पांवटा साहिब: जमीन पर बिखरे पड़े झूले के वो हिस्से हैं, जो कल तक आसमान छूते थे. यही वो झूले हैं, जिनकी बदौलत होली का मेला गुलजार रहता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण आज ये झूले वीरान हैं और झूले का कारोबार करने वाले व्यक्तियों का व्यापार ठप पड़ा हुआ है.
केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा अनलॉक प्रक्रिया के तहत धीरे-धीरे सभी चीजों में रियायत देते हुए जिंदगी को पटरी पर लौटाने का काम किया जा रहा है, लेकिन बाहरी राज्यों से पांवटा साहिब में लगने वाले होली के मेले की शान बढ़ाने वाले झूले का व्यापार अभी पटरी पर नहीं आया है.
कोरोना के शुरुआती पड़ाव में कुछ लोग इन्हें खाना भी खिलाते थे, लेकिन अब लोगों के पास रोजगार ना होने से ये लोग दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं. साथ ही इन लोगों के पास सिर छुपाने के लिए कोई जगह नहीं है, जिससे ये दर-बदर भटकने को मजबूर हैं.
जावीर ने बताया कि कोरोना की वजह से उनका सारा काम ठप पड़ा हुआ है. जिससे उनके पास पैसे नहीं हैं और मेलों का आयोजन ना होने पर मालिक भी उनको पेमेंट नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों से उनको आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है, जिससे उनको अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.
रविंदर ने बताया कि उनके पास ना तो रोजगार है और ना ही पैसे हैं, जिससे उनको रोज दो टाइम की रोटी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से उनका सारा व्यापार ठप हो गया है.
फूल सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा में जाकर उनको खाना मिल रहा है,लेकिन मेले ना लगने से उनको वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे उनको जिदंगी बसर करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने सरकार से उनको घर वापस भेजने की मांग की है.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा कमेटी के उप प्रधान हरभजन सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा कमेटी द्वारा झूले का कारोबार करने वाले व्यक्तियों को गुरुद्वारा कमेटी द्वारा भोजन कराया जाता है. साथ ही भूखे मजदूरों को भी भोजन दिया जाता है, ताकि कोई भी गुरु भूमि में भूखा ना रहे.
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