शिमलाः प्रदेश में सभी शैक्षणिक संस्थान अब छात्रों की नियमित कक्षाओं के लिए खोल दिय गए हैं. स्कूल, कॉलेजों के साथ ही सभी तकनीकी संस्थान, पॉलिटेक्निक और आईआईटी भी खोल दिए गए हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक नियमित कक्षाओं के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं कि गई है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया है कि एचपीयू छात्रों की कक्षाओं को लेकर गंभीर नहीं है. जो एचपीयू की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाती है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एचपीयू इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने एचपीयू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एचपीयू प्रशासन छात्रों की नियमित कक्षाओं को लगाना तो दूर, लेकिन अनुमति मिलने के बाद छात्रों के लिए पुस्तकालय तक नहीं खोल रहा है.
पीएचडी में प्रवेश परीक्षा की अंतिम तिथि
उन्होंने कहा कि न तो पीजी के परीक्षा परिणाम अभी तक एचपीयू ने घोषित किए हैं. परिणाम घोषित ना होने की वजह से छात्र अभी तक पीएचडी के लिए फॉर्म नहीं भर पा रहे है. बुधवार को पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि है, लेकिन जब पीजी के परिणाम ही घोषित नहीं हुआ है तो किस तरह से छात्र यह फॉर्म भरेंगे.
एचपीयू इक्डोल में छात्रों को नहीं मिला प्रवेश
विशाल सकलानी ने कहा कि वर्तमान समय में एचपीयू समस्याओं का अड्डा बना हुआ है. यहां का ईआरपी सिस्टम खामियों से भरा हुआ है, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. इतना ही एचपीयू इक्डोल में बीते 1 साल से छात्रों को प्रवेश ही नहीं मिल पाया है और अभी भी यहां दाखिलें शुरू नहीं हुए है
छात्रों को लूटने आरोप
एबीवीपी ने आरोप लगाया है कि एचपीयू प्रशासन लगातार छात्रों को लूटने का काम कर रहा है. छात्रों को स्पेशल मौका देने के नाम पर उनसे पहले 5 हजार और अब 20 हजार रुपये एचपीयू वसूल रहा है, जिसका एबीवीपी विरोध करती है.
इक्डोल में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की मांग
एबीवीपी ने मांग विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष उठाई है कि प्रशासन एचपीयू को छात्रों की नियमित कक्षाओं के लिए खोलने के साथ ही पीजी के परीक्षा परिणाम भी समय पर घोषित करें. इसके साथ ही इक्डोल में दाखिलों की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किया जाए.
मांग पूरी न होने पर करेंगे आंदोलन
इसके अलावा ईआरपी प्रणाली को सुदृढ किया जाए और गोल्डन चांस के नाम पर छात्रों से 20 हजार रुपये फीस वसूलने वाली अधिसूचना को वापस लें. एबीवीपी ने चेताया है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो वह विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू करेंगे.
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