शिमला: प्रदेश में साइबर ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. आये दिन लोग साइबर ठगी (online fraud in shimla) का शिकार हो रहे हैं. इसी को देखते हुए साइबर विभाग भी अलर्ट हो गया है. अब विभाग ने निर्णय लिया है कि 1 जनवरी यानी आज से साइबर थाने में 24 घंटे लोगों को सेवाएं (cyber help desk shimla) मिलेंगी. इसके लिए साइबर पुलिस थाना शिमला में प्रबंध किए गए हैं. कर्मचारियों की ड्यूटियां लगा दी गई हैं जो साइबर अपराध पर अपनी पैनी नजर रखेंगे और थाने में आने वाली हर शिकायत पर गंभीरता से कार्रवाई करेंगे.
अभी तक साइबर थाने में 10 से 5 बजे तक ही शिकायत दर्ज कराने की सुविधा थी. जबतक विभाग के पास शिकायत आती थी तब तक शातिर अपने ठिकाने बदल चुके होते थे, लेकिन अब साइबर विभाग 24 घंटे सेवाएं देगा. जिससे ठगी की घटना पर फौरन कार्रवाई हो सकेगी. साथ ही, ऐसे मामलों में कमी भी आएगी.
गौरतलब है कि साल 2021 में कुल 5428 शिकायतें दर्ज हुई हैं. सबसे ज्यादा फाइनेंशियल फ्रॉड के 2108 मामले दर्ज हुए हैं. सोशल नेटवर्किंग के 1731 मामले दर्ज हुए हैं. 1402 अन्य शिकायतें, मोबाइल फोन गुम होने के 187 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें से 68 मोबाइल वापस शिकायतकर्ता को पुलिस ने लौटाया. इसके अलावा ठगी के शिकार हुए लोगों के करीब 54,85,426 रुपए भी रिकवर किए गए. जिसमें अभी 12 लाख प्रोसेस में हैं, वह भी जल्द ही पुलिस रिकवर कर लेगी.
एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि राजधानी में साइबर ठगी के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में विभाग ने निर्णय लिया है कि ठगी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए साइबर थाना शिमला (Shimla cyber police station) में 24 घंटे सेवाएं दी जाए, ताकि ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सके.
साइबर क्राइम का शिकार होने से खुद को इस तरह बचाएं: एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण ये है कि जब आप गूगल सर्च ईंजन पर आप किसी वेबसाइट को सर्च करते हैं और उसमें अगर किसी कॉल सेंटर का कॉन्टैक्ट नंबर दिया है तो उस पर बिल्कुल भी विश्वास ना करें. दूसरी बात यह क्रॉस चेक करने के बाद ही आप कोई डिटेल वेबसाइट में डालें. क्योंकि जो हमें दिखता है, वह कई बार फेक होता है और फेक का पता हमें तब चलता है जब हमारे अकाउंट से पैसे निकल जाते हैं.
हमेशा आप अपने बैंक में जो रिलेशनशिप मैनेजर है उनके जरिए ही ट्रांजैक्शन करें. इसके अलावा जो बैंक की असली साइट्स है या अन्य दूसरी साइट्स में फर्क होता है. सबसे पहले https वेबसाइट होनी चाहिए उसके अलावा बैंक कभी भी कोई एप्लीकेशन किसी से डाउनलोड नहीं करवाता है और ना ही कभी आपसे आपके क्रेडिट/डेबिट कार्ड का कभी पिन नंबर मांगता है. अगर कोई भी आपसे पिन नंबर, सीवीवी कोड या ओटीपी मांगे तो उस विश्वास भूलकर भी न करें.
पुलिस की जनता को सलाह: बैंकों से होने का दावा करने वाले कॉलों पर विश्वास न करें, बैंक कॉल पर अकाउंट का डेटा नहीं लेते. ओटीपी, पैन कार्ड, क्रेडिट/डेबिट कार्ड का विवरण किसी से साझा न करें. नया क्रेडिट या डेबिट कार्ड प्राप्त करने के तुरंत बाद पिन बदलें. ऋण की पेशकश करने वाले कॉल का जवाब न दें. डायल 112 पर संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करें. राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करें/155260 पर कॉल करें. भुक्तभोगी इस ईमेल एड्रेस cybervrcell-hp@nic.in पर अभी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.