नाहन: सिरमौर जिले के गिरिपार का हाटी समुदाय (Hati Community) पिछले करीब 50 सालों से क्षेत्र को जनजातीय दर्जा (Tribal Status) दिलाने के लिए संघर्ष कर रहा है. मगर अब तक बरसों से चली आ रही यह मांग लंबित पड़ी है. इसी मुद्दे को लेकर रविवार को जिला मुख्यालय नाहन में केंद्रीय हाटी समिति (Central Hati Committee) की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें गिरिपार क्षेत्र के तहत ब्लाकों, तहसीलों, उपतहसीलों के अलावा चंडीगढ़, सोलन व शिमला यूनिट के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
इस बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हिमाचल सरकार से इस मुद्दे को लेकर मांगी गई रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की गई. प्रदेश सरकार द्वारा जनजातीय दर्जे की मांग को लेकर रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है. ऐसे में केंद्रीय हाटी समिति ने जहां रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने के लिए प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है, तो वहीं इस रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद ही आगामी कदम उठाने की बात भी कहीं है.
मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष अमीचंद कमल ने बताया कि बैठक में गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया है. इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिसंबर माह में जो पत्र लिखा गया था, उस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए हिमाचल सरकार से रिपोर्ट देने को कहा था. उन्होंने बताया कि इस पर हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट्स पर समिति विश्लेषण कर रही है, जिसके बाद समिति द्वारा आगामी कदम उठाया जाएगा.
बता दें कि जिले के गिरिपार क्षेत्र की करीब 120 पंचायतों में तकरीबन पौने तीन लाख आबादी हाटी समुदाय की है. हाटी समुदाय की लोक संस्कृति, मेले, त्योहार, धार्मिक मान्यताएं व सामाजिक-आर्थिक हालात साथ लगते उत्तराखंड के जोंसारा समुदाय से एकदम मिलते-जुलते हैं. हालांकि जोंनसार बाबर को यह दर्जा दिया जा चुका है, लेकिन जिले के हाटी समुदाय को एक लंबे अरसे से मांग पूरी होने का इंतजार है.
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