पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब से महज 18 किलोमीटर दूरी पर एशिया की सबसे बड़ी चूना-मंडी और किसी समय औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित गिरीपार का सतौन क्षेत्र अब बदहाली के आंसू बहा रहा है.
एक समय था जब सतौन क्षेत्र को एशिया की चूना-पत्थर की सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता था. चूना पत्थर को यहां से एशिया के कई बाजारों में भेजा जाता था और चूना पत्थर कारोबार से जुड़े लगभग 50 से अधिक उद्योग यहां स्थापित थे. जिससे यहां की 10 पंचायतों की आवाम को रोजगार मिलता था, लेकिन वर्तमान में यहां मात्र लगभग 12 उद्योग ही बचे हैं.
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जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि बाहरी राज्यों से अब यहां पर पत्थर आना शुरू हो गया है. जिसकी वजह से यहां के पत्थरों का कार्य खत्म हो गया है और यहां 50 उद्योग में से एक दर्जन उद्योग ही बचे हुए हैं, जो कि पूरे क्षेत्र वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार ने खनन माफियों पर रोक लगा दी है, जिससे यहां पर पत्थरों का काम कम हो गया है.
जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि पाकिस्तान और राजस्थान से यहां पर पत्थरों का पाउडर भेजा जा रहा है और यहां का पाउडर का रेट राजस्थान में पाकिस्तान के बॉर्डर से ज्यादा महंगा जा रहा है. जिससे यहां के स्थानीय उद्योग बाहरी राज्यों से चूना पत्थर मांगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि गिरीपार इलाके के लोगों को दोबारा से रोजगार मिल सके.
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खनन माइनिंग अधिकारी राजेंद्र तिवारी ने भी बताया कि यहां की खानों से जितना पत्थर निकलता था उस पर सरकार ने रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि सरकार को लोगों की परेशानियों को जल्द दूर करना चाहिए, ताकि लोगों को यहां पर रोजगार मिल सके.