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पहाड़ों की आबोहवा में घुलने लगा जहर, बढ़ने लगा प्रदूषण का स्तर

हिमाचल प्रदेश में प्रदूषण का स्तर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. राजधानी शिमला की हवा में प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक बढ़ रहा है. शिमला की बात करें तो यहां पर कोई उद्योग तो नहीं है, लेकिन साल दर साल वाहनों की बढ़ती आवाजाही से यहां पर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है.

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Published : Apr 27, 2021, 5:31 PM IST

फोटो.
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शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला को शुद्ध और ताजा आब-ओ-हवा के लिए जाना जाता है. लेकिन अब यहां की हवा धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है. राजधानी शिमला में उद्योग तो नहीं है, बावजूद इसके यहां हवा में प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक बढ़ रहा है.

राजधानी शिमला में जहां एयर क्वालिटी की बात की जाए तो 16 अप्रैल को शिमला शहर में पीएम 10 की मात्रा 161 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी. 19 अप्रैल को शिमला में पीएम 10 , 152 रिकार्ड किया गया. वहीं, बारिश होने के बाद 20 अप्रैल को बारिश होने से पीएम 10 शहर में 39 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पहुंच गया.

प्रदूषण बढ़ना चिंता का विषय

हिमाचल के शहरों की बात करें तो काला अंब, बद्दी, डमटाल, नालागढ़, पांवटा साहिब सबसे ज्यादा दूषित शहरों में शुमार किए जाते हैं. इन क्षेत्रों में उद्योगों से निकलने वाले विषैले धुएं की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा रहा है. अन्य शहरों में बढ़ते वाहनों की आवाजाही से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट.

बढ़ती वाहनों की संख्या भी प्रदूषण का कारण

शिमला शहर में वाहनों की बात करें तो यहां पर 79 हजार वाहन पंजीकृत है. इसके अलावा बाहरी राज्यों और पर्यटकों के वाहनों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच जाती है, जिससे यहां प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. वहीं बीते दिनों शिमला के आसपास के जंगलों में लगी आग से भी प्रदूषण बढ़ गया था, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बाद अब शिमला में पर्यावरण स्वच्छ हो गया है. लेकिन उससे पहले देखा जाए तो शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है.

25 जगहों पर की जा रही मॉनिटरिंग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निपुन जिंदल का कहना है कि प्रदेश में प्रदूषण के स्तर पर बोर्ड नजर रख रहा है और 25 जगहों पर इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. 7 पैरामीटर पर टेस्ट किए जाते हैं, इसमें पीएम (पिको मीटर) 10 और पीएम 2.5 हवा में गैसों का टेस्ट किया जाता है. राहत की बात यह है कि हिमाचल में ज्यादा पॉल्यूशन नहीं है. प्रदेश में केवल सात जगहों को चिन्हित किया गया है, जिसमें पीएम 10 की मात्रा कुछ ज्यादा है.

हिमाचल में साल दर साल बढ़ रहा प्रदूषण

हिमाचल विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार अत्री का कहना है कि हिमाचल प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे की एक वजह जहां वाहनों की बढ़ती तादाद है. वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी, कालाअंब और परमाणु में उद्योगों की वजह से प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो रहा है, लेकिन पर्यटन स्थलों पर भी अब प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.

कागजों में लगाए जाते हैं पौधे

हिमाचल में पर्यावरण पर काम कर रही कार्बन सोसायटी के अध्यक्ष ईशू ठाकुर बताते हैं कि प्रदेश में हर साल प्रदूषण को नियंत्रण करके के लिए पौधे लगाए जाने के काजगी दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में धरातल पर ऐसा होता नजर नहीं आता है. प्रदेश में पेड़ों का कटान भी लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए खास कर शिमला में लोगों को इलेक्ट्रिकल वाहनों की ओर लोगों का रुझान सरकार को बढ़ाना चाहिए. तभी शिमला शहर प्रदूषण से बच सकता है.

प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में रहा है बद्दी और परवाणू

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू पर्यावरण प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में ही रहा है. उद्योगों से निकलने वाला विषैला धुआं वातावरण को काफी प्रभावित कर चुका है. यहां की हवा को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए एनजीटी और कोर्ट भी समय-समय पर संज्ञान लेते रहे बावजूद इसके यहां पर प्रदूषण काम नहीं हो पा रहा है. हिमाचल में अलग-अलग जिलों में हो रहे लगातार निर्माण कार्यों के चलते हुए जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भी परिवर्तन साफ देखा जा सकता है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है ?

प्रदूषण की समस्या मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया गया है. इंडेक्स बताता है कि हवा में पिको मीटर पीएम-10, पीएम 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) सहित 8 प्रदूषकों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों के तहत है या नहीं. एयर क्वालिटी की बात करें तो जीरो से 50 की कैटेगरी अच्छी मानी जाती है और 51 से 100 को संतोषजनक, जबकि 101 से 200 मध्यम. 201 से 300 को खराब और 301 से 400 बहुत खराब माना जाता है. हालांकि प्रदेश में किसी भी शहर की प्रदूषण का स्तर अभी तक इतना नहीं पहुंचा है.

हिमाचल के शहरों में प्रदूषण का स्तर (PM-10)
शहर19 मार्च 19 अप्रैल
बद्दी217215
नालागढ़119125
कालाअंब123113
शिमला168.8152
ऊना6840
डमटाल10756
परवाणू52 51
सुंदरनगर8953
मनाली6533

फोरलेन के नाम पर दी जा रही हजारों पेड़ों की बलि

वरिष्ठ पत्रकार धनजंय शर्मा ने कहा कि पहाड़ों पर लगातर प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. इसके पीछे का कारण बढ़ते वाहनों की आवाजाही है वहीं, पेड़ों का कटान भी है. सरकार विकास कार्यों के लिए पेड़ों को तो काट रही है, लेकिन उसकी जगह पर पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं. फोरलेन के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि दे दी गई है.

सरकार के पास प्रदूषण नियंत्रण की नीति नहीं

हिमाचल सरकार के पास भी प्रदूषण कम करने के लिए कोई नीति नहीं है. सरकार खाना पूर्ति के लिए वन महोत्सव के तहत लाखों पेड़ तो लगती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है. पर्यटक शिमला सहित अन्य क्षेत्रों में साफ आब वो हवा के लिए आते हैं, लेकिन अब यहां भी हवा दूषित हो रही है. सरकार को प्रदूषण कम करने को लेकर कोई नीति बननी होगी तभी यहां का पर्यावरण शुद्ध होगा.

शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला को शुद्ध और ताजा आब-ओ-हवा के लिए जाना जाता है. लेकिन अब यहां की हवा धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है. राजधानी शिमला में उद्योग तो नहीं है, बावजूद इसके यहां हवा में प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक बढ़ रहा है.

राजधानी शिमला में जहां एयर क्वालिटी की बात की जाए तो 16 अप्रैल को शिमला शहर में पीएम 10 की मात्रा 161 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी. 19 अप्रैल को शिमला में पीएम 10 , 152 रिकार्ड किया गया. वहीं, बारिश होने के बाद 20 अप्रैल को बारिश होने से पीएम 10 शहर में 39 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पहुंच गया.

प्रदूषण बढ़ना चिंता का विषय

हिमाचल के शहरों की बात करें तो काला अंब, बद्दी, डमटाल, नालागढ़, पांवटा साहिब सबसे ज्यादा दूषित शहरों में शुमार किए जाते हैं. इन क्षेत्रों में उद्योगों से निकलने वाले विषैले धुएं की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा रहा है. अन्य शहरों में बढ़ते वाहनों की आवाजाही से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट.

बढ़ती वाहनों की संख्या भी प्रदूषण का कारण

शिमला शहर में वाहनों की बात करें तो यहां पर 79 हजार वाहन पंजीकृत है. इसके अलावा बाहरी राज्यों और पर्यटकों के वाहनों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच जाती है, जिससे यहां प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. वहीं बीते दिनों शिमला के आसपास के जंगलों में लगी आग से भी प्रदूषण बढ़ गया था, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बाद अब शिमला में पर्यावरण स्वच्छ हो गया है. लेकिन उससे पहले देखा जाए तो शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है.

25 जगहों पर की जा रही मॉनिटरिंग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निपुन जिंदल का कहना है कि प्रदेश में प्रदूषण के स्तर पर बोर्ड नजर रख रहा है और 25 जगहों पर इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. 7 पैरामीटर पर टेस्ट किए जाते हैं, इसमें पीएम (पिको मीटर) 10 और पीएम 2.5 हवा में गैसों का टेस्ट किया जाता है. राहत की बात यह है कि हिमाचल में ज्यादा पॉल्यूशन नहीं है. प्रदेश में केवल सात जगहों को चिन्हित किया गया है, जिसमें पीएम 10 की मात्रा कुछ ज्यादा है.

हिमाचल में साल दर साल बढ़ रहा प्रदूषण

हिमाचल विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार अत्री का कहना है कि हिमाचल प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे की एक वजह जहां वाहनों की बढ़ती तादाद है. वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी, कालाअंब और परमाणु में उद्योगों की वजह से प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो रहा है, लेकिन पर्यटन स्थलों पर भी अब प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.

कागजों में लगाए जाते हैं पौधे

हिमाचल में पर्यावरण पर काम कर रही कार्बन सोसायटी के अध्यक्ष ईशू ठाकुर बताते हैं कि प्रदेश में हर साल प्रदूषण को नियंत्रण करके के लिए पौधे लगाए जाने के काजगी दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में धरातल पर ऐसा होता नजर नहीं आता है. प्रदेश में पेड़ों का कटान भी लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए खास कर शिमला में लोगों को इलेक्ट्रिकल वाहनों की ओर लोगों का रुझान सरकार को बढ़ाना चाहिए. तभी शिमला शहर प्रदूषण से बच सकता है.

प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में रहा है बद्दी और परवाणू

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू पर्यावरण प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में ही रहा है. उद्योगों से निकलने वाला विषैला धुआं वातावरण को काफी प्रभावित कर चुका है. यहां की हवा को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए एनजीटी और कोर्ट भी समय-समय पर संज्ञान लेते रहे बावजूद इसके यहां पर प्रदूषण काम नहीं हो पा रहा है. हिमाचल में अलग-अलग जिलों में हो रहे लगातार निर्माण कार्यों के चलते हुए जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भी परिवर्तन साफ देखा जा सकता है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है ?

प्रदूषण की समस्या मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया गया है. इंडेक्स बताता है कि हवा में पिको मीटर पीएम-10, पीएम 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) सहित 8 प्रदूषकों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों के तहत है या नहीं. एयर क्वालिटी की बात करें तो जीरो से 50 की कैटेगरी अच्छी मानी जाती है और 51 से 100 को संतोषजनक, जबकि 101 से 200 मध्यम. 201 से 300 को खराब और 301 से 400 बहुत खराब माना जाता है. हालांकि प्रदेश में किसी भी शहर की प्रदूषण का स्तर अभी तक इतना नहीं पहुंचा है.

हिमाचल के शहरों में प्रदूषण का स्तर (PM-10)
शहर19 मार्च 19 अप्रैल
बद्दी217215
नालागढ़119125
कालाअंब123113
शिमला168.8152
ऊना6840
डमटाल10756
परवाणू52 51
सुंदरनगर8953
मनाली6533

फोरलेन के नाम पर दी जा रही हजारों पेड़ों की बलि

वरिष्ठ पत्रकार धनजंय शर्मा ने कहा कि पहाड़ों पर लगातर प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. इसके पीछे का कारण बढ़ते वाहनों की आवाजाही है वहीं, पेड़ों का कटान भी है. सरकार विकास कार्यों के लिए पेड़ों को तो काट रही है, लेकिन उसकी जगह पर पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं. फोरलेन के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि दे दी गई है.

सरकार के पास प्रदूषण नियंत्रण की नीति नहीं

हिमाचल सरकार के पास भी प्रदूषण कम करने के लिए कोई नीति नहीं है. सरकार खाना पूर्ति के लिए वन महोत्सव के तहत लाखों पेड़ तो लगती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है. पर्यटक शिमला सहित अन्य क्षेत्रों में साफ आब वो हवा के लिए आते हैं, लेकिन अब यहां भी हवा दूषित हो रही है. सरकार को प्रदूषण कम करने को लेकर कोई नीति बननी होगी तभी यहां का पर्यावरण शुद्ध होगा.

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