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अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी, स्थानीय लोग परेशान - एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी

जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब से महज 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित एशिया की सबसे बड़ी चुना पत्थर मंडी से चूना पत्थर एशिया के कई बाजारों में भेजा जाता था और चूना पत्थर कारोबार से जुड़े लगभग 50 से अधिक उद्योग यहां स्थापित थे. जिससे यहां की 10 पंचायतों की अवाम को रोजगार मिलता था, लेकिन इन दिनों वो अपनी किस्मत पर आंसू बहा रही है.

limestone
चूना पत्थर
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Published : Jan 16, 2020, 11:19 AM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब से महज 18 किलोमीटर दूरी पर एशिया की सबसे बड़ी चूना-मंडी और किसी समय औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित गिरीपार का सतौन क्षेत्र अब बदहाली के आंसू बहा रहा है.

एक समय था जब सतौन क्षेत्र को एशिया की चूना-पत्थर की सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता था. चूना पत्थर को यहां से एशिया के कई बाजारों में भेजा जाता था और चूना पत्थर कारोबार से जुड़े लगभग 50 से अधिक उद्योग यहां स्थापित थे. जिससे यहां की 10 पंचायतों की आवाम को रोजगार मिलता था, लेकिन वर्तमान में यहां मात्र लगभग 12 उद्योग ही बचे हैं.

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जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि बाहरी राज्यों से अब यहां पर पत्थर आना शुरू हो गया है. जिसकी वजह से यहां के पत्थरों का कार्य खत्म हो गया है और यहां 50 उद्योग में से एक दर्जन उद्योग ही बचे हुए हैं, जो कि पूरे क्षेत्र वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार ने खनन माफियों पर रोक लगा दी है, जिससे यहां पर पत्थरों का काम कम हो गया है.

जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि पाकिस्तान और राजस्थान से यहां पर पत्थरों का पाउडर भेजा जा रहा है और यहां का पाउडर का रेट राजस्थान में पाकिस्तान के बॉर्डर से ज्यादा महंगा जा रहा है. जिससे यहां के स्थानीय उद्योग बाहरी राज्यों से चूना पत्थर मांगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि गिरीपार इलाके के लोगों को दोबारा से रोजगार मिल सके.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश के इन 5 जिलों में ग्लेशियर गिरने का खतरा, चेतावनी जारी

खनन माइनिंग अधिकारी राजेंद्र तिवारी ने भी बताया कि यहां की खानों से जितना पत्थर निकलता था उस पर सरकार ने रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि सरकार को लोगों की परेशानियों को जल्द दूर करना चाहिए, ताकि लोगों को यहां पर रोजगार मिल सके.

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब से महज 18 किलोमीटर दूरी पर एशिया की सबसे बड़ी चूना-मंडी और किसी समय औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित गिरीपार का सतौन क्षेत्र अब बदहाली के आंसू बहा रहा है.

एक समय था जब सतौन क्षेत्र को एशिया की चूना-पत्थर की सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता था. चूना पत्थर को यहां से एशिया के कई बाजारों में भेजा जाता था और चूना पत्थर कारोबार से जुड़े लगभग 50 से अधिक उद्योग यहां स्थापित थे. जिससे यहां की 10 पंचायतों की आवाम को रोजगार मिलता था, लेकिन वर्तमान में यहां मात्र लगभग 12 उद्योग ही बचे हैं.

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जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि बाहरी राज्यों से अब यहां पर पत्थर आना शुरू हो गया है. जिसकी वजह से यहां के पत्थरों का कार्य खत्म हो गया है और यहां 50 उद्योग में से एक दर्जन उद्योग ही बचे हुए हैं, जो कि पूरे क्षेत्र वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार ने खनन माफियों पर रोक लगा दी है, जिससे यहां पर पत्थरों का काम कम हो गया है.

जिला प्रधान खत्री राम ने बताया कि पाकिस्तान और राजस्थान से यहां पर पत्थरों का पाउडर भेजा जा रहा है और यहां का पाउडर का रेट राजस्थान में पाकिस्तान के बॉर्डर से ज्यादा महंगा जा रहा है. जिससे यहां के स्थानीय उद्योग बाहरी राज्यों से चूना पत्थर मांगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि गिरीपार इलाके के लोगों को दोबारा से रोजगार मिल सके.

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खनन माइनिंग अधिकारी राजेंद्र तिवारी ने भी बताया कि यहां की खानों से जितना पत्थर निकलता था उस पर सरकार ने रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि सरकार को लोगों की परेशानियों को जल्द दूर करना चाहिए, ताकि लोगों को यहां पर रोजगार मिल सके.

Intro:दिन प्रतिदिन लुप्त हो रही है चुना पत्थर मंडी एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी बदहाली की शिकार अब नहीं मिल पा रहा है लोगों को उतना रोजगारBody:

जिला सिरमौर के पांवटा से महज 18 किलोमीटर दूरी एशिया की चूना-प बड़ी मंडी व किसी समय औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित गिरिपार का सतौन क्षेत्र अब बदहाली के आंसू बहा रहा है. एक तरफ जहां यह क्षेत्र सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है तो वहीं दूसरी और उद्योगपति इस इलाके के लोगों के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन अचरज यह है कि यहां किसी की कोई सुध लेने वाला नहीं है. एक समय था जब सतौन कस्बे को एशिया की चूना-पत्थर की सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता था. चूना पत्थर को यहां से एशिया में कई बाज़ारों में भेजा जाता था. चूना पत्थर कारोबार से जुड़े लगभग 50 से अधिक उद्योग यहां स्थापित थे, जिन्हें यहां रोजगार मिलता था लेकिन आज के समय में यहां मात्र एक दर्जन उद्योग ही बच पाए हैं. ऐसे में यहां के 10 पंचायतों के लोगों को रोजगार मिलता था वह भी अब ठप होना शुरू हो गया है ऐसे में लोग परेशान नजर आ रहे हैं

खनन के जिला के प्रधान खत्री राम ने बताया कि बाहरी राज्यों से अब यहां पर पत्थर आना शुरू हो गया है जिसकी वजह से यहां के अब पथरो का कार्य खत्म हो गया है यहां के उद्योग 50 में से एक दर्जन ही उद्योग अब चलते हुए नजर आ रहे हैं जो कि पूरे क्षेत्र वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है सरकार ने माइनों पर रोक लगा दी है जिस वजह से यहां पर पत्थरों का काम कम हो गया है पाकिस्तान और राजस्थान से यहां पर पत्थरों का पाउडर भेजा जा रहा है यहां का पाउडर का रेट राजस्थान में पाकिस्तान के बॉर्डर से ज्यादा महंगा जा रहा है जिस वजह से यहां के लोकल उद्योग बाहरी राज्यों से चूना पत्थर मंगा रहे हैं उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि गिरी पार इलाके के लोगों को दोबारा से रोजगार मिल सके


Conclusion:वही खनन माइनिंग अधिकारी राजेंद्र तिवारी ने भी बताया कि यहां की खानों से जितना पत्थर निकलता था उस पर सरकार ने रोक लगा दी है किसी की भूमि की क्लियर नहीं है तो किसी की कोई कमियां जिस वजह से यहां के लोगों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है यहां के लोगों की छोटी-छोटी कमियों को जल्द दूर करना चाहिए ताकि लोगों को यहां पर रोजगार मिल सके
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