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सिरमौर में लोक नृत्य प्रतियोगिता में कलाकारों ने मचाई धूम, पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने हिमाचली संस्कृति को लेकर कही ये बात

जिला स्तरीय लोक नृत्य प्रतियोगिता (District level folk dance competition) में कलाकारों ने हिमाचली संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियां दी. कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित प्रसिद्ध साहित्यकार विद्यानंद सरैक ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा लोक साहित्य उच्च कोटि का है और अब इसे पहचान मिलनी शुरू हुई है. इस तरह के आयोजनों से लोक साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा.

folk dance competition in sirmaur
सिरमौर में लोक नृत्य प्रतियोगिता.
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Published : Mar 11, 2022, 4:02 PM IST

नाहन: सिरमौर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने नाहन में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जिला स्तरीय लोक नृत्य एवं लोक वाद्ययंत्र प्रतियोगिता का आयोजन किया. प्रतियोगिता के दूसरे दिन शुक्रवार लोक नृत्य की प्रतिस्पर्धा में आयोजित की गई, जिसमें करीब 15 सांस्कृतिक दलों ने एक से बढ़कर एक लोक नृत्य पेश कर हिमाचली संस्कृति की शानदार झलक प्रस्तुत की. कार्यक्रम में हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किए गए प्रसिद्ध साहित्यकार विद्यानंद सरैक विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

दरअसल, पहले दिन जहां इस दो दिवसीय कार्यक्रम में प्राचीन वाद्य यंत्रों से कलाकारों ने धमाल मचाया, तो वहीं कार्यक्रम के दूसरे दिन दिन लोक नृत्य प्रतियोगिता में कलाकारों ने हिमाचली संस्कृति को लेकर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. मीडिया से बात करते हुए पद्म श्री पुरस्कार के लिए चयनित विद्यानंद सरैक ने खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि 21 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनका नहीं बल्कि यहां के लोक साहित्य का है, जोकि लुप्त हो रहा था.

सिरमौर में लोक नृत्य प्रतियोगिता.

पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि हमारा लोक साहित्य उच्च कोटि का है और अब इसे पहचान मिलनी शुरू हुई है. इस तरह के आयोजनों से लोक साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया. वहीं, जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी ने बताया कि इस दो दिवसीय जिला स्तरीय लोक नृत्य एवं लोक वाद्ययंत्र प्रतियोगिता में जिलाभर से 30 दलों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने हिमाचली स्थिति को लेकर अपनी प्रस्तुतियां देते हुए आयोजन को सफल बनाया.

उधर, दूसरे दिन लोकनृत्य प्रतियोगिता (folk dance competition in sirmaur) में हिस्सा लेने आए लोक कलाकार करीब 2 सालों बाद आयोजित हो रही. इस प्रतियोगिता को लेकर बेहद उत्साहित नजर आए. कलाकारों का कहना था कि समय-समय पर इस तरह के आयोजन किए जाने चाहिए, ताकि हमारी लुप्त हो रही संस्कृति कायम रह सके. कुल मिलाकर कोरोना काल के चलते 2 सालों के बाद आयोजित हुए इस कार्यक्रम में जहां कालू ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया, तो वहीं विभाग के इस प्रयास को कलाकारों ने एक बेहतर कदम भी करार दिया.

ये भी पढ़ें: नाहन में दिखी हिमाचली संस्कृति की झलक, लोक कलाकारों ने वाद्य यंत्रों से मचाया धमाल

नाहन: सिरमौर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने नाहन में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जिला स्तरीय लोक नृत्य एवं लोक वाद्ययंत्र प्रतियोगिता का आयोजन किया. प्रतियोगिता के दूसरे दिन शुक्रवार लोक नृत्य की प्रतिस्पर्धा में आयोजित की गई, जिसमें करीब 15 सांस्कृतिक दलों ने एक से बढ़कर एक लोक नृत्य पेश कर हिमाचली संस्कृति की शानदार झलक प्रस्तुत की. कार्यक्रम में हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किए गए प्रसिद्ध साहित्यकार विद्यानंद सरैक विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

दरअसल, पहले दिन जहां इस दो दिवसीय कार्यक्रम में प्राचीन वाद्य यंत्रों से कलाकारों ने धमाल मचाया, तो वहीं कार्यक्रम के दूसरे दिन दिन लोक नृत्य प्रतियोगिता में कलाकारों ने हिमाचली संस्कृति को लेकर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. मीडिया से बात करते हुए पद्म श्री पुरस्कार के लिए चयनित विद्यानंद सरैक ने खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि 21 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनका नहीं बल्कि यहां के लोक साहित्य का है, जोकि लुप्त हो रहा था.

सिरमौर में लोक नृत्य प्रतियोगिता.

पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि हमारा लोक साहित्य उच्च कोटि का है और अब इसे पहचान मिलनी शुरू हुई है. इस तरह के आयोजनों से लोक साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया. वहीं, जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी ने बताया कि इस दो दिवसीय जिला स्तरीय लोक नृत्य एवं लोक वाद्ययंत्र प्रतियोगिता में जिलाभर से 30 दलों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने हिमाचली स्थिति को लेकर अपनी प्रस्तुतियां देते हुए आयोजन को सफल बनाया.

उधर, दूसरे दिन लोकनृत्य प्रतियोगिता (folk dance competition in sirmaur) में हिस्सा लेने आए लोक कलाकार करीब 2 सालों बाद आयोजित हो रही. इस प्रतियोगिता को लेकर बेहद उत्साहित नजर आए. कलाकारों का कहना था कि समय-समय पर इस तरह के आयोजन किए जाने चाहिए, ताकि हमारी लुप्त हो रही संस्कृति कायम रह सके. कुल मिलाकर कोरोना काल के चलते 2 सालों के बाद आयोजित हुए इस कार्यक्रम में जहां कालू ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया, तो वहीं विभाग के इस प्रयास को कलाकारों ने एक बेहतर कदम भी करार दिया.

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