतीय सेना को होगा लाभ

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Published : Sep 3, 2021, 7:48 PM IST

एंटी स्किड टायर तकनीक से अब चीन की दादागिरी खत्म हो जाएगी. यह संभव होगा हिमाचल की मदद से और यहा तैयार रोजिन एसिड मदद करेगा. इसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय सेना को होगा. एंटी स्किड टायर किसी भी परिस्थिति में वाहन को पलटने नहीं देता. भारतीय सेना को हथियार व रसद को सीमावर्ती चौकियों तक पहुंचने के लिए ऐसे टायर की बहुत जरूरत है.

एंटी स्किड टायर
एंटी स्किड टायर

शिमला: एंटी स्किड टायर तकनीक (Anti-skid tire technology) में अब चीन का वर्चस्व खत्म होगा. यह संभव होगा हिमाचल की मदद से. अब भारत में भी एंटी स्किड टायर तैयार हो सकेंगे. इसमें हिमाचल में तैयार रोजिन एसिड मदद करेगा. एंटी स्किड टायर की भारतीय सेना (Indian Army) को भी बेहद जरूरत है. सेना को ऐसे टायर मिलने से उसकी क्षमता बढ़ेगी. खतरनाक रास्तों पर सेना के काफिले उक्त टायर की मदद से आसानी से मंजिल पर पहुंच सकेंगे. आइए जानते हैं ये कैसे संभव होगा.

दरअसल, एंटी स्किड टायर बनाने के लिए एक खास किस्म का रोजिन एसिड यानी बिरोजे का एसिड के साथ कुछ केमिकल्स का प्रयोग होता है. पूरी दुनिया में यह तकनीक केवल चीन के पास है. चीन ने इसका पेटेंट किया हुआ है, लेकिन एंटी स्किड टायर बनाने के लिए रोजिन एसिड के साथ जो केमिकल व अन्य वस्तुएं पड़ती हैं, उसके बारे में जापान को भी मालूम है. जापान व हरियाणा की एक निजी कंपनी में इस बारे में तकनीक का आदान-प्रदान हो चुका है. हरियाणा की कंपनी ने बिरोजा हासिल करने के लिए हिमाचल से संपर्क किया है. हिमाचल में बिरोजे की दो फैक्ट्रियां हैं. यहां काफी बिरोजा होता है.

जापान में बिरोजा बिल्कुल भी नहीं होता. इस तरह जापान के सहयोग व हरियाणा की कंपनी की तकनीकी जानकारी के जरिए एंटी स्किड टायर के बाजार में चीन का दबदबा खत्म हो जाएगा. हालांकि, पूर्व में भी इस तरह के प्रयास हुए थे, लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय तकनीकी कारणों से इस मुहिम में रुकावट आई. अब हिमाचल सरकार ने अपनी तरफ पहल करते हुए सभी संबंधित पक्षों को नए सिरे से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट (important project) के लिए तैयार किया है.



अभी तक की जानकारी के अनुसार हरियाणा की निजी कंपनी डिस्प्रपोशनेट रोजिन एसिड यानी बिरोजे के खास किस्म को तैयार करने के लिए बेसिक इंजीनियरिंग पैकेज उपलब्ध करवाएगी. इससे हिमाचल को भी भारी लाभ होगा. अभी तक हिमाचल का बिरोजा केवल पेंट बनाने के लिए बेचा जाता था. हिमाचल सरकार को इससे अस्सी रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसा मिलता था, लेकिन रोजिन एसिड के लिए हिमाचल को प्रति किलो बिरोजा के 200 रुपए तक के दाम मिल सकेंगे.

बड़ी बात यह है कि इसका सबसे अधिक लाभ भारतीय सेना को होगा. चीन इतना शातिर है कि इस तकनीक को दुनिया के किसी देश के साथ साझा नहीं करता. अब एंटी स्किड टायर बनाने में हिमाचल की अहम भूमिका रहेगी. बता दें कि हिमाचल में बिरोजे की दो फैक्ट्रियां हैं. इनमें से बिलासपुर बिरोजा फैक्ट्री की बिरोजा भंडारण क्षमता 74 हजार क्विंटल व नाहन बिरोजा फैक्ट्री की भंडारण क्षमता 37 हजार क्विंटल है.



देश में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) अनुसंधान एवं विकास शाखा ने रोजिन गम यानी गोंद से विशेष रोजिऩ एसिड बनाने की विधि विकसित की है. वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी (Deputy Chairman of Forest Corporation Surat Negi) के अनुसार इस क्षेत्र में चीन का दबदबा था. हिमाचल प्रदेश स्टेट फॉरेस्ट कॉरपोरेशन (Himachal Pradesh State Forest Corporation) ने हरियाणा की निजी कंपनी के साथ वार्तालाप किया. हिमाचल ने एंटी स्किड टायर बनाने के लिए अपनी तरफ से अतिरिक्त सहयोग की भी पेशकश की है. जल्द ही इस बारे में शुभ सूचना सामने आएगी.

वन विभाग के आला अफसर रहे डॉ. नागेश गुलेरिया ने बताया कि पूरी दुनिया में एंटी स्किड टायर के लिए रोजिन एसिड के साथ प्रयोग होने वाले पदार्थ की तकनीक चीन के पास है. इस पदार्थ में रोजिन एसिड एक रॉ मटेरियल के रूप में है. रोजिन एसिड में कुछ अन्य केमिकल्स पड़ते हैं. उन केमिकल्स के बारे में चीन के पास विशेषज्ञता है. जापान में बिरोजा नहीं होता है. हिमाचल में बिरोजे की काफी उपलब्धता है. चीड़ के पेड़ों से बिरोजा हासिल होता है. हिमाचल में बिरोजा निकालने का काम वन निगम करता है.

अब हिमाचल के बिरोजे से खास किस्म का रोजिन एसिड बनेगा और यह एसिड एंटी स्किड टायर बनाने में काम आएगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि एंटी स्किड टायर किसी भी परिस्थिति में वाहन को पलटने नहीं देता. भारतीय सेना को हथियार व रसद को सीमावर्ती चौकियों (border posts) तक पहुंचने के लिये ऐसे टायर की बहुत जरूरत है. खासकर इस दौर में जब सीमा पर अकसर तनाव की स्थिति रहती है. फिलहाल हिमाचल सरकार भी अपनी तरफ से लगातार प्रयास कर रही है कि जल्द ही हिमाचल के बिरोजे से ऐसे टायर तैयार हो सके.

ये भी पढ़ें :हिमाचल प्रदेश: जल्द ही UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में जुड़ेगी कुल्लू घाटी

शिमला: एंटी स्किड टायर तकनीक (Anti-skid tire technology) में अब चीन का वर्चस्व खत्म होगा. यह संभव होगा हिमाचल की मदद से. अब भारत में भी एंटी स्किड टायर तैयार हो सकेंगे. इसमें हिमाचल में तैयार रोजिन एसिड मदद करेगा. एंटी स्किड टायर की भारतीय सेना (Indian Army) को भी बेहद जरूरत है. सेना को ऐसे टायर मिलने से उसकी क्षमता बढ़ेगी. खतरनाक रास्तों पर सेना के काफिले उक्त टायर की मदद से आसानी से मंजिल पर पहुंच सकेंगे. आइए जानते हैं ये कैसे संभव होगा.

दरअसल, एंटी स्किड टायर बनाने के लिए एक खास किस्म का रोजिन एसिड यानी बिरोजे का एसिड के साथ कुछ केमिकल्स का प्रयोग होता है. पूरी दुनिया में यह तकनीक केवल चीन के पास है. चीन ने इसका पेटेंट किया हुआ है, लेकिन एंटी स्किड टायर बनाने के लिए रोजिन एसिड के साथ जो केमिकल व अन्य वस्तुएं पड़ती हैं, उसके बारे में जापान को भी मालूम है. जापान व हरियाणा की एक निजी कंपनी में इस बारे में तकनीक का आदान-प्रदान हो चुका है. हरियाणा की कंपनी ने बिरोजा हासिल करने के लिए हिमाचल से संपर्क किया है. हिमाचल में बिरोजे की दो फैक्ट्रियां हैं. यहां काफी बिरोजा होता है.

जापान में बिरोजा बिल्कुल भी नहीं होता. इस तरह जापान के सहयोग व हरियाणा की कंपनी की तकनीकी जानकारी के जरिए एंटी स्किड टायर के बाजार में चीन का दबदबा खत्म हो जाएगा. हालांकि, पूर्व में भी इस तरह के प्रयास हुए थे, लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय तकनीकी कारणों से इस मुहिम में रुकावट आई. अब हिमाचल सरकार ने अपनी तरफ पहल करते हुए सभी संबंधित पक्षों को नए सिरे से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट (important project) के लिए तैयार किया है.



अभी तक की जानकारी के अनुसार हरियाणा की निजी कंपनी डिस्प्रपोशनेट रोजिन एसिड यानी बिरोजे के खास किस्म को तैयार करने के लिए बेसिक इंजीनियरिंग पैकेज उपलब्ध करवाएगी. इससे हिमाचल को भी भारी लाभ होगा. अभी तक हिमाचल का बिरोजा केवल पेंट बनाने के लिए बेचा जाता था. हिमाचल सरकार को इससे अस्सी रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसा मिलता था, लेकिन रोजिन एसिड के लिए हिमाचल को प्रति किलो बिरोजा के 200 रुपए तक के दाम मिल सकेंगे.

बड़ी बात यह है कि इसका सबसे अधिक लाभ भारतीय सेना को होगा. चीन इतना शातिर है कि इस तकनीक को दुनिया के किसी देश के साथ साझा नहीं करता. अब एंटी स्किड टायर बनाने में हिमाचल की अहम भूमिका रहेगी. बता दें कि हिमाचल में बिरोजे की दो फैक्ट्रियां हैं. इनमें से बिलासपुर बिरोजा फैक्ट्री की बिरोजा भंडारण क्षमता 74 हजार क्विंटल व नाहन बिरोजा फैक्ट्री की भंडारण क्षमता 37 हजार क्विंटल है.



देश में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) अनुसंधान एवं विकास शाखा ने रोजिन गम यानी गोंद से विशेष रोजिऩ एसिड बनाने की विधि विकसित की है. वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी (Deputy Chairman of Forest Corporation Surat Negi) के अनुसार इस क्षेत्र में चीन का दबदबा था. हिमाचल प्रदेश स्टेट फॉरेस्ट कॉरपोरेशन (Himachal Pradesh State Forest Corporation) ने हरियाणा की निजी कंपनी के साथ वार्तालाप किया. हिमाचल ने एंटी स्किड टायर बनाने के लिए अपनी तरफ से अतिरिक्त सहयोग की भी पेशकश की है. जल्द ही इस बारे में शुभ सूचना सामने आएगी.

वन विभाग के आला अफसर रहे डॉ. नागेश गुलेरिया ने बताया कि पूरी दुनिया में एंटी स्किड टायर के लिए रोजिन एसिड के साथ प्रयोग होने वाले पदार्थ की तकनीक चीन के पास है. इस पदार्थ में रोजिन एसिड एक रॉ मटेरियल के रूप में है. रोजिन एसिड में कुछ अन्य केमिकल्स पड़ते हैं. उन केमिकल्स के बारे में चीन के पास विशेषज्ञता है. जापान में बिरोजा नहीं होता है. हिमाचल में बिरोजे की काफी उपलब्धता है. चीड़ के पेड़ों से बिरोजा हासिल होता है. हिमाचल में बिरोजा निकालने का काम वन निगम करता है.

अब हिमाचल के बिरोजे से खास किस्म का रोजिन एसिड बनेगा और यह एसिड एंटी स्किड टायर बनाने में काम आएगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि एंटी स्किड टायर किसी भी परिस्थिति में वाहन को पलटने नहीं देता. भारतीय सेना को हथियार व रसद को सीमावर्ती चौकियों (border posts) तक पहुंचने के लिये ऐसे टायर की बहुत जरूरत है. खासकर इस दौर में जब सीमा पर अकसर तनाव की स्थिति रहती है. फिलहाल हिमाचल सरकार भी अपनी तरफ से लगातार प्रयास कर रही है कि जल्द ही हिमाचल के बिरोजे से ऐसे टायर तैयार हो सके.

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