शिमला: चुनावी वर्ष में स्मार्ट सिटी शिमला के काम सुर्खियों में हैं. कांग्रेस स्मार्ट सिटी के तहत हुए कार्यों को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक और उपाध्यक्ष आदर्श सूद ने सरकार पर शिमला स्मार्ट सिटी के (Adarsh Sood on Smart City Shimla) कामों में पैसे की बर्बादी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि स्मार्ट सिटी के तहत शहर में घटिया गुणवत्ता का कार्य हुआ है.
जाम की समस्या आज भी वैसी ही: कांग्रेस के पूर्व विधायक आदर्श सूद ने कहा कि पूर्व में यूपीए की सरकार के दौरान 2017 में स्वीकृत स्मार्ट सिटी का मकसद पुराने भवनों को गिराकर नए बनाना और नए स्थान पर बाजार बनाना था. लेकिन वर्तमान सरकार ने ठेकदारों को फायदा पहुंचाने का काम किया है. शहर में सड़कों को चौड़ा करने के नाम पर डंगे लगाए गए और लोहे के ब्रिज खड़े किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जाम की समस्या आज भी वैसी ही बनी हुई है और शहरवासी बेहद परेशान है.
चहेतों को पहुंचाया जा रहा फायदा: उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय में ही शहर में रोपवे का काम शुरू हुआ और शहर में मजबूत ओवर ब्रिज बनाए गए. लेकिन अब शहर में जो ब्रिज बनाए गए हैं उनमें स्टील व लोहे का दुरुपयोग किया गया है ताकि चहेतों को फायदा (Adarsh Sood target bjp govt) पहुंचाया जा सके. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार नगर निगम के चुनावों में हार के डर से मामले को लटका रही है. आदर्श सूद ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पुरानी दुकानों को नए सिरे से बनाने के काम में चहेतों को फायदा पहुंचाया गया है.
फुट ओवर ब्रिज के हैवी स्ट्रक्चर बनाकर की पैसों की बर्बादी: दुकानों के लिए अपनाई जा रही प्रीफैब स्ट्रक्चर तकनीक आरसीसी से कई गुणा ज्यादा लागत की है. प्रीफैब स्ट्रक्चर की लागत 11000 रुपए प्रति फुट है, जबकि आरसीसी में यह अधिकतम 3000 रुपए प्रति फुट है. यही नहीं आरसीसी स्ट्रक्चर की तुलना में प्री प्रीफैब स्ट्रक्चर की ड्यूरेबिलिटी भी काफी कम है. शिमला में फुट ओवर ब्रिज के हैवी स्ट्रक्चर बनाकर पैसों की बर्बादी की गई है. आदर्श सूद ने कहा है कि शिमला में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों का काम पीडब्ल्यूडी और हिमुडा के माध्यम से करवाया जा रहा है, लेकिन ये एजेंसियां अपने इंजीनियरों से काम करवाने की बजाए प्राइवेट कंसल्टेंट पर लाखों लुटा रही हैं.
स्मार्ट सिटी के तहत केवल डंगे ही लगाए: आदर्श सूद ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर में केवल डंगे लगाने का ही काम हुआ. प्लान के मुताबिक शिमला में मॉडर्न ट्रांसपोर्ट सिस्टम और सर्कुलर रोड की बाईपास से कनेक्टिविटी के लिए सड़कें बननी थीं. मगर इसके लिए कोई भी काम नहीं हुआ. शहर में नई पार्किंग भी नहीं बनाई गई. सरकार की नाकामी से शहर में ट्रैफिक जाम आम हो गया है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरस तो शांत है, लेकिन कांग्रेसी इन दिनों अशांत: वीरेंद्र कंवर