नाहन: हिमाचल प्रदेश पीडब्ल्यूडी एंड आईपीएच एंप्लाइज मजदूर यूनियन एटक की जिला स्तरीय बैठक रविवार को नाहन में आयोजित की गई. बैठक में यूनियन के राज्य अध्यक्ष देवकी (Meeting of AITUC organized in Nahan) नंदन ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की. जबकि बैठक की अध्यक्षता जिला कमेटी के चैयरमेन पूर्ण चंद व अध्यक्ष विजय पाल थापा द्वारा की गई.
यूनियन की इस महत्वपूर्ण बैठक में कर्मचारियों (PWD Employees Mazdoor Union Himachal) की विभिन्न मांगों सहित देश व प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई. मीडिया से बात करते हुए यूनियन के राज्य अध्यक्ष देवकी नंदन ने सरकार पर कर्मचारियों का शोषण करने व मांगों की अनदेखी करने के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि एक कर्मचारी किसी भी विभाग में 30 से 35 साल अपनी सेवाएं देता है, लेकिन 2003 के बाद कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी यानी पेंशन को छीन कर सरकार ने एक बड़ा अन्याय कर्मचारी वर्ग के साथ किया है.
राज्य अध्यक्ष ने सरकार से अपील करते हुए कहा (IPH Employees Mazdoor Union Himachal) कि प्रदेश के 1 लाख 20 हजार व देश के करीब 60 लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे है. लिहाजा जल्द से जल्द उक्त मांग को पूरा किया जाए। अन्यथा हिमाचल में ही नहीं पूरे देश में कर्मचारी बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे.
राज्य अध्यक्ष देवकी नंदन ने कहा कि 2003 में पुरानी पेंशन को बंद करके (Demand for Old Pension in Himachal) केंद्र सरकार ने जो अन्याय कर्मचारियों के साथ किया, उसे आज भी कर्मचारी सहन नहीं कर पा रहे हैं. अगर देश हित में कर्मचारियों की ही पेंशन बंद की जानी थी, तो आज तक फिर सांसदों और विधायकों की देशहित में पेंशन बंद क्यों नहीं की गई? राज्य अध्यक्ष ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब इंटक द्वारा यह तय किया जा चुका है कि या तो सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बहाल करें या फिर 2003 के बाद के सांसदों व विधायकों की भी पेंशन को बंद किया जाए.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया, तो कर्मचारी वर्ग नेताओं को सबक सिखाएगा. यहीं मांग उन्होंने प्रदेश सरकार से भी की है. इसके अलावा बैठक में मिड डे मील वर्करों के लिए (Mid Day Meal workers demand Himachal) स्थाई नीति बनाने, विभिन्न विभागों में काफी समय से कर्मचारियों को लंबित पदोन्नति को जल्द से जल्द देने व करुणामूलक आधार पर आश्रितों के लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने की भी सरकार से मांग की गई है.
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