शिमला: हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्करज यूनियन व आंगनवाड़ी वर्कर यूनियन ने सीटू के बैनर तले अखिल भारतीय आह्वान पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान कार्यर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मिड डे मिल वर्कर यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने केंद्र सरकार की मिड डे मील विरोधी नीतियों की जमकर आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मिड डे मील योजना के निजीकरण की साजिश रच रही है. इसलिए साल दर साल इस योजना के बजट में निरंतर कटौती की जा रही है. इस वर्ष भी मध्याह्न भोजन योजना के बजट में चौदह सौ करोड़ रुपये की कटौती कर दी गयी है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक भी रुपये की बढ़ोतरी नहीं की है. उन्हें वर्तमान में केवल 2600 रुपये वेतन मिल रहा है जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी मात्र एक हजार रुपये है. मात्र 85 रुपये दिहाड़ी मिलने से, भारी महंगाई के इस दौर में गुजारा करना असम्भव है. उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बारह महीने के बजाए केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है. इसके अलावा छुट्टियां, ईपीएफ, मेडिकल जैसी कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है. यहां तक की उन्हें वेतन तीन से छः महीने के अंतराल में मिलता है जिससे उनका भारी शोषण हो रहा है.
मिड डे मिल वर्कर यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने सरकार से मांग की है कि, मिड डे मील कर्मियों को न्यूनतम वेतन नौ हजार रुपये दिया जाए. उन्होंने महिला कर्मियों के लिए वेतन सहित छः महीने का प्रसूति अवकाश देने की भी मांग की है. उन्होंने 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार कर्मियों को नियमित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मिड डे मील वर्करज स्कूल में सभी तरह का कार्य करते हैं इसलिए उन्हें ही मल्टी टास्क वर्कर के रूप में नियुक्त किया जाए.
हिमी देवी ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर योजना पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कर्मियों को साल में दो ड्रेस, बीमा योजना लागू करने, रिटायरमेंट पर चार लाख रुपये ग्रेच्युटी देने, दुर्घटना में पचास हजार रुपये, मेडिकल सुविधा लागू करने की भी सरकार से मांग की है. उनका कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो आने वाले दिनों में रोज प्रदर्शन किया जाएगा.
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