शिमला: राजधानी शिमला में विकास नगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक की शुरुआत हो गई है. देश के सभी हिस्सों से कुल 469 प्रतिनिधि इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. बैठक का शुभारम्भ एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. छगनभाई पटेल, राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया.
बता दें कि एबीवीपी के 75 वर्ष पर आयोजित कार्यक्र में स्वावलंबी भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, राज्य सरकारों का विश्वविद्यालयों में बढ़ता हस्तक्षेप एवं पेपर लीक जैसे मामलों पर कार्यकारी परिषद विस्तृत चर्चा करेगी. देश भर के शैक्षिक परिसरों में आ रही समस्याओं पर भी बैठक में चर्चा होगी, जिनके निवारण के लिए योजना भी बनाई जाएगी. कार्यकारी परिषद में 4 प्रस्ताव भी प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चा के लिए रखा जाएगा, जिनमें सुझावों को शामिल कर कार्यकारी परिषद द्वारा पारित किया जाएगा.
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एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी (ABVP National General Secretary Nidhi Tripathi) ने कहा कि असम, काशी विश्वविद्यालय, केरल में छात्रसंघ चुनाव में विद्यार्थी परिषद की प्रचंड जीत, राष्ट्रीयता के भाव की बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाती है. पेपर लीक की घटनाओं को लेकर विद्यार्थी परिषद संघर्ष की ओर अग्रसर है. विश्वविद्यालयों में राजनीतिक हस्तक्षेप शिक्षा जगत के लिए घातक है.
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, हिम तंरगोत्सव सोलन, मंडी जिला में मिशन साहसी आदि रचनात्मक कार्यक्रम हिमाचल में आयोजित किए हैं. लावण्या के न्याय की लड़ाई लड़ते हुए एबीवीपी देश के अल्पसंख्य शैक्षिक सस्थानों में 'एंटी कन्वर्जन हेल्पलाइन' (anti conversion helpline in himachal) लागू करने के लिए प्रयासरत रहेगी. यह कार्यकारी परिषद देश भर के शैक्षिक विषयों पर गहन चर्चा करेगा एवं समाधानों को खोजने का काम करेगी. प्रत्येक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र पुनः निर्माण के कार्य में योगदान दें.
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राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. छगनभाई पटेल ने कहा कि, शिमला में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की ये बैठक ऐतिहासिक है. यह वो स्थान है जहां शिमला करार हुआ था. हिमाचल प्रदेश में अभाविप का कार्य मजबूत करने में शिमला की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पश्चिम बंगाल में जो स्तिथि है वो लोकतंत्र के साथ धोखा है. शिक्षा क्षेत्र में राजनैतिक दबाव न हो ऐसी एक शैक्षिक परिवार की कल्पना अभाविप करती है.
प्रवेश-परीक्षा-परिणाम के सुधार के लिए एबीवीपी शुरू से ही संघर्ष कर रही है. अनेक मेडिकल एवं महाविद्यालयों में छात्रों के आत्महत्या (Student suicide cases in colleges) के मामले सामने आ रहे हैं और इसलिए शिक्षण संस्थानों में आनंदमयी-सार्थक जीवन की ओर प्रयास होना चाहिए, जिसको लेकर अभाविप भी देश भर में प्रयास कर रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर एबीवीपी ने बहुत सुझाव दिए हैं और अब उसके क्रियान्वयन के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा के माध्यम से छात्रों में आत्मविश्वास आता है, इसीलिए यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति आवश्यक है.