पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र अम्बोया गांव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का देशभर में दूसरा मंदिर है. इसके अलावा एक मंदिर कर्नाटक में स्थित है. दरअसल, 1948 में महात्मा गांधी जी के बलिदान के बाद देशभर में उनके लगभग 42 मंदिर बने थे, लेकिन (Mahatma Gandhi Temple) इनमें से आज सिर्फ देश में दो मंदिर मौजूद है.
जानकारी मुताबिक दक्षिण भारत में एक मंदिर कर्नाटक राज्य में है और दूसरा हिमाचल के अम्बोया गांव में है. अंबोया गांधी मंदिर में हर वर्ष गांधी जयंती व उनके बलिदान दिवस पर कार्यक्रम होते हैं. गांव के बुजुर्गों और नौजवानों ने पारंपरिक ढंग से मंदिर में पूजा-अर्चना व भजन कीर्तन कर गांधी जी को याद किया. इस दौरान ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी और कांग्रेस के पूर्व विधायक किरनेश जंग मौजूद रहे.
इस दौरान सभी ने मंदिर में स्थित (Temple of Mahatma Gandhi in Amboya) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए और उनके योगदान को याद किया. गांव की महिला प्रधान ने बताया कि देशभर में बचे गांधी जी के दो मंदिरों में से एक मंदिर अंबोया गांव में है. आज भी इस मंदिर से युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरणा मिलती है.
इस दौरान ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने महात्मा गांधी जी के बलिदान को याद किया और (death anniversary of Mahatma Gandhi) बताया कि मंदिर की देखरेख के लिए पंचायत प्रधान व स्थानीय लोगों से बातचीत की गई है. उन्होंने कहा कि हिमाचल का पहला ऐसा मंदिर है जहां पर महात्मा गांधी जी को याद किया जाता है. मंदिर को जिला स्तरीय या प्रदेश स्तरीय दर्जा दिलाने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे.
वहीं, पांवटा साहिब के पूर्व विधायक किरनेश जंग ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और सभी लोगों से आग्रह किया कि गांधी जी के विचारों को अपने जीवन में ग्रहण करें. वहीं, उनहोंने कहा कि 7 दशक से यहां के ग्रामीण मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं पर सरकार द्वारा आज तक मंदिर के रख-रखाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.
देश भर में बने थे 42 मंदिर- 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान के बाद 1949 में देशभर में उनके मंदिरों को (Mahatma Gandhi Temple) बनाने की मुहिम चली थी. इस दौरान देशभर में लगभग 42 मंदिर बने थे. इसमें से उत्तराखंड के देहरादून और कालसी सहित हिमाचल के पांवटा साहिब में भी गांधी जी के मंदिर बने थे, लेकिन कुछ ही वर्षों में यह मंदिर काल के गाल में समा गए. जबकि गांव की कई पीढ़ियों ने 7 दशकों तक न सिर्फ इस मंदिर को सुरक्षित रखा, बल्कि उस समय पत्थरों और छप्पर के बने मंदिर को पक्के भवन के मंदिर में निर्मित किया. मंदिर की देखरेख और रखरखाव में गांव के लोग अपना ही पैसा खर्च करते हैं. ऐसे में लोगों को थोड़ा मलाल सरकार से भी है कि आखिर सरकार उत्तर भारत के एकमात्र गांधी मंदिर की सुध कब लेगी.
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