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रेणुका जी बांध प्रबंधन कार्यालय में विस्थापितों का प्रदर्शन, जाहिर की नाराजगी

गिरी नदी पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली राष्ट्रीय महत्व की रेणुका जी बांध के विस्थापित होने वाले लोगों ने शनिवार को पहचान (Renuka Ji Dam Management) पत्र व मुआवजे का ब्यौरा दिए जाने आदि मागों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. विस्थापित होने वाले लोग बांध प्रबंधन कार्यालय परिसर में (People displaced by Renuka Dam construction) एचपीपीसीएल के 15वां स्थापना दिवस समारोह के दौरान आ धमके. जिसके चलते वहां मौजूद पुलिस कर्मियों व बांध प्रबंधन अधिकारियों के साथ उनकी नोंक-झोंक भी हुई.

Protest against Renuka Ji Dam Management
रेणुका जी बांध प्रबंधन
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Published : Dec 18, 2021, 6:19 PM IST

नाहन: प्रदेश सरकार एक तरफ जहां गिरी नदी पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली राष्ट्रीय महत्व की रेणुका जी बांध परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास करवाने की तैयारी कर रही (Renuka Ji Dam Management) है, तो वहीं दूसरी तरफ पहचान पत्र व मुआवजे का ब्यौरा दिए जाने आदि मागों को लेकर विस्थापित होने वाले लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.

दरअसल शनिवार को रेणुका जी बांध प्रबंधन कार्यालय परिसर में जैसे ही (People displaced by Renuka Dam construction) एचपीपीसीएल का 15वां स्थापना दिवस समारोह शुरू हुआ, तो प्रदर्शनकारी आयोजन स्थल पर आ धमके. इसके चलते मटका फोड़ प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम को बीच में ही रोकना पड़ा. इस दौरान प्रदर्शन कर रहे संघर्ष समिति के नेताओं व आयोजन स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों व बांध प्रबंधन के (Protest of people in Renuka) अधिकारियों के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई.

संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान से बहस व नोंकझोंक के बाद प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और कार्यक्रम बंद होने के बाद ददाहू बाजार में भी रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला व संयोजक प्रताप तोमर व सहसंयोजक पूर्ण चंद शर्मा आदि ने कहा कि वह पिछले 14 वर्षों (People protest against Renuka Dam) से बांध प्रबंधन एवं सरकार के समक्ष लगातार अपनी समस्याओं को रख रहे हैं. मगर इस पर गौर नहीं किया जा रहा है.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि बांध प्रबंधन के समक्ष संघर्ष समिति द्वारा बीते माह हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से परियोजना के विस्थापितों को पहचान पत्र देने व पैरा 55 के तहत उन्हे जारी किए गए मुआवजे का विवरण देने की मांग की गई थी, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि दशकों से प्रस्तावित इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से आर्थिक क्लीयरेंस मिलने के बाद जहां जल्द बांध निर्माण की उम्मीद जगी है, तो वहीं दूसरी और विस्थापितों ने लंबे अरसे बाद विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.

दूसरी तरफ रेणुका जी बांध के महाप्रबंधक रूपलाल (Renuka Dam inauguration) ने बताया कि विस्थापितों की सभी मांगो व समस्याओं के प्रति प्रबंधन सजग है और बांध निर्माण से पहले ही सभी जायज मांगो को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पैरा 55 के तहत विस्थापितों को जारी रकम का विवरण व उनके एमपीएफ पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है.

ये भी पढ़ें: सैलानियों की पहली पसंद बना मनाली, सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध: गोविंद ठाकुर

उन्होंने कहा कि बजट मिलते ही वेकल्पिक संगड़ाह-रेणुकाजी मार्ग की राशि लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह को जारी होगी. महाप्रबंधक रूपलाल ने बताया कि आगामी 27 दिसंबर को भारत के प्रधानमंत्री से इस परियोजना का शिलान्यास करवाने की तैयारियां जारी है. हालांकि अभी कार्यक्रम को अधिकारिक मंजूरी (PM modi Renuka Dam inauguration) मिलना शेष है.

गौरतलब है कि बांध से डूबने वाले उपमंडल संगड़ाह व चौपाल को जिला मुख्यालय नाहन व चंडीगढ़ आदी से जोड़ने वाले 7 किलोमीटर संगड़ाह-रेणुकाजी-नाहन मार्ग की जगह बनने वाली 14 किलोमिटर वैकल्पिक सड़क के लिए अब तक बजट उपलब्ध नहीं है और क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बांध निर्माण शुरू करने से पहले उक्त मार्ग का काम शुरू करने की मांग की जा रही है.

बता दें कि मात्र 40 मेगावाट की इस परियोजना का काम शुरू होने से पहले इस पर अब तक करीब 700 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जिसमें से 400 करोड़ से ज्यादा 1142 विस्थापित परिवारों को मुआवजे के रुप जारी हुए. अकेले संगड़ाह पचांयत के गांव सीऊं को जानकारी के अनुसार 100 करोड़ से ज्यादा मुआवजा राशि मिली है. हालांकि विस्थापित बांध निर्माण से पहले सभी मांगे पूरी करवाने पर अड़े हैं.

बांध से दिल्ली व अन्य 5 राज्यों को 23 क्युमैक्स पानी मिलने पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं, क्योंकि गर्मी व सर्दी में गिरी नदी में केवल 5 क्यूमैक्स के करीब पानी ही रहता है. बांध प्रबंधन के अभियंताओं की माने तो 26 किलोमीटर लंबा रिजर्वायर बनने पर बरसात अथवा बाढ़ का रोका जाएगा और इससे नदी का जल स्तर भी बढ़ेगा.

ये भी पढ़ें: EXCLUSIVE: ETV भारत से बोले JP नड्डा: नई कहानी लिख रहा उत्तराखंड, बनेगी BJP की सरकार

नाहन: प्रदेश सरकार एक तरफ जहां गिरी नदी पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली राष्ट्रीय महत्व की रेणुका जी बांध परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास करवाने की तैयारी कर रही (Renuka Ji Dam Management) है, तो वहीं दूसरी तरफ पहचान पत्र व मुआवजे का ब्यौरा दिए जाने आदि मागों को लेकर विस्थापित होने वाले लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.

दरअसल शनिवार को रेणुका जी बांध प्रबंधन कार्यालय परिसर में जैसे ही (People displaced by Renuka Dam construction) एचपीपीसीएल का 15वां स्थापना दिवस समारोह शुरू हुआ, तो प्रदर्शनकारी आयोजन स्थल पर आ धमके. इसके चलते मटका फोड़ प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम को बीच में ही रोकना पड़ा. इस दौरान प्रदर्शन कर रहे संघर्ष समिति के नेताओं व आयोजन स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों व बांध प्रबंधन के (Protest of people in Renuka) अधिकारियों के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई.

संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान से बहस व नोंकझोंक के बाद प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और कार्यक्रम बंद होने के बाद ददाहू बाजार में भी रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला व संयोजक प्रताप तोमर व सहसंयोजक पूर्ण चंद शर्मा आदि ने कहा कि वह पिछले 14 वर्षों (People protest against Renuka Dam) से बांध प्रबंधन एवं सरकार के समक्ष लगातार अपनी समस्याओं को रख रहे हैं. मगर इस पर गौर नहीं किया जा रहा है.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि बांध प्रबंधन के समक्ष संघर्ष समिति द्वारा बीते माह हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से परियोजना के विस्थापितों को पहचान पत्र देने व पैरा 55 के तहत उन्हे जारी किए गए मुआवजे का विवरण देने की मांग की गई थी, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि दशकों से प्रस्तावित इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से आर्थिक क्लीयरेंस मिलने के बाद जहां जल्द बांध निर्माण की उम्मीद जगी है, तो वहीं दूसरी और विस्थापितों ने लंबे अरसे बाद विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.

दूसरी तरफ रेणुका जी बांध के महाप्रबंधक रूपलाल (Renuka Dam inauguration) ने बताया कि विस्थापितों की सभी मांगो व समस्याओं के प्रति प्रबंधन सजग है और बांध निर्माण से पहले ही सभी जायज मांगो को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पैरा 55 के तहत विस्थापितों को जारी रकम का विवरण व उनके एमपीएफ पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है.

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उन्होंने कहा कि बजट मिलते ही वेकल्पिक संगड़ाह-रेणुकाजी मार्ग की राशि लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह को जारी होगी. महाप्रबंधक रूपलाल ने बताया कि आगामी 27 दिसंबर को भारत के प्रधानमंत्री से इस परियोजना का शिलान्यास करवाने की तैयारियां जारी है. हालांकि अभी कार्यक्रम को अधिकारिक मंजूरी (PM modi Renuka Dam inauguration) मिलना शेष है.

गौरतलब है कि बांध से डूबने वाले उपमंडल संगड़ाह व चौपाल को जिला मुख्यालय नाहन व चंडीगढ़ आदी से जोड़ने वाले 7 किलोमीटर संगड़ाह-रेणुकाजी-नाहन मार्ग की जगह बनने वाली 14 किलोमिटर वैकल्पिक सड़क के लिए अब तक बजट उपलब्ध नहीं है और क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बांध निर्माण शुरू करने से पहले उक्त मार्ग का काम शुरू करने की मांग की जा रही है.

बता दें कि मात्र 40 मेगावाट की इस परियोजना का काम शुरू होने से पहले इस पर अब तक करीब 700 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जिसमें से 400 करोड़ से ज्यादा 1142 विस्थापित परिवारों को मुआवजे के रुप जारी हुए. अकेले संगड़ाह पचांयत के गांव सीऊं को जानकारी के अनुसार 100 करोड़ से ज्यादा मुआवजा राशि मिली है. हालांकि विस्थापित बांध निर्माण से पहले सभी मांगे पूरी करवाने पर अड़े हैं.

बांध से दिल्ली व अन्य 5 राज्यों को 23 क्युमैक्स पानी मिलने पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं, क्योंकि गर्मी व सर्दी में गिरी नदी में केवल 5 क्यूमैक्स के करीब पानी ही रहता है. बांध प्रबंधन के अभियंताओं की माने तो 26 किलोमीटर लंबा रिजर्वायर बनने पर बरसात अथवा बाढ़ का रोका जाएगा और इससे नदी का जल स्तर भी बढ़ेगा.

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