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भूमि अधिकारों पर नाहन में बैठक, शामलात भूमि को लेकर लोगों ने सरकार से उठाई ये मांग

भूमि अधिकारों को लेकर जिला मुख्यालय नाहन में सोमवार को एक जिला स्तरीय बैठक (Meeting in Nahan on land rights) का आयोजन किया गया. वन अधिकार मंच द्वारा आयोजित इस बैठक में करीब 25 पंचायतों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए. जहां लोगों को वन अधिकार कानून के बारे में जागरूक किया गया.

Meeting in Nahan on land rights
भूमि अधिकारों पर नाहन में बैठक
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Published : Mar 7, 2022, 5:10 PM IST

नाहन: भूमि अधिकारों को लेकर जिला मुख्यालय नाहन में सोमवार को एक जिला स्तरीय बैठक (Meeting in Nahan on land rights) का आयोजन किया गया. वन अधिकार मंच द्वारा आयोजित इस बैठक में करीब 25 पंचायतों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए. दरअसल इस जिला स्तरीय बैठक में मुख्य रूप से दो विषयों वन अधिकार कानून व शामलात भूमि (shamlat land issue) कानून से जुड़ी चिंताओं पर विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही इन दो अहम मुद्दों पर पेश आ रही समस्याओं के समाधान की मांग सरकार से की गई.

बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे जिला किसान सभा के अध्यक्ष रमेश वर्मा ने बताया कि इस बैठक में वन अधिकार कानून 2006 के तहत प्रशिक्षित किया गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में सरकार ने जिला सिरमौर में जो शामलात भूमि वापिस की थी, उसे एलोटेविल पूल में रखा गया था, उसे भूमिहीन लोगों व सामूहिक जरूरतों के अनुसार रखा जाना चाहिए था. लेकिन कई जगहों पर इसे व्यक्तिगत भूमि बना दिया गया है.

भूमि अधिकारों पर नाहन में हुई बैठक.

उन्होंने कहा कि 1950 से पहले जिनके भूमि पर मालिकाना हक थे, उन्हीं को यह भूमि दे दी गई है. जिससे समाज मे अंसतोष फैल गया है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि शामलात भूमि पर जो बरसों से लोग खेती कर रहे है, उन्हें वहां से न हटाया जाए और उन्हें भी मालिकाना हक दिया जाए. वहीं बैठक में लोगों को वन अधिकारों के प्रति जागरूक करने आए हिमधरा पर्यावरण समूह (Himdhara Environment Group) के सदस्य प्रकाश भंडारी ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 में पूरे देश में लागू हो गया था, लेकिन यदि जिला सिरमौर की स्थिति देखें, तो आज भी जिला में वन विभाग द्वारा लोगों को बेदखली के नोटिस जारी किए जा रहे है.

उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत समितियों के सदस्यों और सरकारी अधिकारियों दोनों के लिए तुरंत प्रशिक्षण आयोजित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वन अधिकार कानून के तहत वन भूमि से कोई भी बेदखली तब तक अवैध है, जब तक कानून के अंतर्गत पूरी प्रक्रिया नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि जिला में लोगों को सरकार व प्रशासन द्वारा संबंधित कानून की पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है. जिला में इसको लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम (Training program on land rights) भी नहीं हो रहे है. ऐसे में सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें: UNA: महिला दिवस की पूर्व संध्या पर समारोह, विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाली महिलाएं की गई सम्मानित

नाहन: भूमि अधिकारों को लेकर जिला मुख्यालय नाहन में सोमवार को एक जिला स्तरीय बैठक (Meeting in Nahan on land rights) का आयोजन किया गया. वन अधिकार मंच द्वारा आयोजित इस बैठक में करीब 25 पंचायतों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए. दरअसल इस जिला स्तरीय बैठक में मुख्य रूप से दो विषयों वन अधिकार कानून व शामलात भूमि (shamlat land issue) कानून से जुड़ी चिंताओं पर विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही इन दो अहम मुद्दों पर पेश आ रही समस्याओं के समाधान की मांग सरकार से की गई.

बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे जिला किसान सभा के अध्यक्ष रमेश वर्मा ने बताया कि इस बैठक में वन अधिकार कानून 2006 के तहत प्रशिक्षित किया गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में सरकार ने जिला सिरमौर में जो शामलात भूमि वापिस की थी, उसे एलोटेविल पूल में रखा गया था, उसे भूमिहीन लोगों व सामूहिक जरूरतों के अनुसार रखा जाना चाहिए था. लेकिन कई जगहों पर इसे व्यक्तिगत भूमि बना दिया गया है.

भूमि अधिकारों पर नाहन में हुई बैठक.

उन्होंने कहा कि 1950 से पहले जिनके भूमि पर मालिकाना हक थे, उन्हीं को यह भूमि दे दी गई है. जिससे समाज मे अंसतोष फैल गया है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि शामलात भूमि पर जो बरसों से लोग खेती कर रहे है, उन्हें वहां से न हटाया जाए और उन्हें भी मालिकाना हक दिया जाए. वहीं बैठक में लोगों को वन अधिकारों के प्रति जागरूक करने आए हिमधरा पर्यावरण समूह (Himdhara Environment Group) के सदस्य प्रकाश भंडारी ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 में पूरे देश में लागू हो गया था, लेकिन यदि जिला सिरमौर की स्थिति देखें, तो आज भी जिला में वन विभाग द्वारा लोगों को बेदखली के नोटिस जारी किए जा रहे है.

उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत समितियों के सदस्यों और सरकारी अधिकारियों दोनों के लिए तुरंत प्रशिक्षण आयोजित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वन अधिकार कानून के तहत वन भूमि से कोई भी बेदखली तब तक अवैध है, जब तक कानून के अंतर्गत पूरी प्रक्रिया नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि जिला में लोगों को सरकार व प्रशासन द्वारा संबंधित कानून की पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है. जिला में इसको लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम (Training program on land rights) भी नहीं हो रहे है. ऐसे में सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.

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